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Sunday, May 28, 2017

वीरेंद्र जुयाल 'अजनवी ' की गढ़वाली कविताएं

Garhwali Poems by Virendra Juyal
-



••••=55.
जो खांदु छूँ
वो पचदु नि।
जो कमांदु छूँ
वो बचदु नि।।
जो पैरुंद छूँ
वो मि
जचदु नि।
जै थैई
हेरदु छूँ
वो मि जनै
द्यखदु नि ।।
जो ब्वलदु छूँ
वो क्वी सुणदु नि।
जो बच्यांदु छूँ
वो क्वी बिंगदु नि।।
जो च्वोरि
करद
वो बचदु नि।
जो सच ब्वल्द
वो डरुदू नि।।
फिर बि वुं लोखुं
क गिच्चा कैल
पकडणै ?
जो ब्वल्दी यो
"अजनबी"
जुयाल कुछ कर्दु नि ।।
••••=56.
सुख क
बाटु बथाण वोला
यख बटि चलिगिंई
मि बि बाटु खुज्याणुं छूँ।
चौछोडि मनख्यूँ क
थुपडा लग्यां पर मि
अफ्थैं यकुलि चिताणुं छूँ।।
मनख्यूँ क चबलट्या
रंग ढंग द्येखिक छाल
फरि बैठि खिसाणुं छूँ।
भाग मा म्यार विधाता क
यकुलि ल्यख्यूं इलै त
मि नि रुसाणुं छूँ।।
जो बथौं बणिक
उकलि लैगि मि
वुंकी गाथा गाणूं छूँ।
जो उंदरि क बाटा
सौंगू बथाणा मि वुंका
वचन छटयांणुं छूँ।।
स्याणी गाणी क पैथर
यकतरा हुंयां छी लोग
पर मि शुरुक शुरुक कै
सबथैं धै लगाणुं छूँ।
सदनि अपडि भाषा मा
ल्यख्णूं बच्याणूं अपडा
मन थैई मि बि बुथ्याणुं छूँ।।
=
इन ह्वैग्याई त ह्वैग्याई..............
---
ताजमहल कु नै नियम बथाणु कौफ्णी
धर्मनिरपेक्ष देश मा यो रंग की धौंकणि।
नै सरकार बि देखि क अजक्यै खै चौंकणी
विदेशी ब्वोलिक मीडिया बि मनी च टौंखिणी।।
इन ह्वैग्याई त ह्वैग्याई........................
कश्मीरी मा ढुँगा ध्वल्दरा खूब हुंयां छी
यो त कतगै आर्मी क बाढ मा बचैयां छी
यो चलन सर्या देश से गद्दारी कु चा ।
ये घौ थैई मोदी जी बगतल खत्म कारा
अब बगत इतिहास मा नै पारी कु चा।।
इन ह्वैग्याई त...............................
घाटी मा राजनीति कु गठजोड हटावा।
माटी का गद्दारूँ क नामो निशान मिटावा।।
लगणु संसद मा लूला लंगडा बच्याणा छी
वो ढुंगौं ल फौजी ना देश थैं कच्याणा छी।
अब आसार राष्ट्रपति शासन का लगणा छी।।
इन ह्वैग्याई त.................................
सोनू निगम लाउडस्पीकर हटवाणा
निन्द अर जंता बि अजान से परेशान चा।
मौलवी मुंड सफाचट कु फतवा सुणाणा
फतवा सूणिक लोकतंत्र हुयुँ हैरान चा।।
इन ह्वैग्याई त ह्वैग्याई...........................
दिल्ली मा एमसीडी खुणि वोटिंग ह्वै
मीडिया सर्वै मोदीजी थै जिताणा छी।
लगणु चा गोवा पंजाब जन यख बि
सरजी कटगडा चाणा बुखाणा छी।।
इन ह्वैग्याई त.....................................
दिल्ली मा एयरफोर्स क अफसर पिटैई
यैमा कैथै बुरै नजर नि आणी चा।
लोकतंत्र कि आड मा जंता यो कनु चरखा चलाणी चा।।
ब्यालि सुकमा क नक्सली घटना ह्वै कर्युं बडु यो आघात चा।
मोदीजी अब दिखावा दम नथर यो त बडी शर्म की बात चा।।
इन ह्वैग्याई त ह्वैग्याई.............................
हज्जि ऐथर****

••••=59.
°°°°°°°°◆◆◆◆◆°°°°°°°°
मि बि गढवली छूँ भैजी।
वीर चंद्र सिंह नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
नरेंद्र सिंह नेगी नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
अजित डोभाल नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
विपिन रावत नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
अजय भट्ट नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
योगी आदित्यनाथ नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
क्वी पत्रकार नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
क्वी गितार नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
क्वी चित्रकार नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
क्वी गद्दार नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
क्वी फनकार नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
मि क्वी बेकार नि छूँ भैजी।।
मि बि गढवली छूँ भैजी।
भले मि 'अजनबी' छूँ भैजी।।
•••••=60.
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तु सदनि अफ्थैं बडु से बडुु चिताणु रै भुला।
तिल भित्रक बिरणा बणैई भैर अपणौं खुणि खुदेणु रै भुला।।
अब्बि तक तिल अपडै नि पछयाणा नातों थै छटयाणुं रै भुला।
मुख समिणी लाटू बणिक पिछनै बटि लथ्याणु रै भुला।।
तिडयणि की ठांठी अल्झै कै हथुंल टैट मस्काणुं रै भुला।
अपडि खुशि मा अपड़ों क बुरु सोचि पापी मनथै बुथ्याणुं रै भुला।।
जो त्वथै आंदा जांदा ख्यालों मा बिसरि नि सकणा तु वुं जनै मुच्छयलु नपाणु रै भुला।
तु अपडै हथुंल छैंदा रिश्तों क कन गालु किटर्णु रै भुला।।
एक घडि मा छ्वीं नि पुरेंदि लाटा तु त अपडि धुन लगाणु रै भुला।
रिश्तों की ग्येड चौबट्ट मा खोलिक तु अपडों की हैंस अफि उडाणु रै भुला।।
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•••••=61.
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हे हम्हर उत्तराखण्ड क्या छो अर क्या ह्वैग्या देखिल्या।
कन स्वाणी रौनक रैंदि छै कै जमन अब त वो बगत नि रैग्या देखिल्या।।
शहीदुं ल कुर्बानी दे राज्य क बान अर राज त नेतों क हथ लगि देखिल्या।
आज त हर चुलखंदि मा राजनीति थडकिणी तब्बि त राज्य क गैराल ह्वैगि देखिल्या।।
वुंल स्वाचु छो कि अलग राज्य बणिक हम्हरू त भलु ह्वालु ।
पर राज्य कु त चौछोडि भलिकै खगिन बिगन ह्वैग्या देखिल्या।।
बर्सु बटि नै राज्य क बान कूणा कुमच्यरों बटि धै धवडि लगणि छै ।
अब धौ सनिकै मिल त कना कुहाल हुंयां छी देखिल्या।।
छै ज्वा देवभूमि कब्बि द्यब्तौं क सिर्वणु आज बणिच वा दारु क ठेकादरुं क मैत देखिल्या।
जि धर्ति मा जाडा ब्वाटों कि बयार रैंदि छै वख ब्वगणि च आज दारु की नयार देखिल्या।।
भै भै कु जख एक हि रस्वडु हूंद छो आज वै रस्वोडा मा चकडैतूं कि हुईंच मौज बहार देखिल्या।
जै मुल्क क हवा पाणि क कर्जदार छो हम वैकु चुकोला कनक्वै उधार देखिल्या।।

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*****छ्वीं•••••=62.
★★★★★
ये रुप्या ! बिचरा सब त्यारै बान
अटगणा भटगणा छी दाना ज्वान
त्येरि अदंलि लगंद सर्या दुन्या
त्वै पैथर माखा सि रिटणा छी इंसान
ये पापी कलजुग मा सचै सब
भगवान पुज्येण्या त्यारै बान
ये रुप्या बिचरा सब त्यारै बान.........
त्यारा चेला भगत यख इंसान
उठदा बैठदा चलदा फिरदा लोग
खैरि खाणा छी त्यारै बान
हूणूँ त्वै पाणा क प्रपंच तमान
ये रुप्या बिचरा सब त्यारै बान .........
सींदा खांदा आंदा जांदा
फजल ब्यखुनि त्यार हि गुणगान
त्वै पैथर लदवडि् तडम लगद
भूक बि लगि जांद मुकदान
ये रुप्या बिचरा सब त्यारै बान ..........
त्वै पिछनै ना क्वी ग्वारु कालु
कुबरणी लौबाणि सब एक समान
त्वै पिछनै अब हूण लग्यूँ चा
रिश्ता नातों मा भलिकै फुकान
त्वी छै श्रद्धा, त्वी छै मान
ये रुप्या बिचरा सब त्यारै बान .......
त्वी छै अब फौंदारी शान
खुमसेणा रैंदि सब त्यारै बान
त्यारु गुलाम ह्वैग्या इंसान
वुन सर्या मुंडरु हुंयुं रैंद
रोज रोज सिर्फ त्यारै बान।।
=
काम काज करण वोला सब्या डुट्याल नि हूंदा रै।
तड तड बच्याण वोला सब्या छुंयाल नि हूंदा रै।।
कब्बि कब्बि लोग टौंखिणी मारिक सुद्दि नि रुंदा रै।
ई दुन्या मा कतगै मनिखि सिर्फ नौ कै ज्यूँदा रै।।
अब नि दिख्येंदा कखि ना धम्येला ना लटकण्या फूंदा रै।
छुछौ हर्चिग्या अब बीच कपलि कि स्यूंदा रै।।
म्वडब्वका काम लाटा कब्बि भला नि हूंदा रै।
कुलौं की डाल्यूँ फर त निक्वाल नि हूंदा रै।।
छ्वीं बथौं मा सदनि सवाल जबाब नि हूंदा रै।
बिना फट्ला रड्या का कब्बि धुरपला नि च्वुंदा रै।।
बिना पाणी क सूखा शंख पाणी च त सब ज्यूँदा रै।
सुद्दि बिरणों थैई बि दोष क्य दीण 'जुयाल'
जब भितरा कै अपडा नि हूंदा रै।।

=
हलकर्या बौ......
-
भैजि की जिकुडि घडि घडि झूरा।
हलकर्या बौ का त दियूरै दियूरा।।
जण्चारेक ना जिठणा भतिजा बि पूरा।
हलकर्या बौ का त दियूरै दियूरा।।
बौ की छुंयुंमा लपोडे जंदि उत्येड्या दियूरा।
बौ सानि सान्यूं मा ख्यल्द कुश्ती नूरा।।
बौजि थै देखणा कु द्यूरुं क जिकुडा कबलंदि।
कूणा कुमच्यरों बटि 'बौ प्यारी बौ' धैई लगंदि।।
रपचट्या स्वभौ से बौजि नौ प्वड्यूँ च हलकर्या।
छवटा बडा सब रंगतें जंदि बौ बणि च सरकर्या।।
जब जब बौ जनै भैजि ल करलि आंख्यूं ल घूरा।
खति गीं तब घलत्वण्या छुंयुंमा भ्यलि का चूरा।।
=
लिख्वार-
©®-✍वीरेन्द्र जुयाल 'अजनबी'
फरसाडी पलतीर क्लब
दिनांक-21-05-17.
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