Importance of Understanding Features of Worldwide Destinations in Tourism Development
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग29
लेखक : भीष्म कुकरेती
(विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
आज पर्यटक व्यवसायी को जागतिक पर्यटक स्थलों पर्यटन विपणन की मोटे तौर पर आवश्यक है।
(Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--29)
(विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
जागतिक पर्यटन संबंधी कुछ जानकारियां इस प्रकार हैं -
कुछ स्थान दूसरे स्थलों के लिए पर्यटन द्वार होते हैं। जैसे दक्षिण प्रशांत एसिया चीन अदि के लिए हांगकांग पर्यटन द्वार है। जमनोत्री ,गंगोत्री , केदारनाथ व बद्रीनाथ हेतु ऋषिकेश प्रवेश द्वार है।
प्रत्येक स्थान प्रत्येक पर्यटक के लिए सुलभ नही हो सकता है। या प्रत्येक पर्यटक स्थल की दूरी व सुलभता अलग अलग होती है। जैसे तुंगनाथ जाने की सुलभता बद्रीनाथ से अलग व भिन्न है।
कुछ पर्यटक स्थल दूसरे बराबरी के पर्यटक स्थल से अधिक पर्यटक रिझाने में समर्थ होता है। जैसे हिमाचल गैर धार्मिक यात्रियों को आकर्षित करने में उत्तराखंड से अधिक सक्षम है।
अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका पर्यटकों को कम आकर्षित करते हैं जब कि ये महाद्वीप /उपमहाद्वीप अपने आप में विलक्षण हैं।
एसिया की जनसंख्या अधिक होने के बाद भी दुनिया के सबसे व्यस्त 30 एयरपोर्टों में से एसिया के केवल पांच एयरपोर्ट ही हैं।
विश्व में टाइम जोन व जलवायु
विश्व का कोई भाग एक जैसा नही है। उसमे विभिन्नताएं हैं। एक कारण टाइम जोन का वैशिष्ठ्य भी है। जैसे यदि अभी भारत में रहे हैं तो लंदन में समय कुछ और ही होगा और कनाडा मे कुछ और।
विश्व में समय मानक ग्रीनविच मीन टाइम (GMT ) है।
किस पर्यटक स्थल में किन किन देसों के पर्यटक अधिक आते है को ध्यान में रखकर पर्यटक व्यवसायी को टाइम जोन का ध्यान रखना होता है। बहुत से देसों में समय मानक साल में दो बार जाता है जैसे ब्रिटेन में दो बार मानक बदले जाते हैं।
इसी तरह अक्षांक रेखाओं का ज्ञान भी कई पर्यटक व्यापारियों को होना आवश्यक है। जैसे
सिंगापूर - इक्वेट्रल अक्षांस है
हॉन्गकॉन्ग -टॉपिकल है
मियामी -सब ट्रोपिकल है
पेरिस -टेम्परेट है
जलवायु च समय
जलवायु भी पर्यटन को प्रभावित करती है। जैसे जाड़ों में गुजराती प्रवासी इंग्लैण्ड से भारत आते हैं।
इक्वेट्रल जोन - जैसे ब्राजील -सभी मौसमों में ग्राम , वाष्पपूर्ण , आद्रतापूर्ण
ट्रॉपिकल (उष्ण कट वंधीय ) - अफ्रिका या दक्षिण भारत जहां जाड़ों का मौसम कम ही होता है।
ट्रॉपिकल मानसून - जैसे भारत में
ट्रॉपिकल डिजर्ट - ग्राम रेगिस्तान जैसे सहारा का रेगिस्तान
वार्म टेम्परेट (गर्म )- गर्म गर्मी का मौसम , जड़ों में ठंड जैसे उत्तरी भारत व मध्येशिया
कूल टेम्पेरेट - जैसे कनाडा आदि। बद्रीनाथ भी इसी श्रेणी में आता है
आर्कटिक - स्कैंडीवियन देस (डेनमार्क , स्विट्जरलैंड , नॉर्वे आदि ) - जाड़ों में कड़ाके की ठंड पड़ती है
ध्रुवीय जोन - बर्फीला स्थल जैसे ग्रीनलैंड
इसी तरह वर्षा की मात्रा भी जलवायु परिवर्तित करती है और यही प्रतिवर्तन पर्यटन स्थल की विशेषता बन जाता है
भारतीय महाद्वीप में जलवायु परिवर्तन वर्ष में छह बार होता है जो पर्यटन को प्रभावित करता है। यदयपि दक्षिण भारत में जलवायु में परिवर्तन अधिक नही होता है किन्तु यहाँ पहाड़ियों में जलवायु परिवर्तन होता है।
आद्रता भी जलवायु परिवर्तन की निसानी होती है।
जलवायु परिवर्तन से पर्यटक स्थल में सुविधाओं में परिवर्तन करना पड़ता है। जैसे देहरादून के होटलों को जाड़ों में रूम हीटर की सुविधा देना व गर्मियों में ऐयरकुलिंग की सुविधा प्रदान करना ।
जलवायु परिवर्तन पर्यटकों के आकर्षण व्यवहार में परिवर्तन लाते हैं। जैसे प्रवासियों के बुजुर्ग माँ बाप जाड़ों में मैदानो में अपने बच्चों के साथ रहते हैं और गर्मियों में पहाड़ों में आ जाते हैं।
Copyright @ Bhishma Kukreti 1 /1/2014
Contact ID bckukreti@gmail.com
Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी …
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन परिकल्पना ,शैलवाणी (150 अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
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