चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
राज्य शिक्षा मंत्री घ्याळ दा आज एकाद घंटा कुण खाली छा याने प्राइवेट सेक्रेटरी या चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी बिहीन छया। घ्याळ दा तैं समज मा ऐ गे कि मंत्र्युं हालात बद्रीनाथ जी जन च। गढ़वा राजा बद्रीनाथ का नाम से राज करदा छा। सब सुकर्म या कुकर्म बद्रीनाथ जीक नाम से ही हूंद छा अर बिचारा बद्रीनाथ जी सिर्फ पत्थर बौणिक कुकर्म देख सकद छा अर कुछ कौर नि सकद छा। अबौ समौ पर बि मंत्री असल मा एक मूकदर्शी हूंद अर चलदी तो प्रशासनिक अधिकार्युं की ही च।
घ्याळ दाक प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल जी अर चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी रावत जी , एज्युकेशन सेक्रेटरी कौशिक जी , परमानेन्ट अंडर सेक्रेटरी चड्ढा जी अर डेप्युटी सेक्रेटरी सबि राज्य चीफ सेक्रेटरी द्वारा बुलाईं मीटिंग मा जयां छया।
यदि सेक्रेटरी नि ह्वावन तो मंत्री बैशाखियुं बगैर डूंड मनिख ह्वे जांद। सेक्रटरी नि ह्वावन तो मिनिस्टर लकवा मार्युं मनुष्य जन ह्वे जांद।
घ्याळ दा अपण ऑफिस मा बैठ्याँ छा अर मेज मा एज्युकेशन मिनिस्टर की कार्य दैनंदनी याने डायरी पड़ीं छे। यद्यपि डायरी एज्युकेशन मिनिस्टर की च पण डायरी भरणो काम मंत्री जीक प्राइवेट सेक्रटरी करद। या डायरी हर समय माणावाल जीक रौंद। जल्दी बाजी मा आज माणावाल जी यीं डायरी मिनिस्टर साब की मेज मा छोड़ी चलि गेन।
घ्याळ दा मा करणो कुछ नि छौ त डायरी दिखण लगी गेन। अगला एक साल तक का वास्ता मंत्री जीक हरेक दिन का अप्वाइंटमेंट छौ।
डायरी दिखद दिखद घ्याळ दा तैं एक कागज मील डायरी पर चिपकायुं छौ। लेटर हेड इन्डियन ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस ऐसोसिएसन लखनऊ कु छौ। अर शीर्षक छौ प्रशासनिक अधिकार्युं वास्ता अमर नियम। तारीख 22 दिसंबर 1997। .
प्रशासनिक अधिकार्युं वास्ता अमर नियम इन छा -
१- मंत्री आंद छन जांद छन। औसतन एक मंत्री विभाग मा अठारा मैना कुण ही रौंद।
२- प्रशासनिक अधिकार्युं मुख्य जुम्मेदारी च कि मंत्री लोग विभाग का बजट अपण मर्जी से खर्च नि कारन। मतबल प्रशासनिक अधिकारीक कर्तव्य च कि मंत्री तैं खर्च करण से रुकण। इखमा मंत्री तैं मानसिक परेशानी हूणी ह्वावो तो हूण द्यावो।
३- मंत्री तैं हर समय, प्रत्येक पल मानशिक परेसानी मा रौण चयेंद ; आतंकित रौण चयेंद, मंत्री का आस पास -हर बगत अफरा तफरी को माहौल हूण चयेंद। राजनीतिज्ञ पैनिक अवस्था पसंद करदन । राजनीतिज्ञ अफरा तफरा से प्यार करदन। राजनीतिज्ञ हर समय क्रियाशील रौण चांदु। आतंकित अवस्था या अफरा तफरी की स्थिति याने पैनिक सिचुएसन से रणजीतिग्य क्रियाशील रौंद। राजनीतिज्ञ इन क्रियाशीलता तैं अपण सफलता समजद।
४-जब भी क्वी मंत्री कुछ भी चाहे सही बात बि ब्वालो तो भी प्रशासनिक अधिकारी तैं पैल ना बुलण चयेंद। मंत्री की जायज मांग पर भी बहस करण चयेंद। . आखिर विधायक क्वी जनता का चुन्यूं प्रतिनिधि छैंइ नी च। वै तैं त राजनीतिक दल चयन करद याने मनोनीत करद अर जनता राजनीतिक दलों द्वारा मनोनीत सदस्यों मादे कै एक कु चयन करद।
५- कै बि विधान सभा मा सौ विधायकों मादे कम से कम पचास सरकारी दल का हूँदन। यूं पचास मादे पंद्रा विधायक इथगा बुड्या अर मुर्ख हूंदन कि अपण गां क्या अपण परिवार मा बि मुखिया पद लैक नि रै जांदन। पचास विधयकों मादे पंद्रा विधयाक जवान अर अनुभवहीन हूंदन। पांचेक विधायक त इन हूँदन जौं तैं खौड़ सुरणै बि तमीज नि हूंद। बस पचास विधयकों मादे दस या बारा ही मंत्री बणन लैक हूँदन। पण राजनीतिक दलों मा चुनाव जितणो ध्येय का कारण क्वी बि मंत्री बौण जांद।
६- याने मंत्री बणणो बान क्वी प्रोपर सेलेक्सन प्रोसेस अर प्रशिक्षण नि हूंद। प्रजातांत्रिक व्यवस्था मा क्वी बि मोळ माटौ मादेव मंत्री बणी जांद।
७- - याने कि मंत्री बणणो चुनाव प्रक्रिया ही गलत च तो हम प्रशासनिक अधिकार्युं प्रमुख कर्तव्य च कि इन लियाकत हीन मंत्र्युं से सही निर्णय लिवावां याने निर्णय हमारो हो अर ठप्पा योगयताहीन मंत्री को हो। राजा महानंद ह्वावो या चन्द्रगुप्त मौर्य ह्वावो निर्णय तो प्रधान आमात्य राक्षस या महा आमात्य चाणक्य को ही हूण चयेंद।
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा प्रशासनिक अधिकार्युं वास्ता अमर नियम पौढिक आश्चर्य चकित ह्वे गेन कि आम लोग तो सुचदन कि मंत्री काम करदन जब कि काम क्वी हौरी करदन।
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