चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
जी हाँ ! उत्तराखंड का पहाड़ी इलाकों मा शिक्षा उत्थान मा पटवारी पद कु बड़ु हाथ क्या लम्बो हाथ च। पटवरी पद नि हूंद तो पहाडुं मा शिक्षा विस्तार ह्वैइ नि सकुद छौ। आज बि चपड़ासी , कलर्क , ऑफिसर पद ही पहाडुंम शिक्षा प्रसार कराणु च ना कि सरकारी शिक्षा नीति।
जब अंग्रॆजुं राज आयी तो अंग्रॆजुं तैं गांउं मा व्यवस्था नि बिगड़ो बान पटवार्युं जरूरत पोड। अंग्रॆजुं ही ना आज भि प्रजातांत्रिक सरकार तैं पटवारी -पुलिस -डीएम इलै नि चयांदन कि व्यवस्था मा सुधार ह्वावो या अपराधुं विणास ह्वावो अपितु पटवारी -पुलिस -डीएमकी जरूरत इलै पड़दी कि व्यवस्था नि बिगड़ जावो। पटवारी -पुलिस -डीएम व्यवस्था सुधार का वास्ता नि धरे जांदन बल्कि सरकार का विरोधी खतम करणो बान पटवारी -पुलिस -डीएमुं नियुक्ति हूँद। अंग्रॆजुंन पटवारी पद इलै राख कि पटवारी अंग्रॆजुं स्वार्थ सिद्धि का विरुद्ध अपराधी जनम नि ल्यावन। अंग्रेजुं तैं अपराध ख़तम करणै नि पड़ीं छे अपितु अपण स्वार्थ का विरोधियों की चिंता अधिक छे। आज बि अर तब बि पटवारी -पुलिस अपराध जन्म नि ल्यावन की दिसा मा काम नि करदि बलकणम अपराध्युं तैं पकडनो काम करदि। हमर सरकार या समाज मा बि अपराध पैदा नि ह्वावन का बान कुछ नि हूंद बस अपराध्युं तैं दंड मिलणो बात हूंदी। अजकाल घूसखोरी या बलात्कार रुकणो बान नया नया क़ानून बणाणो बान लोग बाग़ चुनाव जितणा छन पण क्वी माई की बेटी या लाल इन नि बुलणु च कि हमर सरकार बगैर क़ानून का बि भ्रस्टाचार या बलात्कार पर लगाम लगै सकद। क़ानून एक नॉन बायलॉजिकल (गैर जीविक ) विकल्प च अर इलै कानून की अपणी कमजोरी हूंद। बलात्कार या भ्रस्टाचार रुकण तो बायोलॉजिकल (जैविक ) कदम उठाण जरुरी हूँदन।
हाँ त मि बुलणु छौ कि अंग्रॆजुं तैं अपण स्वार्थ पूर्ति का वास्ता पटवार्युं जरूरत पोड़ तो ऊन पूर्व राजाओं का ही लेखावार पटवारी -कानूनगो बणैन। फिर जौं तैं पढ़न लिखण आंद छौ ऊं तैं पटवारी बणैंन। इलै अगर इतिहास दिख्ल्या त पैल्या कि पैलाक पटवारी संस्कृत जाणण वाळ बामण ही छा। पुरण जमानो मा पटवारी तैं फट्टी -रान भिजणो जु रिवाज छौ वांक पैथर कारण छौ कि पैल पैल उच्च जातिक बामण पटवारी बणिन। तो सिर्री पर पंडितों अधिकार अर फट्टी -रान पर पटवारी को अधिकार जन रिवाज पहाड़ों मा आइ। आज बि गैरकानूनी तौर पर सुंगर मारो तो सुंगरौ फट्टी -रान पटवारी चौकी पौंचण जरूरी च।
जब अंग्रेजुं तैं कारिंदों जरूरत ह्वे तो ऊन स्कूल खोलिन अर पैल पैल स्कूलम मास्टर बि वी बामण बणिन जु संस्कृत जाणदा छा। फिर जु मास्टर कामौ मास्टर हूंद छौ वै तैं अंग्रेज पटवारी बणै दींदा छा। बस क्या छौ लोग अपण बच्चों तैं स्कूल इलै नि भिजदा छा कि नौनु शिक्षित ह्वे जावो अपितु बच्चों तैं स्कूल इलै भिजे जांद छौ कि नौनु पटवारी बण जावो। पैल पैल पटवारी वी बौण सकुद छौ जु मास्टर ह्वावो। अर पटवारी बणणो लोभ मा दर्जा चार पास बच्चा या नौनु मास्टर बणदु छौ अर ये चक्कर मा स्कूलूँ तैं मास्टर मील जांद छा। मास्टर बणनो बान क्वी बि मास्टर नि बणदो छौ बल्कि उद्येस्य पटवारी पद प्राप्त करण हूंद छौ।
अजकाल बि क्वी बि अपण बच्चा तैं मायो या दून स्कूल मा इलै नि भिजद कि बच्चा सफल अध्यापक ह्वावो बल्कि बच्चों तैं अच्छी -उत्तम शिक्षा इलै दिए जांद कि बच्चा कै कम्पनी कु डायरेक्टर , इंजिनियर , डाक्टर , प्रशासनिक अधिकारी , मैनेजर बौण।
आज बि क्वी बि माँ -बाप इन सुपिन नि दिखद कि ऊंकी संतति अध्यापक बौण। क्वी बि बच्चा इलै नि पड़द कि वू विश्वविद्यालय मा प्रोफेसर बौण।
जवान नौनी -नौनु अध्यापक बणणो प्रशिक्षण तबि लींद जब पटवारी याने कम्पनी कु डायरेक्टर , इंजिनियर , डाक्टर , प्रशासनिक अधिकारी , मैनेजर, अधिकारी , कलर्क बणणो सब विकल्प बंद ह्वे जांदन।
आज बि पटवारी बणनो चक्कर मा बच्चा पढ़ना छन अर जब हौर नौकरी नि मील त मन मारिक अध्यापक बणना छन।
पटवारी पद ही शिक्षा प्रसार कु आधार च।
Copyright@ Bhishma Kukreti 20 /1/2014
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