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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, January 21, 2014

उत्तराखंड परिपेक्ष में पपीता का भारत में इतिहास

History Aspects of Papaya (Carica papaya ) Fruits in India in context Uttarakhand 

                                                             उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --69  
                                        History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes  in Uttarakhand -69


                                                                आलेख :  भीष्म कुकरेती

उत्तराखंडी नाम -पपीता 

हिंदी नाम -पपीता 

जन्मस्थल - दक्षिण अमेरिका , मेक्सिको , 
पोर्टगीज या स्पेनिश यात्रियों याने व्यापारियों द्वारा मैक्सिको से फिलिपाइन और फिर  दक्षिण प्रशांत सागर क्षेत्रों में पपीता का प्रवेश हुआ।   मनीला से मलाका होते हुए सोलहवीं सदी  (1598 ) में पपीता का प्रवेश भारत में हुआ । ऐसा लगता है कि उत्तराखंड में अंग्रेजी सहसन काल में पपीते की खेती प्रारम्भ हुयी या प्रचुरता आयी।
पेड़ - एक मीटर से दस मीटर तक ऊंचा , दस से अधिक फल देने वाला पेड़ , चार पांच साल तक जीवित रहने वाला पेड़। 
उत्तराखंड में पपीता तराई , भाभर व कम उनचाही वाले क्षेत्र में उगाया जाता है।  पपीता ठंड , बर्फ व पाला शान करने में असमर्थ होता है अत: अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नही उगाया जाता।
पपीता का प्रयोग  फल के अतिरिक्त की सब्जी , सलाद भोजन रूप में होता है। 
पपीता का सलाद बनाने के लिए कच्चे पपीता का छिलका उतारकर उसे कुर्सा जाता है और कुरसे  हुए पपीता में नीम्बू निचोड़कर नमक मिर्च मिलाया जाता है। 
सब्जी बनाने के लिए छिलके उतारे पपीता को जैसे moolaa काटा जाता है और mulaa  जैसे ही सब्जी बनाई जाती है। 
पपीता की सब्जी में दही या छांछ मिलाकर खट्टी सब्जी व छांछ -दही और गुड या चीनी मिलाने से खट्टी -मीठी सब्जी बनाई जाती है। 


 Copyright Bhishma Kukreti  21 /1/2014 
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