चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं प्राइवेट सेक्रेटरी (जु असलम सरकारी ऑफिसर ही छन ) माणावाल जीन बथै बल भोळ कै विकासशील (गरीब ) अफ्रीकी देस पिरांडा का उप प्रधान मंत्री उत्तराखंड आणा छन। अर राजकीय सम्मान का साथ दून स्कूल अर एक म्युनिस्पल स्कूल दिखाण )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा - माणावाल जी ! इ पिरांडा देस क्या च भै ?
प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल -सर मि तैं बि बिंडी पता नी च पण भोळ इक बिटेन एयरपोर्ट जाण से पैल आप तैं सारी सूचना अर प्रोटोकॉल का सरा विवरण मिल जाल। सुबेर तलक दिल्ली बिटेन एक अंडर सेक्रेटरी लेवल कु अधिकारी बि ऐ जालु जु आपक दगड़ रालो।
घ्याळ दा -या एक त्रासदी च कि गरीब मुल्क गरीबी की मार अलग झेळदन अर फिर न्याड़-ध्वार का देस आपस मा झगड़दन तो और बि गरीब हूंद जांदन।
माणावाल -अर सर ! दिस इज नॉट न्यू टु हिस्ट्री !
घ्याळ दा -हां। इनी गढ़वाल -कुमाऊं का शाह अर चंद राजाओं इतिहास बि च। आपस मा एक हैंक तैं नीचा दिखाण मा दुइ देसुं राजाओंन अपण स्वतंत्रता बादशाह शाहजहां का पास गिरबी राख अर महाराज से मुग़ल सल्तनत का जागीरदार ह्वेन।
माणावाल -जी अर गोरख्याणी से पैल त यी आपस मा इन लड़िन मरिन कि अंतत: दुइ देस गुर्ख्यों गुलाम बणिन।
घ्याळ दा -इतिहास अपने को इसीलिए दोहराता है क्योंकि हम इतिहास से नही सीखते हैं।
माणावाल -यस सर !
घ्याळ दा - खैर एक बात बतावदी यि पिरांडा कु उप प्रधान मंत्री क्याक बान उत्तराखंड आणा छन ?
माणावाल -सर ! पिरांडा मा नब्बे टका निराक्षर छन तो उखक नीतिकार चाणा छन कि उ हमसे सीख ल्यावन कि शिक्षा प्रसार कनकैक करे जांद।
घ्याळ दा -नौ मण नंदु कौँक खावन नंदु कौमा छांचि जावन। हिंदुस्तान तै इ समज मा नि आणु कि गड्ढा मा , गर्त मा जयीं शिक्षा कु पुनरुद्धार कनै करे जावो अर उ हमसे सिखणो आणा छन कि शिक्षा कन हूण चयेंद !
माणावाल -यस सर ! बट सर !
घ्याळ दा -तो यु दून स्कूल दिखाणो क्या तुक च भै ?
माणावाल -सर अब रेपुटेसन कु बि त सवाल च कि ना ?
घ्याळ दा -क्याक रेपुटेसन ? यदि दिल्ली वाळु तैं अपण रेपुटेसन की इथगा ही चिंता च त ठोस भविष्य दर्शी ठोस नीति किलै नि बणान्दन ?
माणावाल -सर आप इख बि रूलिंग पार्टी का मंत्री छन अर दिल्ली मा बि आपकी ही सरकार च।
घ्याळ दा -तो क्या मि एक भारतीय नागरिक कु हैसियत से शिक्षा व्यवस्था मा निरंतर ह्रास का प्रति अपण दुःख प्रकट नि कौर सकुद ?
माणावाल -यस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -मतबल ?
माणावाल -सर आम भारतीय नागरिक का हिसाब से आप चिंता व्यक्त कौर सकदां पण सरकारी दल का नेता ह्वैक आप गलती स्वीकार नि कौर सकदा। मिनिस्टर हैव टु बि मोर हिपोक्रेट।
घ्याळ दा -अच्छा एक बतावो दून स्कूल की प्रगति या वैशिष्ठ्य मा उत्तर प्रदेस या उत्तराखंड सरकारों क्या योगदान च ?
माणावाल -सर भौत बड़ो योगदान च।
घ्याळ दा (जोर से ) -क्या ?
माणावाल -जी हाँ ! आज यदि दून स्कूल की अपणी बड़ी हैसियत सुरक्षित च तो इखमा राज्य सरकार को ही बहुत बड़ो हाथ च।
घ्याळ दा - पर एकाद बात त बतावो कि सरकार को कै कर्म से दून स्कूल की इथगा बड़ी हैसियत बरकरार च ?
माणावाल -सर अब मि अलाइड इन्डियन ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस अधिकारी का हिसाब से नि बुलणु छौं।
घ्याळ दा -तो
माणावाल -मी बि एक आम भारतीय नागरिक कु हिसाब से बुलणु छौं कि दून स्कूल आज दून स्कूल रयुं च तो इलै च कि इखमा राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार की डाइरेक्ट दखलअंदाजी नी च
घ्याळ दा (अट्टहास )- माणावाल जी …… वाह ! वैल सेड… आपने सही कहा कि चूँकि दून स्कूल में सरकारी दखलंदाजी नही है तो यह स्कूल अपनी प्रतिस्ठा बरकरार रख सका। वाह … ।
माणावाल -सर बुरु नि मानिन हां !
घ्याळ दा -पण माणावाल जी ! शिक्षा स्तर गिरण मा क्या केवल सरकार को ही हाथ च ? शिक्षा स्तर गिरण मा समाज की बि उथगा ही जुमेवारी च जथगा कि सरकार की। नि बोल जाण ?
माणावाल -राइट सर ! बट सर !
घ्याळ दा -भौत बड़ो देस त नि होलु ?
माणावाल -ना ना। अबि एक साल पैल उना ब्रिटिश रूल खतम ह्वे तो लड़ाई -झगड़ा क कारण एक साल मा चार नया देस बणी गेन। अर पडोसी देस निरंतर लड़ाइयुं माँ संलग्न रौंदन। घ्याळ दा -या एक त्रासदी च कि गरीब मुल्क गरीबी की मार अलग झेळदन अर फिर न्याड़-ध्वार का देस आपस मा झगड़दन तो और बि गरीब हूंद जांदन।
माणावाल -अर सर ! दिस इज नॉट न्यू टु हिस्ट्री !
घ्याळ दा -हां। इनी गढ़वाल -कुमाऊं का शाह अर चंद राजाओं इतिहास बि च। आपस मा एक हैंक तैं नीचा दिखाण मा दुइ देसुं राजाओंन अपण स्वतंत्रता बादशाह शाहजहां का पास गिरबी राख अर महाराज से मुग़ल सल्तनत का जागीरदार ह्वेन।
माणावाल -जी अर गोरख्याणी से पैल त यी आपस मा इन लड़िन मरिन कि अंतत: दुइ देस गुर्ख्यों गुलाम बणिन।
घ्याळ दा -इतिहास अपने को इसीलिए दोहराता है क्योंकि हम इतिहास से नही सीखते हैं।
माणावाल -यस सर !
घ्याळ दा - खैर एक बात बतावदी यि पिरांडा कु उप प्रधान मंत्री क्याक बान उत्तराखंड आणा छन ?
माणावाल -सर ! पिरांडा मा नब्बे टका निराक्षर छन तो उखक नीतिकार चाणा छन कि उ हमसे सीख ल्यावन कि शिक्षा प्रसार कनकैक करे जांद।
घ्याळ दा -नौ मण नंदु कौँक खावन नंदु कौमा छांचि जावन। हिंदुस्तान तै इ समज मा नि आणु कि गड्ढा मा , गर्त मा जयीं शिक्षा कु पुनरुद्धार कनै करे जावो अर उ हमसे सिखणो आणा छन कि शिक्षा कन हूण चयेंद !
माणावाल -यस सर ! बट सर !
घ्याळ दा -तो यु दून स्कूल दिखाणो क्या तुक च भै ?
माणावाल -सर अब रेपुटेसन कु बि त सवाल च कि ना ?
घ्याळ दा -क्याक रेपुटेसन ? यदि दिल्ली वाळु तैं अपण रेपुटेसन की इथगा ही चिंता च त ठोस भविष्य दर्शी ठोस नीति किलै नि बणान्दन ?
माणावाल -सर आप इख बि रूलिंग पार्टी का मंत्री छन अर दिल्ली मा बि आपकी ही सरकार च।
घ्याळ दा -तो क्या मि एक भारतीय नागरिक कु हैसियत से शिक्षा व्यवस्था मा निरंतर ह्रास का प्रति अपण दुःख प्रकट नि कौर सकुद ?
माणावाल -यस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -मतबल ?
माणावाल -सर आम भारतीय नागरिक का हिसाब से आप चिंता व्यक्त कौर सकदां पण सरकारी दल का नेता ह्वैक आप गलती स्वीकार नि कौर सकदा। मिनिस्टर हैव टु बि मोर हिपोक्रेट।
घ्याळ दा -अच्छा एक बतावो दून स्कूल की प्रगति या वैशिष्ठ्य मा उत्तर प्रदेस या उत्तराखंड सरकारों क्या योगदान च ?
माणावाल -सर भौत बड़ो योगदान च।
घ्याळ दा (जोर से ) -क्या ?
माणावाल -जी हाँ ! आज यदि दून स्कूल की अपणी बड़ी हैसियत सुरक्षित च तो इखमा राज्य सरकार को ही बहुत बड़ो हाथ च।
घ्याळ दा - पर एकाद बात त बतावो कि सरकार को कै कर्म से दून स्कूल की इथगा बड़ी हैसियत बरकरार च ?
माणावाल -सर अब मि अलाइड इन्डियन ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस अधिकारी का हिसाब से नि बुलणु छौं।
घ्याळ दा -तो
माणावाल -मी बि एक आम भारतीय नागरिक कु हिसाब से बुलणु छौं कि दून स्कूल आज दून स्कूल रयुं च तो इलै च कि इखमा राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार की डाइरेक्ट दखलअंदाजी नी च
घ्याळ दा (अट्टहास )- माणावाल जी …… वाह ! वैल सेड… आपने सही कहा कि चूँकि दून स्कूल में सरकारी दखलंदाजी नही है तो यह स्कूल अपनी प्रतिस्ठा बरकरार रख सका। वाह … ।
माणावाल -सर बुरु नि मानिन हां !
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माणावाल -राइट सर ! बट सर !
Copyright@ Bhishma Kukreti 5 /1/2014
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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