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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, January 7, 2014

मंत्री नीति बणान्दन या क्राइसिस मैनेज करदन ?

 चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
शिक्षा मंत्री बण्या इथगा मैना हूणों बाद बि घ्याळ दाक  समज मा नि आणु छौ  कि शिक्षा मंत्रालय कु चलाणु च ? घ्याळ दान शिक्षा मुख्य सचिव रावत जी तैं पूछ  बल शिक्षा मंत्रालय कु चलाणु च त रावत जीक जबाब छौ सर आप राजनीतिज्ञ नीति बणौदा अर हम प्रशाशन सेवा का अधिकारी ऊं नीतियुं तैं संविधान अनुसार क्रियावनित करदां।  अर इखिमा घ्याळ दा तैं पेंच दिखेंद। 
एक दिन   घ्याळ दान बोलि  - भई माणावाल जी ! म्यार हिसाब से  जु के जी का बच्चों पढान्दन वूं मास्टरों तैं प्राथमिक स्कूल मास्टर का बराबर तनखा मिलण  चयेंद। 
माणावाल - सर इक पर टिप्पणी करणो अधिकार मंत्रीजीक  प्राइवेट सेक्रेटरी तैं नी च।.
घ्याळ दा -इक माँ टिप्पणी बात नी  च म्यार मानण च कि केजी का टीचर बच्चों  लाइफ बणाणम  बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभांदन। यूं टीचरूं भूमिका इनी महत्वपूर्ण च जन  कै कूड़ो पौ (फाउन्डेसन ) धरद दैं ओड की भूमिका महत्वपूर्ण हूंद तो इन शिक्षकों तैं  वा ही सुविधा मिलण चयेंद ज्वा सुविधा याने तनखा प्राइमरी टीचर तैं मिलद। 
माणावाल - फिर त सर! आपक हिसाब से तो  यूं केजी का टीचरूं ट्रेनिंग पर  बि सरकार तैं इथगा ही खर्चा करण  चयेंद जथगा प्राइमरी टीचर की ट्रेनिंग पर करे जांद । 
घ्याळ दा - ये खर्चा तैं खर्चा नि बुलण चयेंद बलकणम  सरकार कु इन्वेस्टमेंट बुले जाण चयेंद। आखिर यी केजी का टीचरही तो भविष्य का नागरिकों की नींव धरदन । जरा यीं दिशा मा काम करे जावो। यां पर ठोस नीति बणये जावो। 
माणावाल - येस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -नो सर कु मतबल ?
माणावाल - सर इखमा नीति अर इंप्लीमेंटेशन द्वी बथ जुड़ी छन तो चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी मिस्टर रावत ही सही अधिकारी छन जो आपकी जिज्ञासा दूर करी सकदन। 
घ्याळ दा -जिज्ञासा दूर करण मतबल ?
माणावाल -सर म्यार मतबल च कि रावत जी ही बथै सकदन कि आप इख  पर नीति बणै सकदन कि ना ?
घ्याळ दान रावत जी बुलैन त रावत जी बुलण बिसेन - सर आज तो हम तैं एक क्राइसिस सॉल्व करण पोडल !
घ्याळ दा - क्या ?
रावत - सर स्कूल अर गाँव का रस्ता मा जु बि गड्ढा छन वूं गड्ढों तैं भरणै जुमेवारी कैक च ? या वूं रस्तों मा गोरुं मोळ हग्युं पड्यूं हो तो मोळ हटाणो जुमेवारी कैक च ?
घ्याळ - इकमा क्यांक क्राइसिस ? ग्राम सभा को काम च कि गांवक रस्ता साफ़ रावन या रस्ता हिटण लैक ह्वावन। 
रावत - हां पण  ग्राम पंचायत विभाग बुलणु च कि स्कूल रस्ता की देखरेख तो शिक्षा विभाग ही तैं दिखण चयेंद। 
घ्याळ दा - तो अब ?
रावत - अब आप तैं पंचायत विभाग मंत्रालयौ कुण  एक स्ट्रोंग मेमो भिजण पोड़ल। 
घ्याळ दा -ठीक च पत्र ल्याखो !
रावत - माणावाल ! शिक्षा  विभाग कु लीगल विभाग से  सलाह लेक एक स्ट्रोंग मेमो पंचयत विभागौ कुण  आज ही जाण चयेंद।  
घ्याळ दा - अच्छा मि बुलणु छौ कि केजी का मास्टरुं दशा मा सुधार हूण चयेंद। 
रावत - सर आपन भौत ही महत्वपूर्ण विषय उठाइ किन्तु मि ग्राम पंचायत अर आधारिक विद्यालयों  टकराव कनकैक रुके जाव की  कोन्फेरेंस मा भाग  लीणो जाणु छौं।  माणावाल जी ! मिनिस्टर साबौ क्या प्रोग्रैम च ?
माणावाल - मंत्री जी तैं आधा घंटा मा सार्वजनिक कार्य मंत्रालय अर शिक्षा मंत्रालय की समन्वय समीति की बैठक मा जाण। 
रावत - तो तुमन मंत्री जी तैं ब्रीफ कौर याल कि ना कि यीं मीटिंग मा शिक्षा विभाग की स्ट्रोंग हिसाब से पैरवी करण। 
माणावाल - सर मंत्री जी केजी का टीचरूं दशा पर विचार  ....... !
रावत ( जोर से डांटदन ) मिस्टर माणावाल ! केजी स्कूलूँ का मास्टरुं  जन उयाद, बेकार  विषय पर तुम शिक्षा मंत्री कु कीमती समय बर्बाद करणा छंवां ? डोंट यू हैव ऐनी सेन्स ऑफ व्हाट इज इम्पोर्टेंट ऐंड व्हाट इज नॉन इम्पोर्टेंट सब्जेक्ट ?
माणावाल - सॉरी सर !
(घ्याळ दा समजि गे छा कि रावत जीन ब्वाल  त माणावालौ कुण छौ पण सुणाइ घ्याळ दा तैं छौ )
इनी जब बि घ्याळ दा नीति विषयक विषय उठांदा छा तो विभाग मा कथगा इ क्राइसिस  ऐ जांद छा अर नीति निर्धारण  से जादा क्राइसिस मैनेजमेंट कु काम  घ्याळ दा तैं करण पोड़द छौ। शायद सही शब्द च कि शिक्षा  मंत्री तैं मोळ माटौ  मादेव बौणिक क्राइसिस मैनेज करण पोड़द।  

अब तलक घ्याळ दान अपण एक बि नीति नि चलाइ फिर बि  जगा जगा हल्ला हूंद बल सरकार की नीतियों कारण विकास हूणु च य़ा विकास विकास नि हूणु च। 



Copyright@ Bhishma Kukreti  8 /1/2014 



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