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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, January 2, 2014

प्रोबेसनरी ऑफिसर याने पहाड़ जाणो बान गऴया बौड़ !

 चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
(ब्याळि आपन पौढ़ कि शिक्षा मंत्री घ्याळ दा तैं अपण कार्यकर्ता तैं ठहराणो वास्ता शिक्षा विभागौ गेस्ट हॉउस मा कमरा चयेणु छौ।  त प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल जीन सूचना देकि गेस्ट हाउस दस साल तलक बुक च।  सबसे मथि मंज्यूळ पर कुमाऊं अर गढ़वाल मंडल का क्षेत्रीय निदेशकुन अड्डा जमायुं च। )
घ्याळ दा -माणावाल जी ! जगमोहन तैं मथ्या वीआइपी कमरा नि चयाणा छन।  साधारण कमरा से काम चलि जाला जख भितरी टट्टी पेसाबो इंतजाम हो। 
माणावाल -हां ग्राउंड फलोर मा इन कमरा छन जख बाथरूम ट्वाइलेट की सुविधा भितरी च।    एक कमरा मा दुयुं तैं रौण पोड़द अर मेज कु इंतजाम नी च।
घ्याळ दा -मेज कु क्वी जरूरत नि पोड़लि।  पढ्युं लिख्युं ह्वेक बि जगमोहन अपण घरवाळि कुण चिठ्ठी कै हैंक से ही लिखवांदु छौ। 
माणावाल -वेरी स्ट्रेंज ! पौढ़ लेखिक फिर बि गां मा ?
घ्याळ दा -किलै अपवाद नि हुन्दन। 
माणावाल -एस सर ! कुछ बेढंगा लोग बि हूंदि  छन।
घ्याळ दा -हां तो माणावाल जी ! जगमोहन कु इंतजाम ग्राउंड मा कै कमरा मा करे दयावो . ठीक च !
माणावाल -येस सर ! नो सर !
घ्याळ दा -क्या मतलब ?
माणावाल -सर ग्राउंड फलोर का सब कमरा ओवर ऑक्युपाइड छन।  एकै कमरा मा तिन तिन लोग छन। 
घ्याळ दा -कनो कैकि बरात ठैरिं च ?
माणावाल -नै नै ! सर ! बरात कि बात नी च।
घ्याळ दा -तो ?
माणावाल -उख ग्राउंड फलोर का कमरों  मा शिक्षा विभाग का प्रोबेसन का ऑफिसर या कलर्क याने नये नये अप्वाइंटेड अधिकारी ठैर्यां छन। 
घ्याळ दा -हैं ? यूँन जब देहरादून मा ही काम करण  त यी ऑफिसर देहरादून मा अपण कमरा नि ले सकदन ?
माणावाल -सर यी प्रोबेसनरी ऑफिसर देहरादून मा पोस्टेड नि छन।
घ्याळ दा -हैं यि प्रोबेसन का ऑफिसर देहरादून मा पोस्टेड नि छन ?
माणावाल -येस सर !
घ्याळ दा -यि ऑफिसर कख पोस्टेड छन ?
माणावाल -सर सबि प्रोबेसन  ऑफिसरुं  रूरल उत्तराखंड मा पोस्टिंग हुईं च। 
घ्याळ दा -पोस्टिंग ग्रामीण उत्तराखंड मा अर रौंदन देहरादून मा ? यु क्या मकड़जाळ च भै ? 
माणावाल -सर यु मकड़जाळ नि च।  बड़ो सीधो अर सरल च। 
घ्याळ दा -क्या ? भै नौकरी पहाड़ों मा अर बसेरा देहरादून मा ?
माणावाल -सर मि बारीकि से समजान्दु।
घ्याळ दा -ठीक च जरा समजावो कि नौकरी धारचूला , पिथोरागढ़ मा अर रौण देहरादून मा कन सम्भव च ? क्या रोज बस से धारचुला जांदन ?
माणावाल -सर अधिकाँश युवाओं कु लालन पोषण अर पढ़ाइ लिखाइ त मैदानो मा हि हूंद।  फिर जब पढ़ाई बाद मैदानो मा नौकरी नि मिल्दि त एज्यूकेटेड यूथ सरकारी नौकरी वास्ता तैयार ह्वे जांद।
घ्याळ दा -नै नै ! सरकारी नौकरी आज बी बढ़िया नौकरी माने जांद। 
माणावाल -हां जी सर ! अब जब यूं मैदानी संस्कार वाळु या पहाड़ी युवा जौंक पढै लिखै मैदानुं  मा ह्वे वु जब  ऑफिसर बणदन तो प्रोबेसन का समय यूं तैं पहाड़ याने रूरल एरिया  मा भिजे जांद। 
घ्याळ दा -ट्रेनिंग का वास्ता  नया नया अधिकार्युं तै पहाड़ी क्षेत्र मा भिजे जांद ?
माणावाल -नै नै सर !
घ्याळ दा -तो ? 
माणावाल -सर परमानेंट अधिकारी तो पहाड़ जाण इ नि चांदन तो एकी कौम च अर वा कौम च प्रोबेसनरी  ऑफिसरों की जो पहाड़ जाणो ना नि बोल सकदन।
घ्याळ दा -फिर ?
माणावाल -कुछ तो उखि अपण टेम्पोरेरी बसेरा बणै लींदन पण कुछ इन गऴया बौड़ बि होंदन जु हौळ -ज्यू   देखिक ही भीम पोड़ जांदन ऊनि कुछ नया नया ऑफिसर पहाड़ मा स्थानांतर नाम सुणिक बीमार पोड़ जांदन
घ्याळ दा -त गेस्ट हॉउस मा इ सब बीमार प्रोबेसनरी ऑफिसर रुक्यां छन। 
माणावाल -हां कै ना कै बहाना से यि प्रोबेसनरी ऑफिसर गेस्ट मा रुक्यां छन।
घ्याळ दा -त यून परमानेंटली गेस्ट हाउस मा ही रौण ?
माणावाल -ना ना ! जनि यी परमानेन्ट ह्वे जाला तो यी गेस्ट हॉउस छोड़ि द्याला।
घ्याळ दा -अर फिर यूंक जगा नया  नया प्रोबेसनरी ऑफिसर ऐ जाला। 
माणावाल -बिलकुल सही बात च सर !
घ्याळ दा -एक बात बतावदी जब यि ऑफिसर उख नि जादन तो उख पहाड़ों मा काम कनकै हूद ?
माणावाल -नै सर ! शनिवारों कुण यी लोग हाजरी लगाणो पहाड़ जाँद छन। 
घ्याळ दा -इन मा पहाड़ों मा शिक्षा विभाग मा  कामौ काम क्या होलु ?
माणावाल -नो सर काम फिर भी हुंदी च अर ठीकि हूंद।  केंद्रीय सरकरारन भौत दै उत्तराखंड सरकार तैं प्रसस्ति पत्र बि दे.
घ्याळ दा - हमर राज्य दिवतौं धरती च तो द्यो दिवता बि सहायता करदा ही होला ! उत्तराखंड शिक्षा कु मालिक भगवान ही च। नि बोल जाण ?
माणावाल - येस सर ! नो सर !
** कल पढ़ें गेस्ट हॉउस के  फर्स्ट फलोर के परमानेन्ट गेस्ट कौन हैं ?

Copyright@ Bhishma Kukreti  2/1/2014 



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