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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, July 8, 2012

डा. नरेंद्र गौनियाल की गढवाली कविता ---पहाडा कि नारी ! तू जाग-जाग !!

कवि- डा. नरेंद्र गौनियाल
पहाड़ा कि नारी,पहाड़ा कि लाज .
त्यारा कान्ध्यों मा, भार च आज.

दरवल्य़ा ह्वैगेनी  मर्द आज.
तौंकू नि छा क्वी काम-काज.

अपणा पति तू, जब बाट ल्हेली.
ख़ुशी-ख़ुशी तू ,तब ही रैली.

नारी तू जाग,जाग तू जाग.
तिन बणोण खुद अपणो भाग.

पहाड़ा कि बेटी,ब्वारी सूणि ल्यावा.
नौनि-नौना तै  तुम, खूब पढ़ावा.

नौनि-नौना मा, नि कनु फरक.
निथर जाण पोडालू, घोर नरक.

बाळी नौनि तै,अबी नि पिचगावा.
तैंकू भविष्य तुम,पैली बणावा.

पढ़ी-लिखी कि बड़ी ह्वै जाली.
अपणि खुट्यूं खड़ी ह्वै जाली.

नौकरी पाली खुद ही कमाली.
दहेज़ कुंड मा तब नि ड़ूबाली.

एक से के ब्योला मिलाला.
बिन दहेज़ ब्योऊ कराला.

हंसी-ख़ुशी तब द्वी झण राला.
स्वस्थ-सुन्दर समाज बणाल़ा.

    डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित... 

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