Ko chhai Batoi: a Garhwali folk Song for Values of tree Plantation
Presented by Bhishma Kukreti
The following folk song is again proof that Garhwalis understand the importance of tree plantation. The following folk song discusses that every person should plant trees.
को छै बटोई ---- गढ़वाली लोक गीत
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को छै बटोई घाम च तैलु ? को छै बटोई घाम च तैलु ?
झट बैठी जा डाळि का छैलु, झट बैठी जा डाळि का छैलु
ठन्डू बथौं घौणु च छैलु ,
झट बैठी जा डाळि का छैलु, झट बैठी जा डाळि का छैलु
को छै बटोई घाम च तैलु ?
घुघति घुरदी डाळि का छैलु,घुघति घुरदी डाळि का छैलु
पाणि पंदेरि , तीस मुजेइ
ठन्डू बथौं , पळेक बिसैई, ठन्डू बथौं , पळेक बिसैई
छैलु बैठिलो डाळि ना तोड़ी
फांकी त रै क्या, पाति ना तोड़ी को छै बटोई घाम च तैलु ?
-------------२----------------
गजना डाळि कु बकुळु छैलु
को छै बटोई डाळि का छैलु,को छै बटोई डाळि का छैलु
छैलु बैठिलो पाति ना तोड़ी , छैलु बैठिलो पाति ना तोड़ी
दाजि कि मेरा डाळि लगयीं च
दादी को मेरि पाणि चार्युं च ,दादी को पाणि चार्युं च ,
बुबा जि कि मेरि डाळि लगयीं च
ब्व़े बैण्यु मेरि पाणि चार्युं च, ब्व़े बैण्यु पाणि चार्युं च,
भैजी कि मेरि डाळि लगयीं च
बौजी कि मेरि पाणि चार्युं च
गजना डाळि कु बकुळु छैलु
को छै बटोई डाळि का छैलु,
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लय- चौंफळा
(तोताराम ढौंडियाल संकलित , गढवाली गीत संग्र , धाद प्रकाशन ,देहरादून से साभार)
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