डॉ राजेश्वर उनियाल
पार हिंवाला, धार छाला
कन बगणुंचा पाणि,
मेरा पहाड, सुख्यां डांडा
पीणु कु नीच पाणि,
रुडीयों का दिन, धारा पंदेरा
सुखि छुयूतों कु पाणि,
सुखि गैनि सबि डाला बूटा
खैरि कैन नि जाणि । पार हिंवाला...
फूल बुराँश, हिसर, काफल
देखि झूमि सैलाणि,
जूँ कु रंग वसंत भरयूँ वु
न्योलि छपेलि गांणि,
पर मेरा गौंका गौडा,
मणखि अर सबि पराणि,
स्वर्ग ऊंदेइ टक्क लगे बोलदना
कब बरखलु पाणि । पार हिंवाला...
मी नि चैंदु, चैती फागुन
ना बसन्त कु मैना,
चौमासी कु बरखा दि दे
मि तै रुडीयों का मैना,
गाड गधेरा, नौला पंदेरा मां
छलछल बगलु पाणि,
गौडा,सगौडा, खेती, पुंगडा
पिणु कु मिललु पाणि । पार हिंवाला...
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उप निदेशक (राजभाषा),
केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान,पंच मार्ग, यारी रोड़, वर्सोवा, मुंबई-400061
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