*********हौली रांडा फाट-फाट*********
कवि- डॉ नरेन्द्र गौनियाल की कविता
चौमास का दिन कतगा भला,कतगा सुवान्दा
चरि तरफ फैलीं हर्याळ
पाणि कु तर-पराट
गदेरों कु छल-छलाट
चखुलों कु किल-किलाट
डांडी-कांठ्यों मा
कुयेड़ी लगीं घनघोर
ग्वैर ढूंढ़णा छन
अपणा-अपणा गोर
निर्भगी हौलु
कनु लग्युं च
बींदी गौड़ी कि घांडी
दूर बजणी च
ग्वैरणी लगाणी च धै
ये दगड्या ये हू ! ! !
इथैं कखि
म्यारा गोर बि छन
बार-बार धै लगाण पर बि
कुछ जबाब नि सुणेंदु
आखिर मा य फटकार दींद -
तांबा तौली,पितल़ा पैसी
हौली रांडा फाट-फाट
हमारू छाला कि कुयेड़ी
सरि-सरि छाट-छाट.
डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments