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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, July 18, 2012

कॉलेजौ पढाई से नुकसान --गढवाली -हास्य व्यंग्य साहित्य

गढवाली -हास्य व्यंग्य साहित्य
                           कॉलेजौ पढाई से नुकसान
                                 चबोड्या - भीष्म कुकरेती
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-- बाबा जी ! पता च तुम तै ?
-- क्या ?
--- तुम त अंदाज बि नि लगै सकला !
--क्या भै ?
-- मै तै आई. आई. टी. मुंबई, आई. आई. टी. खडगपुर इ ना इन्डियन इंस्टिच्युट अहमदाबाद मा बि ऐडमिसन मिलि ग्याई.
-- अरे वाह ! या त पुळयाणो बात च.खुसी मनाणो बात च . पण ..?
- क्या पण ?
--- तू अछेकी यूं कॉलेजूं मा जाण चांदि क्या ?
--पण बाबा जी तुमि त बुल्दा छा बल हरेक बच्चा तै बढिया से बढिया कॉलेज मा पढ़ण चयेंद .
-- ब्य्टा ! बात त सै च पण कुछ बात बस बुलणो कुण हुन्दन . फिर कथगा इ बड़ा आदिम छन जौन बड़ा कौलेजुं मा नि पौड़ पण छना त मतवार . मै नि लगद अपणा शरद पंवार जीन कै बड़ो नामी कॉलेज मा पौड़ी ह्वाऊ . अपण घनश्याम दास बिड़ला जी क इतियास बाँचो त मै नि लगद वो बड़ा कॉलेज मा पढ़न से इथगा बड़ा उद्यमी - इथगा महान उद्योगपति ह्वेन.
-- चुचो ! सि वीडियोकोन का मालिको तै दिखदि. तिनि भयुंन अहमदनगर या पूना क कॉलेजूं मा पौड़ पण आज दिखदि सि आई .आई. टी अर आई. आई. ऐम का पड्या लिख्यां लोगूँ तै नौकरी दीन्दन.
--पण आप बि त कॉलेज मा गे छया .
--हाँ गे छौ. पण जु मै जाणदु थौ कि कॉलेज की पढ़ाई लिखै से कुछ नि होंद त मि इंटर कौलेज मा बि नि जान्दो. वैबरी अकल इ नि छे . फोकट मा म्यार छै सात साल बर्बाद ह्वेन . अरे कखी सरकारी दफ्तर मा चपड़ासी बि लगदो त आज घूसौ पैसौ न अपण कूड होंद अर रिटायर होणो परांत पेंसन पट्टा अलग. अब क्वी बि बाप नि चालो बल वैकी सन्तान बि वै इ गल्थी कार जु बुबा से ह्व़े छे.
--पण तुमन कबि बि नि ब्वाल कि आप न कॉलेज जैक गल्ति कार. उल्टो आप बुल्दा छ्या कि कॉलेज कि पढाई मतबल बिग मैन
--ओ त मि त्वे से इलै लुकान्दो छौ कि तू मै तै छ्वटु म्वटु नि मानि. हरेक बुबा अपण नौन्याळो से अपण गल्ति लुकांद. गल्ति से बि अपण गल्ति नि बथान्द.अब तु बड़ो ह्व़े गे तमी बथै इ द्यूंद कि नौकरी लगणि नि छे त मीम कॉलेज जाणो अलावा टैम पास करणो क्वी हैंक काम नि छौ . इख तलक कि पी.एच .डि क फ़ार्म बि इलै इ भौर छौ कि टाइम पास करणो कुछ हौरी काम इ नि छौ. अर जनि मै तै काम मील मैन इ नि द्याख कि पी.एच डी. होंद क्या च.
-- मीन त सोची छौ कि तुम भौत पुळेलि (खुश) हवेल्या कि टॉप कौलेजूं न बि मान कि मि भारत का होशियार अर होनहार छात्र छौं.
-- ओहो खुस त मि छौं. अरे हौर्युं स्वीकृति से हम होशियार थुका हूंदा . तू त अपणो आप मा होनहार छे. तू कै बि ऐरा गैरा कॉलेज मा बि पढ़लि त वै कौलेजौ नाम बड़ो ह्व़े जालो .
-- पण ब्व़े कि बड़ी गाणि च बल मि कै नामी गिरामी विश्व प्रसिद्ध कॉलेज मा तालीम ल्यूं .
--अरे ब्यटा यि सौब दिखाणा बात हून्दन. भै जब कैकु नौनु नामी कॉलेज मा पढ़दो त ब्व़े क अहंकार मा हौस मा वृद्धि होंद अर न्याड़ ध्वारो लोगूँ अर रिश्तेदारों पर धौंस जमाणो एक जरिया हुंद . या बात त दुसरो पीठ मा सत्तू छोळणो बात ह्व़े .
--- त बुबा जी मि क्या कौरू ?
-- अरे अब त तू समजदार नागरिक ह्व़े गे भै. गांवक सि बात हूंद त तीन अर मीन दगड़ी बैठिक हुक्का पीण छौ. अब त त्वे तै खुद निर्णय लीण चएंद. तेरी जगा मि ले हूंद त मीन कै एन. जी. ओ. की मदद से भारत भ्रमण पर जाण छौ . जिन्दगी का असली अनुभव दूसरों पैसा से भ्रमण से हुंद.
-- बुबा जी एक बात पूछूं ?
--हाँ हाँ एक ना द्वी पूछ बेटा.
आपक कुड़कि त नि ह्व़े ग्याई ?
-- ना ना ब्यटा अबि तलक कुड़कि त नि ह्वाई पण हां जु तू इथगा बड़ा कॉलेज म एड्मिसन लेलि त फीस इ फीस मा इखक एक रूमौ फ़्लैट अर गढ़वाळौ कूड़ी पुंगड़ी बिकि जाला अर बकै खर्चा बान कुज्याण क्य होलु धौं .
-- त ठीक च , पापा मि कै म्युनिसपैलिटी क कॉलेज मा भर्ती ह्व़े जान्दो.
-- साबास ब्यटा. तीन मै तै कुडकी होण बचै द्याई.
Copyright@ Bhishma Kukreti 18/7/2012
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