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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, July 22, 2012

उत्तराखंड औषधि दर्पण

औषधीय डाला-बूटों कु हमर जीवन दगडी सीधू सम्बन्ध च जैक वास्ता हम सभीयुं त जागरूक हूँ चेंद ! उत्तराखंड त अमूल्य संजीवनी वाटिका च जैकी जानकारी हम सभयूं ते हूण बहुत जरूरी च, निथर हमर प्राकृतिक संपदा केवल कुछ हथो मा सिमट जैली ! अगर हम सैह ढंग से जीण चाणा छंवा त अपर आसपास क वनस्पति ते न केवल समझन प्वाडल बल्कि वेक सुरक्षा वास्ता काम भी कन प्वाड़ल ! आधुनिक [एलोपथिक] दवै आराम त दीन्दी च पर वेकि दगड न जाने कथsकू आफत भी दगड़ मा लन्दिन ! हमर पुरण जमsने कू वैध हकीमो कु इलाज मा जू चमत्कार हून्दी छयाई व् यु नै दवाईयों मा कख छ ! सबसे पैली त समस्त वनस्पति जगत और मनखि जीवन मा परस्पर मेल हूण चेणू च ! हमर देस कु रिसी मुनियों न वेद , पुराणों , उपनिषदों अर अनेक धार्मिक ग्रंथों मा हमर यूँ संसाधनों की जानकारी मिलदी ! यु लेख अपुर राज्य मा ही न बल्कि हर घेर अर दरोज तक 'हर्बलिज्म' फैलाण क वास्ता उठायु गयु कोसिस/कदम च ! 'हर्बलिज्म' मतलब जड़ी बूटीयूं कु संसार क आधुनिक धारा दगडी विकास व् प्रचार /प्रसार करन च ! १५ -१७ शताब्दी ,जड़ी बूटी कुण स्वर्ण युग छयाई ! जड़ी बूटी कु सिधांत हमर आयुर्वेद ,चीनी अर यूनानी पारम्परिक हकीमों कु माध्यम च ! विश्व स्वास्थ्य सगठन कु अनुमानुसार आज क दुनिया कु ८०% आबादी कै हद तक अपर इलाज घरेलू चिकित्षा अपने की कर लिंदीन !प्राकृतिक चिकित्सक दुनिया भर मा २/३ % से अधिक जातिया जे मा अनुमानित रूप मा ३५००० औषधि गुंणों से भरपूर छन !हर्बल दवे बीज / कलम पद्धति से उगै जै सक्दन ,आर थोडा बहुत खर्च कं अपर पुंगडीयूं ,घर ,बगीचों मा उगै जै सकदन ! दुनिया भर मा भी लोग ईं दिशा मा जागरूक छन्न!

वैध डाली बूटयूं कु विभिन्न हिस्सों -जेड़, टेनी ,पत्ता ,फूल अर फलों कु रसायन / सुखू पौडर बने कन अपर रोगियों कु उपचार करदन !जातिगत वनस्पति कु अध्यन बहुत जरुरी च ! हमर उत्तराखंड मा त यु जड़ी बूटियों कु अपार संपदा च ! हमर उद्देश्य हरेक घोर मा एकी जागरूकता फैलाण कु अभियान च ! जै से धन व् समय कु बर्बाद नि करी कण हम अपर आस पास की वनस्पति कु सेह इस्तमाल कर सकवां !

देवभूमि उत्तराखंड दुर्लभ जड़ी बूटियों कुण संसार मा प्रसिद्ध च पण आधुनिक धारा मा ईंते पिछने धकेलनायी छन यु एलोपथिक सत्ताधारी ! उत्तराखंड सासन द्वारा स्वास्थ्य पर्यटन व् जड़ी बुटीयु का विकास पर ध्यान नि दीणा छन जै की वजह से लोगों ते एक यांका बारा ज्ञान नी च ! बाबा रामदेव ,गुरुकुल ,बैधनाथ अर डाबर जन और भी यीन पद्धति पर आज भी अडिग छन ! कतका यन भी वैध छन जोंते अपर ज्ञान औरों त बटण मा डैर लगदी, न वा कखी वु मै से आग्ने चली जाव !

आज इन्टरनेट कु युग छ ! अर ये माध्यम से न जाने कथका समाजसेवी यीं दिसा मा अग्रसर छन ! यूँ सब मा आजकल डॉ अरुण बडोनी जी कु नाम शिरोमणि [सर्वोपरि] चलणु च च जौन अपर फील्ड रिसर्च कु अध्यन जनता तक अपर गैर सरकारी संस्था -शेर -( सोसाईटी आफ हिमालयन एन्वैर्नमेंट रिसर्च कू माध्यम से पौंछाणा छन !

उत्तराखंड कु ज्यादातर क्षेत्र पहाड़ी हूण से ज्यादातर इखा क लोग गुरबत अर अभावग्रस्त जीवन यापन करणा छन ! इन परिस्तिथि मा छुट- मुट रोगों क वास्ता ये लोग अपर इलाज करी सकदन ,साथ ही बड से बड रोगों से अफु ते सुरक्षित रख सक्दन ! यदि हर गौं कु हर सदस्य अपर आसपास कु वन संपदा अर घास -पात कु जानकार व्हेह जाली त हर घर मा वैध ह्वाला अर यूँ अंग्रेजी दवे ते बस आपातकाल मा ही इस्तेमाल कारला ! पण उत्तराखंड की प्राकृतिक स्वास्थ्य केन्द्रों कु स्तिथि ठीक नि च ! दुर्लभ व् संजीवनी वर्ग कु औषधि कु महत्व दीं कु दगडी वैधों कु शिक्षा ,व् ये ज्ञान कु प्रयोग व् प्रचार वास्ता सरकारी - गैर सरकारी स्वयं सेवियों ते यीं दिशा मा कार्य करनी चेंद ! आवा हम सब एक सजग उत्तराखंडी बणिक अपर औषधि ज्ञान बढ़ौला ! सरकार ते भी शोधकर्ता अर किसानो त यीं दिशा मा बढ़ावा दीण चेन्दु ! जै उत्तराखंड !

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