आधुनिक गढवाली कथा के सौ साल
हे बौ
कथाकार- पूरण पंत पथिक
--- हे बौ !
----हाँ
---कथगा बडी गडोली धरीं च तेरी मुंडि मा
--हाँ अ
--गरु नि होणु च ?
--जरा थौ ले लेदि धौं !
--अच्छु
--बिसाण लगाण ?
--हाँ
--तू त कुछ बुलणि नि छै भै, बौ !
--क्या बवान
--भैजी चिट्ठी बि आय?
---हाँ अ
--कब औणा छन घौर ?
--कुजाण
--हे बौ ! मी तै त सरै गौं मा सबसे भलि त्वी लगदी
----.......
--पर त्वे तै मि कनो लगदु ?
--अपण छ्वटु भुला बीरू सि.
सन्दर्भ- चिट्ठी - अंक -३ १९८९
सर्वाधिकार - पूरण पंत पथिक , देहरादून २०१२
आधुनिक गढवाली कथा के सौ साल
आधुनिक उत्तराखंडी कथा
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