गढवाली हास्य व्यंग्य साहित्य
मुर्गि पैलि कि अंडा पैलि ?
चबोड्या - भीष्म कुकरेती
[गढवाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी हास्य व्यंग्य साहित्य ]
-- हलो ! श्रीमती भारतीय उपभोक्ता ?
- ह्यां जरा हिंदी मा ब्वालो. फ्लुएंट अंग्रजी बिंगण मा परेशानी हूंद.
- ओ सॉरी ! मिसेज इंडियन कंज्युमर ?
- हाँ अब बिंगण मा ऐ गे. ब्वालो मि इ मिसेज इंडियन कंज्यूमर छौं.
-- जरा आप से द्वी मिनट बात करण छे आधा घण्टा लगी जाला .
--हाँ हाँ ब्वालो
-- आप कब से दुबर खर्चण शुरू करण वाळ छंवां. जां से हमारि अर्थ व्यवस्था सुधर साको .
--बस जब मनमोहन सिंग जी चाल .वो त द्वी साल बिटेन बुलणा छन बस भोळ इ ठीक ह्व़े जालि
- मन मोहन सिंग जी ई त चाणा छन बल तुम दुबर खरीदी शुरू करील्या अर अर्थ व्यवस्था जगा मा ऐ जालि.
--पण जब अर्थ व्यवस्था बाट मा आलि तबि त मि दुबर खरीदण लैक होलू?
-- ह्यां तन ना ब्वालो ! मनमोहन सिंग जीक फजीत ह्व़े जाली. सोनिया गांधी इ ना अमेरिका, फ्रांस, जापान अर चीन का नेता बि मनमोहन सिंग जी पर रूसे(क्रोधित ) जाला
-ह्यां पण वूं कुण ब्वालो अर्थ व्यवस्था सुधारों त हमारि खरीदी तागत बढ़लि
-- त इन कारो तुम क्वी अमेरिकी कार खरीद ल्याओ
-- अरे पैलि इ हमारि कार तैं बैंक उठैक ली ग्याई किलैकि हमन एक साल से लोन इंस्टालमेंट नि भौरी छौ. हाँ जु अर्थ व्यवस्था सुधरलि त हम पैलि पुराणि कार छुडै क लौला.
-पर कुछ अंदाज त बथाओ कि तुम दुबर कब खरीदी शुरू करील्या
--अब वित्त मंत्री त बुलणा छया कि ए इ मैना मा हम अर्थ व्यवस्था ठीक करदवां
-- असल मा ऊन घडे छौ, सोचि छौ कि तुम आज कुछ परचेज करिल्या त अर्थ व्यवस्था आजि ठीक ह्व़े जालि. त कार ना सै त क्वी नै घौर खरीद ल्याओ .
-- घौर कि त अर्जंट जरूरत च . हम त चाणा बि छ्या कि एक घौर खरीद इ लिवां
-- वेरी फाइन . तुम दुसर घौर खरीदल्या त जरूर इंडियन इकोनोमी अपण जगा मा ऐ जालि.
-- वो पण जु पैलाक घौर छौ वैक इंस्टालमेंट नि भौर त बैंक न वु घौर नीलाम करी दे. अर अबि बि बैंक बुलणा छन कि अधा रकम उधार बकै च
-- त इन कारो तुम एक एल.सी.डी इ खरीदी ल्याओ.
---ह्यां खरीदण त छौ पण रकम कख च .अर उनि बि अच्काल बैंक व्याज भौत बढ़ी गे
-- उना देसी (विदेसि) बैंक बुलणा छन कि जु अर्थ व्यवस्था जगा मा आलि त वो इंटरेस्ट रेट कम करी द्याला इलै तुम तै कुछ खरीदी करण इ पोडल
--हाँ सुचणा त हम बि छंवां , हम बि मनमोहन सिंग जीक नई अर्थ व्यवस्था क जग्वाळ मा छंवां
-- अच्छा त एक काम कारो ना !
-- ब्वालो हम त देशभक्त इंडियन छंवां, इंडिया क बान कुछ ना कुछ त करण इ पोडल कि ना.
-- त कुछ तेल फुलेल याने कोस्मेटिक इ खरीदि ल्याओ
-- कोस्मेटिक खरीदणो ज्यू त म्यार बि बुल्यांद पण साड्यू दाम इ इथगा बढ़ी गेन कि कोस्मेटिक खरीदणो पैसा इ रौंदन.
--त कुछ फर्नीचर इ खरीद ल्याओ जां से इंडियन इकोनोमी मा इजाफा ह्वाओ
-- अरे खरीदण त द्वी कुर्सी छौ पण बच्चो फीस अर किताबु क कीमत इथगा बढ़ी गे कि कुर्सी कखन खरीदण
-- पण आप कुर्सी नि खरिदल्या त भारतीय अर्थ व्यवस्था कनकैक सुधरलि .
-- ह्यां मिन ब्वाल नी च मनमोहन सिंग जी द्वी साल बिटेन बुलणा इ छन कि अगला मैना इकोनोमी इम्प्रूव ह्व़े जाली. बस जनि वु इम्प्रूवमेंट कु मैना आलु मि दुबर खरीदी करण बिसे जौलु
--त इन कारो मिनरल वाटर जादा पीओ अर आइस क्रीम बिंडी खाओ जां से अर्थ व्यवस्था सुदरी जाओ
-- हाँ चिदम्बर जीक ख़ास रैबार ऐ त छयो पण क्या कौराँ ग्युं -चौंळ- दाळ का भाव इथगा बढ़ी गेन कि साफ़ पाणि अर आइस क्रीम का बजट हमन अपण होम बजेट बिटेन ख़तम इ करी दे.
-- त इन कारो साक- भुजी जादा खरीदो वां से बि इकोनोमी मा सुधार की गुन्जैस च
- साक भुज्यूँ दाम इथगा बढ़ी गेन कि हमन त अब सब्जी मंडी जाण इ बन्द कौर याल . हम त मनमोहन सिंग जीक नई अर्थ नीति क जगवाळ मा छंवां कि जनि अर्थ व्यवस्था मा उछाला आओ अर हम दुबर साक भुजी खाण मिसे जंवां.
-- मनमोहन सिंग जी बि त जग्वाळ मा छन कि तुम खरीदी शुरू कारो त इकोनोमी इम्प्रूव होली .
-- त तुमि बथाओ कि हम इंडियन कन कौरिक खरीदी बढौवां ?
-- आपम क्रेडिट कार्ड त ह्वाला ?
--हाँ हमम कुल मिलैक आठ बैंकु क्रेडिट कार्ड छन
-- अरे वाह त फिर त इंडियन इकोनोमी इम्प्रूव ह्वेई जालि
-- अच्छा बताओ बताओ ...हम बि जग्वाळ मा छंवां
-- तुम इन कारो क्रेडिट कार्ड से दुबर खरीदी शुरू कारो जन कि टी.वी फ्रिज, फर्नीचर आदि आदि , बस जनि तुम उधार मा खरीदी शुरू करल्या इंडियन इकोनोमी मा उछला ऐ जालो
- आट का आठ क्रेडिट कार्ड बन्द छन हमन जब क्रेडिट कार्ड वळु पैसा नि चुकाई त ऊंन हम तै डिफौलटर घोषित करी दे.अब हम जग्वाळ मा छंवां कि कब इंडियन इकोनोमी इम्प्रूव ह्वाओ अर हम क्रेडिट कार्डू पैसा बौड़ावां /वापस दिवां.
--अर मनमोहन सिंग जी जग्वाळ मा छन कि कब आप लोक खरीदी शुरू करील्या जां से भारत सरकार वर्ल्डबैंक क लोन इंटेरेस्ट दीण लैक ह्व़े जाओ.
Copyright@ Bhishma Kukreti 22/7/2012
गढवाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी हास्य व्यंग्य साहित्य जारी ...
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