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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, July 4, 2012

पिठाई*********एक गढ़वाली कथा.

कथाकार - डा. नरेंद्र गौनियाल 

[गढवाली लघु कथा, उत्तराखंडी लघु कथा , मध्य हिमालयी भाषाई लघु कथा, हिमालयी भाषाई लघु कथा, उत्तर भारतीय क्षेत्रीय भाषाई लघु कथा,भारतीय क्षेत्रीय भाषाई लघु कथा,भारतीय उप माहाद्वीप की क्षेत्रीय भाषाई लघु कथासार्क देशीय क्षेत्रीय भाषाई लघु कथा;दक्षिण क्षेत्रीय भाषाई लघु कथा;क्षेत्रीय भाषाई लघु कथा लेखमाला]


बरखा नि ह्वैत गौं वलों कि सगोड़ी सुकि कै तड़म लगीगे.गौं का लोग रोज कूली कु पाणि पैटाणो जएँ,पाणि लेकी ऐं,पण कुछ देर मा ही पाणि अपणा आप बंद ह्वै जाव.शुरू मा कुछ पता नि चली,पण बाद मा असलियत कु पता चलि गे.रौखड़ मा धर्यूं पाणि कु पन्दाल़ो जब भुयां कट्यों मिलि त लोगोँ तै शंका ह्वैगे कि क्वी ये काम तै जाणि -बुझि कै कनूं.
           एक दिन जब गौं का लोग पन्दाल़ो बणेकि पाणि पैटाणो गैनी त नंदू मथि अपणा घौर बिटि गाळी देण बैठ.वैन बोली -''यख बिटि फुंड चलि जाव, निथर मिन तुम घंट्याणा छौ. तब जैला ल्वे चट्दा-चट्दा.'' वैन गौं वलोँ तै गाळी बि दे.वैकी गाळी -ढाळी सूणि कै लोगोँ तै गुस्सा ऐगे.कुछ  वैतई पटगाणो बि गैनी ,पण वो अपणा भितर चलि गे.गौं वल़ा पाणि पैटेकि ले ऐनी.राति फिर पाणि बंद ह्वैगे.नंदून फिर पंदाल़ो काटी कै कूल तोड़ी दे.
           गौं वलोँन प्रधान जी का घौर मीटिंग करे अर पटवारी जी तै खबर देकी धुमाकोट तहसील मा रिपोर्ट करी दे.एक कॉपी डीएम् तै बि भेजी दे. हैंका दिन पटवारीजीन ऐकि पैली खाणु-पीणु करी अर तब गौं वलोँ दगड़ जैकि कूल कु निरीक्षण करे.नंदू तै बुलाई कि खूब हडकाई..द्वी-चार चटग बि लगैनी.अर बोली ''ये सूणि ले तू ! आज बिटि पाणि पर ना छड़े..दुबारा पाणि तोड़ील़ू त हथकड़ी लगैकी लैंसडौन भेजी द्योंलू''.नंदुन बोली-''न . न .साब ! मि त कुछ बि नि करदू.यूं लोगोँन  पाणि लिजैकि कि मेरो घास लतोड़ी दे.पाणि पर क्वी ग्वैर छेडदा होला''.फिर लोग पाणि पैटे कि ऐगेनी.पटवारीजी तै गौं मा च्या पिलैकी जांद दा पिठे लगैकी भेजी दे.
          सबी लोग निश्फिकर ह्वैगे छ्या कि पाणि अब बंद नि होलू.द्वी-तीन दिन तक पाणि ठीक ऐ.पण तीसरा दिन फिर चुकापट .द्वी-तीन नौना पाणि ठीक करणो गैनी त नंदून मथि बिटि गालि देकी घंट्याणु शुरू करी दे.नौना दौड़ी कै वापस ऐनी अर बताई कि पाणि फिर तोड़ी यालि.अर नंदू घंट्याणो बि ऐ.गौं वलोंन एक आदिम पटवारी कि चौकी मा भेजी.पटवारीजी चौकी मा नि मिला.पण पता चलि कि द्वी दिन पैली नंदू बि चौकी मा आयूं छौ.
           दरअसल यू पाणि एक छोया बिटि नंदू कि सिमर्य पुन्गडी ह्वैकी आन्दु छौ.नंदू का बुबाजी का टैम से  ही ये पाणि तै लमधार का लोग पीणा   का दगड़ गोर-भैंसों तै पिलाणो अर सगोड़ी-पतोडीयों मा चरणों काम ल्यान्दा छाया.नंदू पैली त कुछ नि ब्वल्दु छौ,पण हर्बी लमधर्यों का  सगोडा -पतड़ा देखि कै वैकु मन फुके गे.वैकी कूड़ी का मैला तरफ कोनाकोट का लोगोँन बि वैते फुल्से  दे कि त्यारा पाणि से बन्या छन यू लमधर्य फुन्यनात.कबी त्वेकू बि भेज्दीन मूल़ा कि जैडी,प्याजों का घिन्डका,आलू का बियाँ ,गोभी का फूल.नंदू कु बि ख्वपडा घूमी गे.
            नंदू कि कूड़ी लमधार अर कोनाकोट का बीच मा यकुलो धार मा छै.कोनाकोट वालों का दगड़ वैका झगडा रैंदा छाया जबकि लम्धार वालों दगड़ भलि पटदी छै.कोनाकोट वलोंन  चाल खेली कि लम्धर्यों का दगड़ वैका झगडा कन कै करे जएँ.बस नंदू ऊंका बखाण  मा ऐगे.गौं वाला जनि फिर पाणि पैटाणो गयीं,ऊ सरी कुतमदरी दगड़ ऐकि गाळी देण बैठगे अर घंटी चुटाण लगी गे.चार-पांच लोग मथि वैका घार गैनी पण तब तक वैन भितर जैकि द्वार ढकी दे.अपणी कज्यणि तै ऐथर करी दे.भितर बिटि बोले,,''अपणी ब्वे का मैसो..आवो त सै तुम.जणेका कि मुंडली गण्डकी द्यून्लू .कुलाड़ू देखि लियां हाँ.'' गौं वालों सोची कि कखी कुछ बात नि बिगड़ी जाव,ये वास्त ऊ वापिस ऐगेनी.
           दुबारा डीएम् का पास रिपोर्ट करेगे. अबरी दा कानूनगो अर पटवारी द्वीई ऐनी.नंदू जंगल भाजी गे.कानूनगो साबन बोली कि पटवारी जी तुम वैते सम्झैकी  मामलो ठीक करी दियां .झगडा बढाणु ठीक नि छा.गाँव वलोंन  ऊंतई बि खिलाई -पिलाई कि जांद दा पिठाई लगाई.ऊंका जाणा का बाद पटवरीजिन बोली, ''अब एन नि मणि त समझो कि जेल कि ही हवा खालु.''.जांद बगत फिर पटवारी जी तै पिठे लगान पड़ी.
           दिन बितदा गैनी पण पाणि कु मामलू नि सुलझू.अर्जी-पुर्जा चलना रैनी.एक दिन फिर पटवारी ऐगे.गौं वाला अब त परेशान ह्वैगे छाया.परधान सदानन्द जी अर दाना-दीवना सब्योंन एक जुट ह्वै कि बोलि,''पटवरीजी  पैली तुमन बोलि छौ कि दुबारा पाणि तोडालो त वैते जेल भेजि द्योंलू.अब क्य ह्वै ?'' पटवरीजीन बोलि,''देखो भै ऊ अपणी पुन्गड़ी बिटि नि आणि दींदु त हम बि क्य कैरि सकदा.''वैनत सर्या गौं पर फौजदारी केस करी यालि छौ.मिन वैतई समझाई कि चुप करे.निथर तुम सरि गौं का ही जु रैंदा तब जेल.''परधानजिन बोली कि बिन मर्यां -त्वडयाँ   केकु फौजदारी केस ..?पटवरिन अपणी घुमौदार मूंछ मलासी अर बोली,''अरे साब परधान जी ! वैका घर जांठा-बलिंडा लेकि त गया छन लोग.ह्वै सकद द्वी-चार धड़क लगे बि होलि..ऊ त इनु बि बुनूं छौ कि वैकी कज्यणि पर भी छेड़खानी करे.गुलोबंद अर कंदुडा का मुंदडा बि ली गैनी.''परधानजीन बोली,''पटवारी जी यू सब झूठ च.तुम इनु किलै बुना छौ.?.  गौं वलोंन बोली  कि पटवारी जी यू क्य लगणा छौ तुम, कंडली कु सि पात ..द्वी तरफ.?.पटवरिन  बोली,''देखो.,''जतगा दा तुम लोगोँन पिठाई लगाई,मिन तुमर तरफ बोलि,पण जब नंदू बि हौरि जादा पिठे लगे दींद त मि वैका  तरफ आंखि नि बूजि सकदु.'' पिठाई कु कमाल अर पटवारी कि बेशर्मी देखि कै गौं वला हक्चक रैगैनी.अबरी दा पिठाई नि लगाई..पटवारी पिछ्नैं ह्यर्दा-ह्यर्दा अपणी चौकी तरफ चलिगे..हैंका दिन पता चलि कि पटवारी कि बदली ह्वैगे.अर एक मैना बाद ही नौकरी से सस्बैंड ह्वैगे.कुछ दिन बाद ही गौं मा पानी का नल ऐगेनी.अब कूल का पाणी कि जरूरत बि नि रै.झगड़ा खुद ख़तम ह्वैगे.
                                डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित......  


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