भीष्म कुकरेती - आप साहित्यौ दुनिया मा कनै ऐन?
पाराशर गौड़ .. श्रीमान मान्यबर कुकरेती जी , आपल त पैली ही सवालम एक इनु सवाल पुछ दे
जैन मी थै सुचंण पर मजबूर कै दे ! शुरुवाती दिनों को याद करणम कुछ तो समय लगालू , खैर ..
जबमी ८ वी पडदु छो, वे समय माँ एक गीतनुमा कविता अगसर गए जांदी छे जैका बोल छा
" फुर घिन्डुई ऐजा, पधानु की छेई जा " (तब . कबि बारामा कुछ पता नि छो बादाम
ये मेरु शोभाग्या छो की मिन वे कबि थै अपना पिताजी का नौ से शुरू कयु पुरष्कार से उन्थई
समानित कै ! वो छाया श्री गिरधारी लाल थपलियाल 'कंकाल') बस तब बीटी मेरु साहित्य की ओर
रुझान शरू ह्वेगे छो !
भी.कु- वा क्या मनोविज्ञान छौ कि आप साहित्यौ तरफ ढळकेन ?
पा.गौ. हां भी अर ना भी .. स्कुल का दिनों माँ सांस्क्रतिक कार्यक्रमों बड़ी चड़ी भाग लेणाक भी एक बजह छे बाद माँ
भी.कु. आपौ साहित्य मा आणो पैथर आपौ बाळोपनs कथगा हाथ च ?
पा.गौ- भौत त बिंडी . असलमा वे समय एक हैंकि किस्म की सोच छे जैम देबी द्य्ब्तो का प्रति
प्रकृत का प्रति प्रेम ज्याद छो ! मेरिक्या मेरा ख्याल से हर कबि की पहली रचना यत प्रक्रति पर होली
या इश्वर पर ! वे समय देख्या या घटया घटनो कु अक्ष मेरी क्बितो माँ भी दिखाई जय सकद !
भी.कु- बाळपन मा क्या वातवरण छौ जु सै त च आप तै साहित्य मा लै ?
पा.गौ- रेडीयुमाँ गड्वाली गीत औंदा छा वेमु गीतकारो नौ आन्दु छो बस तब मिन भी सोची की मै भी गीत
लिखू आर मयारू नो भी एक दिन इनी र्रेडियो से प्रसारित हो !
भी.कु. कुछ घटना जु आप तै लगद की य़ी आप तै साहित्य मा लैन !
पा.गौ- जी हां .. हमारा गौं प्रधान जी जू हर चुनो लड्दा छा उन एक दिन मि थै एक एक किताब बीटी
एक गड्वाली कबिता सुनाई जैका बोल छा " धन सगोड़ी त्वेकू ,जू साग भुजी देदी मैकू "( श्री जगु नोडियाल जी रचना )
वे सुणी मन भीतर एक हलचल सी हवे तब बिट कुछ गीत लिखना शुरू कै दे !
भी.कु. - क्या दरजा पांच तलक s किताबुं हथ बि च ?
पा.गौ - सच बोल त याद नि !
भी.कु. दर्जा छै अर दर्जा बारा तलक की शिक्षा, स्कूल, कौलेज का वातावरण आपौ साहित्य पर क्या प्रभाव च ?
पा.गौ - असल्मा साहित्य की पौ नींव कालेज की शुरुवाती दिनों से हवे ! वे संयम प्रेम ,बिछो हास्य ,व्यंग जन भाव से पछाणक हवे
जोन मि थै साहित्य रचनामा बहुत योगदान दे !
भी.कु.- ये बगत आपन शिक्षा से भैराक कु कु पत्रिका, समाचार किताब पढीन जु आपक साहित्य मा काम ऐन
पा.गौ - साप्ताहिक हिन्दोस्तान , धर्मयुग , सरिता , कादम्बनी , व समाचार पत्र !
भी.कु- बाळापन से लेकी अर आपकी पैलि रचना छपण तक कौं कौं साहित्यकारुं रचना आप तै प्रभावित करदी गेन?
पा.गौ -हिंदी माँ दिनकरजी, काका हाथरसी अर गड्वाली माँ जगु नौडियाल / डंडरियाल जी !
भी.कु. आपक न्याड़ ध्वार, परिवार,का कुकु लोग छन जौंक आप तै परोक्ष अर अपरोक्ष रूप मा आप तै साहित्यकार बणान मा हाथ च ?
पा.गौ - मेरु गाँव , मेरी स्कुल मेरी मुल्क्की डांडी-कंठी व हर चीज, जू वे वकत म्यार साथ जुडी रैनी ! ब्यो का बाद मेरी सब कुछ
दगडया/सोंजयडया /सहचरी / मास्टरजी / मेरी धर्म पत्नी सोनी कु सबसे बदु हाथ राय !
भी.कु- आप तै साहित्यकार बणान मा शिक्षकों कथगा मिळवाग च ?
पा.गौ- ३० ४० प्रतिशत
भी .कु. ख़ास दगड्यों क्या हाथ च /
पा.गौ-जगदीश ढौंडियाल ( गायक), जैन मी थै उगसाई गीत लिखुनु कु दिनेश पहाड़ी जैन नाटक लिखुनु कु बिबश कैरू आर स्वर्गीय कन्यालाल डंड्रियल
जोन कबिता लिखनो बोली आर सिखाए और इनी क्त्कई अन्य कुछ और दोस्त !
भी.कु. कौं कौं साहित्यकारून /सम्पादकु न व्यक्तिगत रूप से आप तै उकसाई की आप साहित्य मा आओ
पा.गौ- भीष्म कुकरेती ( जौन मी थै लाठी ले लेकी , घुचे घुचे की व्यंग लिखण सिखाई ), कनाह्यालाल डंडरियाल
भी.कु. साहित्य मा आणों परांत कु कु लोग छन जौन आपौ साहित्य तै निखारण मा मदद दे ?
पा.गौ भीष्म कुकरेती .अर डंडरियाल जी .. सबसे बड़ो हाथ मेरी श्रीमती सोनी कु च जोन मरे हर रचना कु पोस्ट मार्टम केकी उथे
पाराशर गौड़ .. श्रीमान मान्यबर कुकरेती जी , आपल त पैली ही सवालम एक इनु सवाल पुछ दे
जैन मी थै सुचंण पर मजबूर कै दे ! शुरुवाती दिनों को याद करणम कुछ तो समय लगालू , खैर ..
जबमी ८ वी पडदु छो, वे समय माँ एक गीतनुमा कविता अगसर गए जांदी छे जैका बोल छा
" फुर घिन्डुई ऐजा, पधानु की छेई जा " (तब . कबि बारामा कुछ पता नि छो बादाम
ये मेरु शोभाग्या छो की मिन वे कबि थै अपना पिताजी का नौ से शुरू कयु पुरष्कार से उन्थई
समानित कै ! वो छाया श्री गिरधारी लाल थपलियाल 'कंकाल') बस तब बीटी मेरु साहित्य की ओर
रुझान शरू ह्वेगे छो !
भी.कु- वा क्या मनोविज्ञान छौ कि आप साहित्यौ तरफ ढळकेन ?
पा.गौ. हां भी अर ना भी .. स्कुल का दिनों माँ सांस्क्रतिक कार्यक्रमों बड़ी चड़ी भाग लेणाक भी एक बजह छे बाद माँ
भी.कु. आपौ साहित्य मा आणो पैथर आपौ बाळोपनs कथगा हाथ च ?
पा.गौ- भौत त बिंडी . असलमा वे समय एक हैंकि किस्म की सोच छे जैम देबी द्य्ब्तो का प्रति
प्रकृत का प्रति प्रेम ज्याद छो ! मेरिक्या मेरा ख्याल से हर कबि की पहली रचना यत प्रक्रति पर होली
या इश्वर पर ! वे समय देख्या या घटया घटनो कु अक्ष मेरी क्बितो माँ भी दिखाई जय सकद !
भी.कु- बाळपन मा क्या वातवरण छौ जु सै त च आप तै साहित्य मा लै ?
पा.गौ- रेडीयुमाँ गड्वाली गीत औंदा छा वेमु गीतकारो नौ आन्दु छो बस तब मिन भी सोची की मै भी गीत
लिखू आर मयारू नो भी एक दिन इनी र्रेडियो से प्रसारित हो !
भी.कु. कुछ घटना जु आप तै लगद की य़ी आप तै साहित्य मा लैन !
पा.गौ- जी हां .. हमारा गौं प्रधान जी जू हर चुनो लड्दा छा उन एक दिन मि थै एक एक किताब बीटी
एक गड्वाली कबिता सुनाई जैका बोल छा " धन सगोड़ी त्वेकू ,जू साग भुजी देदी मैकू "( श्री जगु नोडियाल जी रचना )
वे सुणी मन भीतर एक हलचल सी हवे तब बिट कुछ गीत लिखना शुरू कै दे !
भी.कु. - क्या दरजा पांच तलक s किताबुं हथ बि च ?
पा.गौ - सच बोल त याद नि !
भी.कु. दर्जा छै अर दर्जा बारा तलक की शिक्षा, स्कूल, कौलेज का वातावरण आपौ साहित्य पर क्या प्रभाव च ?
पा.गौ - असल्मा साहित्य की पौ नींव कालेज की शुरुवाती दिनों से हवे ! वे संयम प्रेम ,बिछो हास्य ,व्यंग जन भाव से पछाणक हवे
जोन मि थै साहित्य रचनामा बहुत योगदान दे !
भी.कु.- ये बगत आपन शिक्षा से भैराक कु कु पत्रिका, समाचार किताब पढीन जु आपक साहित्य मा काम ऐन
पा.गौ - साप्ताहिक हिन्दोस्तान , धर्मयुग , सरिता , कादम्बनी , व समाचार पत्र !
भी.कु- बाळापन से लेकी अर आपकी पैलि रचना छपण तक कौं कौं साहित्यकारुं रचना आप तै प्रभावित करदी गेन?
पा.गौ -हिंदी माँ दिनकरजी, काका हाथरसी अर गड्वाली माँ जगु नौडियाल / डंडरियाल जी !
भी.कु. आपक न्याड़ ध्वार, परिवार,का कुकु लोग छन जौंक आप तै परोक्ष अर अपरोक्ष रूप मा आप तै साहित्यकार बणान मा हाथ च ?
पा.गौ - मेरु गाँव , मेरी स्कुल मेरी मुल्क्की डांडी-कंठी व हर चीज, जू वे वकत म्यार साथ जुडी रैनी ! ब्यो का बाद मेरी सब कुछ
दगडया/सोंजयडया /सहचरी / मास्टरजी / मेरी धर्म पत्नी सोनी कु सबसे बदु हाथ राय !
भी.कु- आप तै साहित्यकार बणान मा शिक्षकों कथगा मिळवाग च ?
पा.गौ- ३० ४० प्रतिशत
भी .कु. ख़ास दगड्यों क्या हाथ च /
पा.गौ-जगदीश ढौंडियाल ( गायक), जैन मी थै उगसाई गीत लिखुनु कु दिनेश पहाड़ी जैन नाटक लिखुनु कु बिबश कैरू आर स्वर्गीय कन्यालाल डंड्रियल
जोन कबिता लिखनो बोली आर सिखाए और इनी क्त्कई अन्य कुछ और दोस्त !
भी.कु. कौं कौं साहित्यकारून /सम्पादकु न व्यक्तिगत रूप से आप तै उकसाई की आप साहित्य मा आओ
पा.गौ- भीष्म कुकरेती ( जौन मी थै लाठी ले लेकी , घुचे घुचे की व्यंग लिखण सिखाई ), कनाह्यालाल डंडरियाल
भी.कु. साहित्य मा आणों परांत कु कु लोग छन जौन आपौ साहित्य तै निखारण मा मदद दे ?
पा.गौ भीष्म कुकरेती .अर डंडरियाल जी .. सबसे बड़ो हाथ मेरी श्रीमती सोनी कु च जोन मरे हर रचना कु पोस्ट मार्टम केकी उथे
एक नई ज्यां दे. !
जुगराज रैनी आप !
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