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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, January 1, 2014

भ्रस्टाचार को अब सात समुद्र पार भागना ही पड़ेगा !

  चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

  ब्याळि घ्याळ दान अपण कामौ विश्लेषण कार त पायि बल वु शिक्षा विभाग का क्वी बि काम नि करणा छन। 
अब घ्याळ दा कारो तो क्या कारो ? 
वैदिनै कि ही बात ले ल्यावो ।  विदिन घ्याळ दान एक सामजिक संस्था की रिपोर्ट पौढ़ तो मंत्री ह्वेक बि वूं तैं बि रूण ऐ ग्यायि कि ग्रामीण उत्तराखंड  मा शिक्षा कु बुरा हाल छन।  जब कि मंत्री तैं कैं  बि, कनि बि दुर्दशा  से दुखी नि हूण चयेंद पण घ्याळ दाक जिकुड़ी मा डाम लग कि पहाड़ी  गाँवुं स्कूलुँ  मा अब अस्सी प्रतिशत विद्यार्थी शिल्पकार जमात का ही पढ़दन  अर छोरी -छोरा त राइ दूर अधिकाँश मास्टरों तैं नि पता कि वूंक जिला राजधानी क्वा च। 
  घ्याळ दाक मानण छौ कि यदि अशोक महान का बाद भारत मा मौलिक खोज रुक अर हरेक क्षेत्र मा 2000 साल तक प्रगति रुकीं राइ तो वांक एकी कारण छौ कि शिल्पकारुं जातीय हिसाब से अवहेलना ही ना शिल्पकारुं द्वारा अन्वेषण करणो सब स्रोत्र बंद ह्वे गे छा। सब तै पता च कि महान आयुर्वेदाचार्य  चरक अर सुश्रुवान जो बि ल्याख वांक पैथर शिल्पकारुं अन्वेषण अर शिल्पकारुं व्यवहारिक ज्ञान कु हाथ छौ। शिल्पकार वै जमाना मा रचनाधर्मी छा।  अर आज बि  जब तलक आम जनता की शिल्पकारिता मा अन्वेषण अर रचनाधर्मिता नि होलि तो भारत जन देस प्रगति कौर इ  नि सकद ।
  शिक्षा मंत्रीन आधारिक विद्यालय का निदेशक अर टीम तैं अपण कॉन्फेरेंस रूम मा बुलाइ कि ग्रामीण इलाका मा शिक्षा स्तर कनकै बढ़ाये जै सक्यांद। 
घ्याळ दा तैं आधा घंटा मीटिंग का बाद आश्चर्य ह्वे कि हरेक टीम सदस्य का पास ग्रामीण शिक्षा स्तर बढ़ाणो सरलतम उपाय छा।  पण उपायों तैं क्रियावनित करणो बान जो राजनैतिक आत्मशक्ति , सहायता चयाणि छे वांक समुचित उत्तर नि छौ। 
घ्याळ दान भावुक ह्वेक सब्युं तैं आवाहन कार  कि भई नौकरी की बात तो जाणि द्यावो हमर अपण मनुष्यगत कर्तव्य बि च कि शिक्षा स्तर मा विकास ह्वावो।  अब जब सबि उत्साहित ह्वेक विचारूं तैं क्रियावनित करणो विचार विमर्श करण ही वाळ छा कि माणावाल जी ऐन अर ब्वाल  "क्षमा मंत्री जी ! एक इमेरजेंसी ऐ गे।  आप तैं अर शिक्षा मुख्य सचिव रावत जी तैं चीफ मिनिस्टर जीक ऑफिस पौंछण।  "
 घ्याळ दा तैं गम्भीर मीटिंग छोड़िक मुख्यमंत्री कार्यालय जाण पोड। 
 सबि मंत्री अर पार्टी अध्यक्ष मुख्यमंत्रीक कैबिन मा जमा छा। 
प्रदेस पार्टी अध्यक्षन ब्वाल - अबि अबि हमर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष याने हमर राजकुमार जीन प्रेस कॉन्फेरेंस मा ब्वाल कि हमर पार्टी भारत से भ्रस्टाचार हटैक भ्रस्टाचार को सात समोदर पार करा देगी  । 
एक मुख्यमंत्री को ख़ास मंत्री - त मुख्यमंत्री जी आप आज दिल्ली जाणा छन ?
मुख्यमंत्री - हाँ जाणि पोड़ल कि ना जब पार्टीन  नीतिगत  फैसला ले आल तो एक दैं राजकुमार जीक आस पास ऊं तैं बताणो जाण ही पोड़ल कि हमर राज्य सरकार  इं नीति तै अमल पर लाणो बान काम कारलि । 
घ्याळ दा से चुप नि रये गे।  घ्याळ दान पूछ - पण सर इखमा नीतिगत फैसला क्या च ? सन बावन मा   ही भ्रस्टाचार खतम  करणो नीति बणी गे छे । 
प्रदेस पार्टी अध्यक्ष - घ्याळ दा ! आप राजनीति नया छन तो आप नि समझदां कि मेसेज क्या हूंद।  राष्ट्रीय उपाध्यक्ष याने राजकुमार जीन एक नयो शब्द चुन कि हमर पार्टी भारत से भ्रस्टाचार हटैक भ्रस्टाचार को सात समोदर पार करा देगी  । हम राजनीतिज्ञ सिम्बोलिक याने प्रतीकात्मक भाषा मा बात करदां अर हरेक राजनीतिज्ञ तैं सिम्बोलिक शब्द पछ्याणन आण चएंदन . 
मुख्यमंत्री -यांक अर्थ च कि अब कुछ करण पोड़ल। 
प्रदेस पार्टी अध्यक्ष - मि अर मुख्यमंत्री  दिल्ली मा मोर्चा संबाळणो जाणा छंवां तो आप सब तैं इक मोर्चा संबाळण। 
मुख्यमंत्री -हरेक विभाग से सबि  छुट  मुट अखबारों मा विज्ञापन जाण चयेंद कि हमारी सरकार हमर पार्टी उपाध्यक्ष के सपनो को साकार करेगी और   भ्रस्टाचार को सात समुद्र पार करेगी। अर द्वी तीन दिन मा टीवी मा बि विज्ञापन ऐ जाल कि हमारी सरकार भ्रस्टाचार को सात समुद्र पार करने जा  रही है। 
प्रदेस पार्टी अध्यक्ष -सबी मंत्रालयों तैं ये किस्मों विज्ञापन दीण जरूरी च। जु सम्पादक -प्रकाशक हमरी पार्टी का समर्थक छन वुं तैं फुल पेज विज्ञापन मिलण चएंदन अर बाक्युँ तैं आधा पेज विज्ञापन।  
मुख्यमंत्री - ख़ास शहरों याने जिला राजधान्युं मा हेरक मंत्रालय द्वारा एकेक होर्डिंग बि लगण चयेंद कि हमारे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के मार्गदर्शन में हमारी सरकार भ्रस्टाचार को सात समुद्र पार कर रही है। 
घ्याळ दा - महोदय ! भ्रस्टाचार हटाणो वास्ता क्वी ख़ास नई नीति ?
प्रदेस पार्टी अध्यक्ष  - घ्याळ दा !  भ्रस्टाचार मिटाणो कुण भ्रस्टाचार निरोधक क़ानून , लोकपाल , आईपीसी का सैकड़ों क़ानून छन कि ना ?
मुख्यमंत्री - मी अर प्रदेस  पार्टी अध्यक्ष यीं मीटिंग का बाद एक प्रेस कॉन्फरेंस करणा छंवां।  उखमा मा संयुक्त बयान मा बुले जालो कि उत्तराखंड में अब भ्रस्टाचार बर्दास्त नही होगा। 
प्रदेस पार्टी अध्यक्ष - कै तैं कुछ पुछणाइ ?
उद्योग मंत्री - अध्यक्ष जी ! शिक्षा मंत्री हमर बात नि सुणदन अर अपण मनमानी करदन। 
मुख्यमंत्री -क्या बात च ?
उद्योग मंत्री - मुख्यमंत्री जी ! शिक्षा विभाग मा सुदामा ऐंड सुदामा कम्पनीन पांच हजार कुर्स्युं सप्लाइ   कौर छे अर शिक्षा विभागन सब कुर्स्युं तैं रिजेक्ट करि देन . 
घ्याळ दा - सर कुर्सी शीसम की लकड़ी से बणी हूण चयाणी छे किन्तु हरेक कुर्सी कीड़ा खयां आम की लकड़ी की छन। 
मुख्यमंत्री - घ्याळ दा ! पता च सुदामा ऐंड सुदामा कम्पनी कैक च ?
घ्याळ दा -ना ।
मुख्यमंत्री - वा कम्पनी राज्य प्रभारी बलबिन्दर जीक जंवाई क कक्या ससुर जीक च ।  तो आज ही कुर्सी सप्लाइ पास कारो अर भोळ पेमेंट दिलवै द्यावो। (धै लगैक ) शिक्षा विभाग का रावत जी तैं बुलावो। 
रावत  - एस चीफ मिनिस्टर ?
मुख्यमंत्री - भई रावत जी ! वो सुदामा ऐंड सुदामा कम्पनी कु चेयर सप्लाई बिल पास करवाओ अर भोळ पेमेंट करवाओ।  
रावत - एस चीफ मिनिस्टर।  सुदामा ऐंड सुदामा कम्पनी तैं भोळ पेमेंट मिल जाल ।
मुख्यमंत्री - बस आज की कैबिनेट मीटिंग ख़तम। भोळ बिटेन " राज्य सरकार भ्रस्टाचार को सात समुद्र पार खदेड़ देगी"  का विज्ञापन शुरू ह्वे जाण चयेंदन 
 

घ्याळ दा पिछ्ला दिनु काम काज की एकेक घटना  याद करण मा तल्लीन छया कि माणावाल जीक आवाज आइ - सर जगमोहन कंडारी जीक फोन च। 
घ्याळ दा -ठीक च।  कनेक्ट कारो। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  30/12/2013


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