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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, July 9, 2012

दुमुख्या गुरा : A Garhwali Satire

चबोड़ इ चबोड़ मा
                                                                   दुमुख्या गुरा
                                                                     भीष्म कुकरेती
         अब सि द्याखदी ब्याळि भैर देस या उन्ना देस अ एक पत्रिका (टाईम्स ) म अपण प्रधान मंत्री मनमोहन सिंग जी क काट करे गे त बी.जे. पी. क प्रवक्ता रवि शंकर जी इन नाचणा, गाणा छया जां बुल्यां यू मनिख पुळेक , खुसी मा प्रसन्नता से बौळे गे होलू . रवि शंकर जी क बुल ण से गंध आणि छे कि कि टाइम्स मग्जीन जु बि लिखद सै इ लिखद. पण जब पूछे गे बल कुछ साल पैल यीं पत्रिका न अटल विहारी वाजपई जी कु न लेखी छौ ट आप लोग बुलणा छ्या कि टाइम्स वाळ कबि सै लिखदा इ नि छन. रवि शंकर प्रसाद जीन जो बि जबाब दे उ बौगाणो बहाना छयो. कोंग्रेस वळु तै पूछे ग्याई बल यू क्या च त कोंग्रेसी बुलणा बल इनी अटल विहारी वाजपई जी क बारा मा बि छौ . अपण बारा मा जबाब नि दीण दुसरो पूठो गू बथाण. क्या डबल स्टैण्डर्ड यांकुणि बुल्द होला? .
              अपणा उत्तराखंडअ मुख्यमंत्री विजय बहुगुणाबुलणा छन बल बहुगुणा बंगाली छ्या. पण बहुगुणा वंशावली मा याँ पर बहस हुंई च कि जु बहुगुणा लोक बंगाली छया त बहुगुणौ कुलदेवी काली देवी ना गौरा देवी किलै च ? अर जरूर श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी लखनौ चुनाव मा बुल्दी होली कि ब्व़े त हमारी त्रिपाठी च . जरुरत बगत उळकाणु (उल्लू) तै बुबा बुलण यांकी बुल्दा होला?
            इन सुण्याण मा आई कि उत्तराखंड क्रान्ति दल का ऐरी जी कोंग्रेस का एजेंट ह्व़े गेन , अर भौत सा लोक ऐरी जी पर भगार (लांछन) लगाणा छन. अब बिचारा कब ऐरी जी तलक भूका तीसा राला अरे कुछ त खाणि द्याओ ऊं तैं.
            एकन पूछ बल हमर पहाडो मा कृषि क्रान्ति किलै नि आणि च , सरकार किलै कुछ नि करणि च ? मीन ब्वाल बल जब नब्बे टका पुंगड़ो मालिक उन्नादेस ( परदेस ) मा ह्वाला त कृषि क्रान्ति क बात सुचण बेमानी इ होली.
कति रूणा छन बल पहाड़ो मा सिक्षा अर बतेरी चीज ठीक नि छन. मि बुल्दो बल ये भै पहाडो बात इ किलै हौरी जगा बि इनी जख्या- भंगुल जम्युं च
            भंगुल पर याद आई बल पैल जख्या क क्वी पूछ नि छे अब कुज्याण जख्या क स्टेट्स किलै बढ़ धौं ?
              मीन जब मंत्र तंत्र पर लेख लेखिन त कथगा इ लोग मै पर रुसेन कि मि अंध विश्वास तै बढ़ावा दीणु छौं. अर यि सौब तिसाला गाँ जैक घड्यळ , टूण टण मण, गाड-गड्याळ सौब पूजिक आन्दन.
            कुछ दिन पैलि एक उत्तराखंडी सामाजिक कार्यकर्ता मीम ऐक रूणा छया कि उत्तराखंडी संस्कृति ख़तम हूणि च अर हमारा लोग समजणा नि छन . अर यूंक वैलेंटाइन डे, फादर डे, मदर डे, क्रिस्चियन न्यू ईयर कुणि मेकुणि ग्रीटिंग कार्ड आन्दन पण गौ बुरी चीज च कि मकरैणि, बसंत पंचमी अर बिखोती क्वी ग्रीटिंग कार्ड आन्द ह्व़ावन धौं .
              हमारा गढ़वळि लिख्वार सरकार तै गाळि दीन्दन बल सरकार गढ़वळि भासा बचाणो कुछ नि करणि च अर अपण बच्चों ब्यौवक न्योतो हिंदी मा छपवान्दन. सरकार तै एक नियल बणाण चएंद बल जु बि गढ़वळि लिख्वार सरकार तै गढ़वळि भाषा क अवहेलना बान गाळि द्याओ वै तै शादिक कार्ड गढ़वळि मा छपाण आवश्यक ह्वाओ निथर इन लिख्वार तै जेल मा बन्द करे जाओ.
              फेस बुक आज एक सच्चाई च अर इख मा लोक अपण अपण विचार धरदन. जादातर लोग पलायन तै गाळि दीणा रौंदन अर अपण बच्चों तै अमेरिका या भैर देस भिजणो इंतजाम मा लग्यां रौंदन.. दुमुख्या गुरौ सैत इनी हूंद होला जु एक मुखान अहिंसा क गीत गांदा होला अर हैंक मुखा न मूस-मिंड क घळकांदा होला.
            एक मास्टर जी परेशान छ्या बल यार इ पटवरि घूस खांद अर उत्तराखंड मा भ्रष्टाचार बढ़ी गे अर अफु घीयक घंटी लेकी फेल नौनु तै पास बि करद.
                अमेरिका क अर्थ शास्त्री भारत अर ग्रीस (यूनान) क बारा मा परेशान छन बल इखाक राजनीतिग्य कामक नी छन अर यूं देसक अर्थ व्यवस्था ठीक नी च. ये भै यि अपण अर्थव्यवस्था किलै नि दिखणा होला? गूणि अपण पूछ नि दिखदु अर बांदरौ बुलद बल तैकू पूँछ लम्बो च.
Copyright@ Bhishma Kukreti , 10/7/2012

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