उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, July 2, 2012

मेरी देवभूमि , म्यार अंतर्द्वंद !

कवित्री - सुनीता शर्मा, लखेड़ा
पलायन कि  पीड़ा च त्यार  हृदय मा
बाँझ पड़ी छन पुन्गुड़ी गुठ्यार  सरा !


अपाहिज ह्व़े  गयों मि  ,भी त्वे  जनि,
मी नि बिसरे छौ त्वे  जन !
सुप्नेय कु तान- बान मा दूर ह्व़े ग्यों  बस ,
मरर्ण बाद जन शरीर कु हाल हूंद  ,
तन छाई म्यारा  प्राण हे देवभूमि !

तेरी भटुळि  दिन रति सतौन्दी छ ,
मुल मुल कैकी   हसंदी ऐ  जांदी तू सुपन्यों मा,
भूखि तब भी रौन्द् छयी ,अब भी वनी छ ,
नौनियों का बचपन त घर भीतर सिमट गेई ,
उनक खेल परदेश मा खोई गैन !

यख ता मी पैल बि इखुलि  छाई ,अर अब बि ,
प्रवासी हूण की सजा भुग्दी रौंदु  सदनि ,
अब त वापिस आण  बि  चांदू पर .....,
सुप्न्युन व् हकीकत कु अंतर्द्वंद ,च लग्युं !

पलायन कु पीड़ा च तयार हृदय मा
बाँझ पड़ी छन पुन्गुड़ी गु ठ्यार  सरा
 
Copyright@ Sunita Sharma

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments