कथाकार- डॉ नरेन्द्र गौनियाल
शिवरात्रि कु दिन.सुबेर बिटि ही शिवजी का मंदिर मा पूजा-पाती शुरू ह्वैगे.खूब भीड़-भाड़,चहल-पहल.दिन भर बर्त्वयों कु आणु-जाणु लग्यूं रहे.व्रत धारी शिवलिंग पर बेलपत्र,दूध,गंगाजल ,फूल-पाती चढाणा रहीं. हरिद्वार मा दिल्ली रोड पर छायो यू मंदिर शंकर आश्रम का भितर.कॉलेज टैम पर हम बि यखी रैंदा छाया एक कमरा लेकि.
आज शिवरात्रि कि छुट्टी छै.मेरो बि व्रत लियों छौ. नहे -धुये कि मंदिर मा चलि गयूं, आश्रम का भितर ही भजन-कीर्तन चलना छाया.दिन भर भीड़ रहे. देर राति तक कार्यक्रम चलनु रहे.ब्यखुनी का टैम पर एक कखि भैर बिटि अयाँ स्वामीजिन प्रवचन करे.ऊ आश्रम मा ही एक कमरा मा रैणा छया.स्वामीजिन शिवजि कि महिमा कु वर्णन करते-करते दिव्य-दृष्टि पर बि प्रकाश डालि अर बोलि कि ,''आध्यात्मिक शक्ति अर योग साधना से प्रभु का साक्षात दर्शन ह्वै जन्दीन.कुण्डलिनी जागृत करि कै दिव्य-दृष्टि प्राप्त ह्वै सकद.ईश्वर कि य कृपा म्यार ऊपर बि च''.
सबि श्रोता स्वामीजी का प्रवचन सुणि कै खुश ह्वैगीं.देर राति तक प्रवचन चलना रहीं.आज आश्रम कु गेट बि खुला छोडि दिए गे.राति एक बजी करीब फलाहार कैरि हम त से गयां.भक्तजन बि अपणा घौर चलि गैनी.आश्रमवासी बि से गईं.सर्या दिन भर व्रत अर भजन-कीर्तन से थकान बि ह्वैगे छै..इनि नींद पड़ी कि सुबेर तब उठां जब आश्रम मा गबलाट ह्वै.
उठी के पता चलि कि आश्रम का भितर कुछ ब्रह्मचारियों कि चोरी ह्वैगे.एक बक्सा क्वी लीगे,जैम रूप्या,लारा-लत्ता रख्यां छाया .इना-फुना सब देखि पण कखि नि मिलु.ह्वै सकद क्वी भगत करि गे कमाल.राति गेट जु खुला छौ.आश्रम का भितर-भैर सब जगा देखि पण कख मिलणु छौ?तब एक आश्रमवासिंन बोलि कि भै जरा ब्यालि वल़ा स्वामी जि तै पुछला..ऊ जणदा छन.सब बताई द्याला कि कख च अर कु लीगे.पहुन्च्याँ महात्मा छन.ब्रह्मचारी वै कमरा मा गैनी.हम लोग बि दगड़ मा चलि गयां.स्वामी जि अबी तक सियाँ छाया.द्वार खुला छाया. ऊंतई उठाळी.अर बोलि कि यख त एक बक्सा चोरी ह्वैगे.कुछ बताई द्या..कख होलू..कु लीगु होलू.? स्वामी जिन उठिकै आंखि मेंडी अर सिरवाणा मा नजर मारि त ऊंको एक भगोया झोला जैमाँ रुप्या,अर भागोया वस्त्र आदि छा ,सब गायब.कमरा भितर देखि ,पण नि मिलो. भैर ऐकि देखा त स्वामीजी का जुत्ता अर जुराब बि नि छाया...ब्रह्मचारियोंन बोलि-स्वामीजी क्य ह्वै ?स्वामीजी कि हालत द्यखन लैक छै..ब्रह्मचारी अपणा कमरा मा चलि गईं अर स्वामी बिचारु कपाल पकड़ी कै पटखाट मा बैठिगे .
डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित.
[गढ़वाली
कथाएँ, आधनिक गढ़वाली कहानियाँ, उत्तर भारतीय भाषाई कथाये, उत्तराखंडी
कहानियां , गढ़वाली लघु कथा, आधुनिक गढ़वाली लघु कथा लेखमाला]
शिवरात्रि कु दिन.सुबेर बिटि ही शिवजी का मंदिर मा पूजा-पाती शुरू ह्वैगे.खूब भीड़-भाड़,चहल-पहल.दिन भर बर्त्वयों कु आणु-जाणु लग्यूं रहे.व्रत धारी शिवलिंग पर बेलपत्र,दूध,गंगाजल ,फूल-पाती चढाणा रहीं. हरिद्वार मा दिल्ली रोड पर छायो यू मंदिर शंकर आश्रम का भितर.कॉलेज टैम पर हम बि यखी रैंदा छाया एक कमरा लेकि.
आज शिवरात्रि कि छुट्टी छै.मेरो बि व्रत लियों छौ. नहे -धुये कि मंदिर मा चलि गयूं, आश्रम का भितर ही भजन-कीर्तन चलना छाया.दिन भर भीड़ रहे. देर राति तक कार्यक्रम चलनु रहे.ब्यखुनी का टैम पर एक कखि भैर बिटि अयाँ स्वामीजिन प्रवचन करे.ऊ आश्रम मा ही एक कमरा मा रैणा छया.स्वामीजिन शिवजि कि महिमा कु वर्णन करते-करते दिव्य-दृष्टि पर बि प्रकाश डालि अर बोलि कि ,''आध्यात्मिक शक्ति अर योग साधना से प्रभु का साक्षात दर्शन ह्वै जन्दीन.कुण्डलिनी जागृत करि कै दिव्य-दृष्टि प्राप्त ह्वै सकद.ईश्वर कि य कृपा म्यार ऊपर बि च''.
सबि श्रोता स्वामीजी का प्रवचन सुणि कै खुश ह्वैगीं.देर राति तक प्रवचन चलना रहीं.आज आश्रम कु गेट बि खुला छोडि दिए गे.राति एक बजी करीब फलाहार कैरि हम त से गयां.भक्तजन बि अपणा घौर चलि गैनी.आश्रमवासी बि से गईं.सर्या दिन भर व्रत अर भजन-कीर्तन से थकान बि ह्वैगे छै..इनि नींद पड़ी कि सुबेर तब उठां जब आश्रम मा गबलाट ह्वै.
उठी के पता चलि कि आश्रम का भितर कुछ ब्रह्मचारियों कि चोरी ह्वैगे.एक बक्सा क्वी लीगे,जैम रूप्या,लारा-लत्ता रख्यां छाया .इना-फुना सब देखि पण कखि नि मिलु.ह्वै सकद क्वी भगत करि गे कमाल.राति गेट जु खुला छौ.आश्रम का भितर-भैर सब जगा देखि पण कख मिलणु छौ?तब एक आश्रमवासिंन बोलि कि भै जरा ब्यालि वल़ा स्वामी जि तै पुछला..ऊ जणदा छन.सब बताई द्याला कि कख च अर कु लीगे.पहुन्च्याँ महात्मा छन.ब्रह्मचारी वै कमरा मा गैनी.हम लोग बि दगड़ मा चलि गयां.स्वामी जि अबी तक सियाँ छाया.द्वार खुला छाया. ऊंतई उठाळी.अर बोलि कि यख त एक बक्सा चोरी ह्वैगे.कुछ बताई द्या..कख होलू..कु लीगु होलू.? स्वामी जिन उठिकै आंखि मेंडी अर सिरवाणा मा नजर मारि त ऊंको एक भगोया झोला जैमाँ रुप्या,अर भागोया वस्त्र आदि छा ,सब गायब.कमरा भितर देखि ,पण नि मिलो. भैर ऐकि देखा त स्वामीजी का जुत्ता अर जुराब बि नि छाया...ब्रह्मचारियोंन बोलि-स्वामीजी क्य ह्वै ?स्वामीजी कि हालत द्यखन लैक छै..ब्रह्मचारी अपणा कमरा मा चलि गईं अर स्वामी बिचारु कपाल पकड़ी कै पटखाट मा बैठिगे .
डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित.
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