गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य
चबोड्या - भीष्म कुकरेती
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा
अमेरिकी पत्रकार डा. मनमोहन सिंग से किलै खिज्यां छन
अच्काल साफ लगणु च बल अमेरिकी पत्रकार अर सम्पादक डा. मनमोहन सिंह से खिज्यां छन, पित्यां छन, परेशान छन, दुखी छन. इन लगणु च बल यि भारत का बड़ा दगड्या, भारत का बड़ा हितैसी अमेरिकी पत्रकार, भारत कु फायदा दिखण वळ अमेरिकी पत्रकार डा. मनमोहन सिंह की भारत मा आशा क हिसाब से विकास नि हूण से निरस्यां छन . द्याखो ना यि भारत प्रेमी अमेरिकी पत्रकार कथगा गुस्सा छन बल भारत की जनता अबि बि विकास को उथगा मजा नी ले सकणि च जथगा या भारत के जनता हकदार च. तबी त यि भारत प्रेमी अमेरिकी पत्रकार भारत मा आशानुरूप विकास नि होण पर अपण समाचार पत्रुं अर पत्रिकाओं मा डा. मनमोहन सिंह पर भगार लगाणा छन, मनमोहन सिंह तै गुंगो , अकर्मण्य साबित करणा छन . अर पैल या इ कौम डा. मनमोहन सिंग का बड़ा मंगद मंगद नि थकदि छे . पन अब टाइम, इकोनोमिक्स अर वाशिंगटन पोस्ट जन पत्र पत्रिका डा. मन मोहन सिंह की काट करणा छन
बात बि सै च भै अब द्याखो ना उख अमेरिका मा बिचारा वालमार्ट जन बड़ा बड़ा मौल वळा परेसान छन कि अमेरिकी अर्थ व्यवस्था सुदारणो बान भारत मा रिटेल मा फोरेन इन्वेस्टमेंट खुला ह्वाओ त भारत तै लूटे जाओ . अमेरिकी पत्रकार डा. मनमोहन सिंह से इलै नाराज छन कि अबि तलक डा. मनमोहन सिंह भारत का प्रधान मंत्री ह्वेक बि अमेरिकी खुरदरा ब्यापारियों तै लुटणो मौका नि मिलणु च. जब बि क्वी देस अमेरिकी आर्थिक स्वार्थ पूरक नीति नि लान्दो अमेरिकी पत्रकार हमेशा ही वे देस कि छाँछ छोल्दन, , वै देस की नेतृत्व की मट्टी पलीत करदन . दिख्यांद त इन च कि यी अमेरिकी पत्रकार बड़ा ही जणगरा छन पण असलियत या च कि यूँ तै ज्ञान गून, खोज, अन्वेषण से कुछ लीण दीण नी च यूंक त एकी खबत च कि कै बि तरां से हौरी देस अमेरिकी आर्थिक दसा मा सुधार लावन अर भड मा जाओ यूँ देसूं असली आर्थिक दसा . जब तलक अमेरिकी स्वार्थ पुरू होंद तब तलक बडै कारो अर अमेरिकी स्वार्थ पूरो नि ह्वाओ त वै देस कि ऐसी तैसी कारो.अमेरिकी पत्रकारुं म एकी काम च कि वै देस क नेता क छवि इथगा खराब कारो कि वू देस अमेरिकी स्वार्थ पूर्ति क बान अमेरिका क गुलाम ह्व़े जाओ. अब यि पत्रकार मनमोहन सिंह की इथगा बेज्जती करणा छन त यूँ तै सत्यता या भारत मा भ्रष्ट तन्त्र कि इथगा रैणि नि पोड़ी बल्कण मा एकी दुःख च कि भारत तै लुटणो मौका उथगा नि मिलणु च बकै अफ्रीकी देसूं या एशियाई देसु मा मिल्दो.
जब इ स्वार्थी अमेरिकी पत्रकार इराकी अधिनायक सदाम की अधिनायकवादी कामुं काट करदन त यांको अर्थ यो नि होंद की या अमेरिकी पत्रकार कौम अधिनायकवाद कु विरुद्ध च बल्कण मा असली अर्थ होंद कि सदाम अब अमेरिकी स्वार्थ पूर्ति मा एक बड़ो गौळ च .
यि बुलणो मानव हितैसी अमेरिकी पत्रकार नरेंद्र मोदी क मानव अधिकार विरोधी कथा लगाण मा नि थकदन पन बेशर्मी कि हद त या च कि कम्बोडिया , ईराक, जन जगा मा जु मानव हत्या अमेरिका न करी वांकी बात यि बिसरी गेन. अपण पूठ पर लग्युं गू त यूँ अमेरिकी पत्रकारूं तै नि दिख्यांद पण दुसरो गू खूब दिखेंद.
जब यि अमेरिकी पत्रकार इन लिखदन कि अलण अफ्रीकी देस मा अब आर्थिक स्तिथि ठीक हूण वाळ च त यांको साफ साफ अर्थ हूंद कि अब यू देस अमेरिकी स्वार्थ पूर्ति लैक ह्व़े ग्याई.
जब यि अमेरिकी पत्रकार लिखदन कि फलण अफ्रीकी देस मा आर्थिक स्तिथि ठीक नी च त यांको यू अर्थ हूंद कि यू फलण देस अमेरिकी स्वार्थ पूर्ति मा अड़न्गा लगाणु च.
जब तलक बिन लादेन अमेरिकी स्वार्थ पूर्ति क पुर्जा बण्यु राई तब तलक यूँ अमेरिकी पत्रकारूं कुणि बिन लादेन से बढिया धार्मिक मनिख क्वी नि छौ पण जनि बिन लादेन न अमेरिकी स्वार्थ पूर्ति छ्वाड यूँ पत्रकारूं कुण बिन लादेन एक भयंकर रागस ह्व़े ग्याई .
यि अमेरिकी पत्रकार बुरु मनणा छन, चिरड्या छन कि अबि तलक हमारो सम्बन्ध इरान क दगड मधुर किलै छन अर चाणा छन कि हम इरान दगड कुट्टी किलै नि करणा छंवां अर हमारो इरान से जमानो से समंध च त क्या हम ये सम्बन्ध तै इनी सुदि अमेरिकी धौंस से डौरिक तोड़ी द्यूंवां क्या? हम इरान क सम्बन्ध का बारा मा अमेरिकी धौंस मा नि आणा छंवां त तताकथित निष्पक्ष अमेरिकी पत्रकार हमारो प्रधान मंत्री क छीछ्लेदारी करणा छन. यूँ अमेरकी पत्रकारूं तै मिर्च लगीं च कि हम अमेरिकी धौंसबाजी से अबि नि डरणा छंवां अर फिर यि हमारि छवि खराब करणा छन.
यि अमेरिकी पत्रकार हम से इलै चिरड्या छन कि न्यूक्लियर पावर मा हम रूस की किलै मदद लिंदा अर अमेरिकी स्वार्थ पूरक न्यूक्लियर नीति तै किलै नि माणदवां बस यि तताकथित ग्यानी अर अन्वेषक अमेरिकी पत्रकार हमारो प्रधान मंत्री पर भगार लगाणा छन.
इनी कथगा इ बात छन जु हम हिन्दुस्तानी अमेरिकी जाळ म नि फसण चाँदवां अर याँ से यि अमेरिकी स्वार्थ पूर्ति का अग्ल्यारि अमेरिकी पत्रकार हमारि प्रधान मंत्री क नाम से भारत कि छवि खराब करणा छन अर हम पर एक दबाब लाण चाणा छन कि हम अमेरिका तै अपण सै गुसै मानवां .
यूँ अमेरिकी पत्रकारूं तै समजण चएंद कि हम भारतीय भितर अपण आपस मा कथगा बि लड़ी ल्योला पण आज हम समजी गेवां कि जब हमारि इज्जत अर सार्भौमिकता पर क्वी भैर वाळ ख़चांग लगालु त हम भारतीय एक ह्वेक वैको जबाब इनी द्योला जन ईंट कु जबाब पत्थर से दिए जांद .
Copyright@ Bhishma Kukreti 6/9/2012
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