गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य
अहा वो लौड़ख्यळया (बचपन ) दिन अर यू चाइल्डहुड
चबोड्या- भीष्म कुकरेती
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा
जब बि मि अपण बचपन समळदु अर आजौ बच्चों क चाइल्डहुड दिखुद त मै लगद कि कुछ ना कुछ अंतर त छें च.
अब द्याखो ना तब जब हम छ्वटा छा त हम माटो से इथगा प्यार करदा छा कि हम माटु मा इ खिल्दा छया अर एक दें मुंड मा माटु पोड़ी गे त आठ दस दिन तलक वै माटु तै अळगैक चलदा छ्या, खांदा छया अर सीन्दा छया. फिर आठ दस दिन परांत जब ब्व़े या बाबु तै लगद छौ कि अब हम बच्चा ये माटु तै जादा नि अळगै सकदवां त फिर वु लोग गाळि देकी हम तै नवान्दा छया अर फिर उ हमारो प्रिय माटो अर हमारा असली जीवन साठी जूं एक दगडडि भ्युं जोग हुन्दा छा. हम माटो अर जूं बगैर नि रै सकदा छया त फिर से माटू मा रबड्वेक खिल्दा छ्या अर कुज्याण कखन हमर मुंड मा फिर से जूं ऐ जांदा छया. अब सुचदु त इन लगद जन बुल्यां हम माटो अर जूंको बान इ जनम लीन्दा छया. अब कख रै ग्याई माटु अर जुऊँ से वु अथा प्रेम. अब त रोज नयेकि बचा लोग माटु अर जूं तै पनपण इ नि दीन्दन अर फिर ब्व़े बाबु अपण बच्चो तै पर्यावरण विरोधी शैम्पो से नवान्दन अर पर्यावरण बिगाड़दन . हमर टैम का बच्चा अपण माटु अर अपण जानवरूं (जन कि जूं ) से प्रेम करदा छ्या त अबाक बच्चा माटु अर से दूर इ रौंदन. जब बच्चा बचपन से इ अपण माटु से प्रेम नि कारल त फिर देश प्रेम कखन आलो. इलै अबाक जवानु मा देशप्रेम काम पाए जांद.
हम भगवान का दियुं जु बि चीज छयो वै तै प्रसाद इ समजदा छया अर हरेक चीज से प्रेम करदा छया . अब द्याखो ना हमारो सीम्प, हमारो आन्खुंक पीप अर पूठो गू सब भगवान कि इ देन च. हम बच्चा लोग भगवान कि यूँ देन से इथगा प्रेम करदा छ्या कि हमारि साँस रुक जांदी छे पन हम सीम्प पुंजण से घबरान्दा छया कि कखि भगवान नराज नि ह्व़े जाओ. आँख पीप से बजे जावन पण मजाल च कि हम अर हमर दिखण वाळ आन्खुं पीप पूंजो धौं. प्रेम प्रेम कि या भक्ति भक्ति की बात छे अर इनी प्रेम हम भगवत देन गू से बि करदा छया. पूठों पर गूवक पपड़ लगी जावन पण हम पूठ नि धूंद छया कि कखि भगवानो दियुं वस्तु गू हम से नि बिछुड़ जाओ. अब क बच्चों क नाक ना त सीम्प, ना आंखू मा पीप अर ना ही पूठ पर गू दिखेंद. त इन मा भगवद प्रेम मा कमजोरी आणि च कि ना ? ए भै जब बच्चा भगवानौ दियुं चीजुं से प्रेम नि करला त कनकैक यूँ बच्चों मा भगवद भक्ति आलि?
हमारो टैम पर भाव प्रदर्शन खुले आम हूंद छौ . मनिखौ भाव प्रदर्शन रुके जाव त मनिख मानसिक रोगी ह्व़े जांद . वै टैम पर क्वी बि मानसिक रोगी नि होंद छौ किलैकि हम जोर से भारी भीड़ मा सब्युं समणि पादि सकदा छा, डंकार ले सकदा छा. अब त पदण अर डंकारण सामाजिक गुनाह मा शामिल ह्व़े गेन. अर जब हम अपण प्राकृतिक भावु तै भैर आण से रुकला त हमारा बच्चा मानसिक रोगी ह्वाला इ.
हमर टैम पर कबीर हमर समाज पर हावी छौ . हम ढाई अक्षर प्रेम तै अहमियत दीन्दा छा अर शिक्षा तै प्रेम का समणि शून्य माणदा छा. हम बच्चा वै टैम पर गोर, से प्रेम करदा छा त स्कूल जाणो जगा गोर मा जाण जादा महत्वपूर्ण छौ. हम गोठ से प्रेम करदा छा त किताब पढ़न से जादा ग्वाठम रयाड चड़ण या भगळवट पर इ ध्यान दीन्दा छया.
हमर बड़ा बूड हम कुणि बुल्दा छा कि कांडो मा नंगी खुट धारो अर अपण खुटों तै मजबूत बणाओ अर म्यार खुट इथगा मजबूत ह्व़े गे छ्या कि जब बि मि नंगी खटुन सडक मा जान्दो ट सडक बुलण बिसे जांदी कि जा जुट पैरिक आ त्यार कड़कड़ा खुट में फर चुभणा छन. अचकालौ ब्व़े बाबु अपण बच्चों सणि बुल्दन बल ," अपने पैर बगैर जूतों के जमीन पर ना रखें कहीं आपके पैर मैले ना हो जायं ".
हमर टैम पर गाळि गलौज अर आशीर्वाद मा क्वी फरक नि छौ.गाळि हमारि सांस्कृतिक धरोहर छे तब. हमर ब्व़े सुबेर सुबेर हम तै इन बिजाल्दी छे ," ये म्वाड़ मोरल त्यार, खाडुन्द करा कब बिजण तीन?", खाणा दींद दै ददि या बोडि या क्वी बि ह्वेन उ इन भट्यान्दा छ्या,' ये कब लगाण तीन तै पुटकि पर आग" . अर जरा जादा खाण क मांगो त आशीर्वचन हुन्दा छा," भूत लगी गेन त्यार पुटुक पर ". यि गाळि सौब बड़ों का पक्का आशीर्वाद छया अर या इ कारण च कि हम पर गाळियूँ से क्वी फरक नि पोड़दु अर कूड़ पर गरम पाणि नि फुकेंदन . अचकालौ बच्चा तातो से तातो पाणि से नि फुकेंदन पण गाळि सुणिक जळि क्या भरचे जान्दन.
इनी कथगा इ अंतर छन म्यार लौड़ख्यळया (बचपन ) का दिनु मा आजौ बच्चों चाइल्डहुड मा.
Copyright@ Bhishma Kukreti 21/9//2012
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