जागि जा
उठि जा
रात पुरेगे
बियण्या ऐगे
उज्यल़ू ह्वैगे
जु उठिगे
वैन पै
जु सियूँ रैगे
वैन ख्वै
सियाँ रैकि
सिर्फ
स्वीणा नि द्याखा
जागि जा
उठि जा
अपणु हक़ ल्या
हैंका हक़ द्या
बुरा कि ना
भला कि हाँ
अत्याचार कु विरोध
सदाचार कु समर्थन
संगठन कि ताकत
अभ्यास कि योग्यता
लगन कि क्षमता
एकटक ध्यान कि सफलता
लगि जा
काम-धंधा पर
उठि जा
जागि जा
यी च रैबार
यी च फ़रियाद
यी च सौगात
यी च धाद
डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित ..narendragauniyal@gmail.com
उठि जा
रात पुरेगे
बियण्या ऐगे
उज्यल़ू ह्वैगे
जु उठिगे
वैन पै
जु सियूँ रैगे
वैन ख्वै
सियाँ रैकि
सिर्फ
स्वीणा नि द्याखा
जागि जा
उठि जा
अपणु हक़ ल्या
हैंका हक़ द्या
बुरा कि ना
भला कि हाँ
अत्याचार कु विरोध
सदाचार कु समर्थन
संगठन कि ताकत
अभ्यास कि योग्यता
लगन कि क्षमता
एकटक ध्यान कि सफलता
लगि जा
काम-धंधा पर
उठि जा
जागि जा
यी च रैबार
यी च फ़रियाद
यी च सौगात
यी च धाद
डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित ..narendragauniyal@gmail.com

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