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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, September 12, 2012

आम आदमी यूंही पिसता रहता है

कभी श्रद्धांजलि में
सियासत 
तो कभी 
सियासत की 
श्रद्धांजलि 

भावना का संवेग 
दुर्भावना का वेग 
सद्भावना का ढोंग 
सब चलता है 

घटनाएँ 
घटती रहती हैं
भावनाएं 
प्रकट होती रहती हैं 
घोषणाएं
होती रहती हैं 
वायदे होते है  
जो पूरे 
कभी नहीं होते 

समय  
निकलता रहता है 
मामले 
ठन्डे बसते में 
जाते रहते हैं 
पीड़ित 
दुखते रहते हैं 
कोई गुहार नहीं सुनता  
सब बहरे हो जाते हैं  

पक्ष-विपक्ष 
सोये रहते हैं 
तबतक 
जबतक 
घटना की वर्षगाँठ 
नहीं आ जाती 
या फिर कोई 
नई घटना 
नहीं घट जाती 

घटनाएँ 
घटती रहती हैं 
नई फाईलें 
बढती रहती हैं 
विपक्ष चिल्लाता है 
सत्ता पक्ष झल्लाता है 

अपनी-अपनी
नालायकी 
छुपाते हैं 
एक-दूसरे पर 
कीचड उछालते हैं 
भावनाएं भड़काते हैं 

सियासत में 
एक सांपनाथ 
एक नागनाथ
बस यही सिलसिला 
चलता रहता है 
आम आदमी 
यूंही पिसता रहता है

     डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित ..narendragauniyal@gmail.com

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