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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 11, 2012

नकली गुलोबंद

 कथाकार-डॉ नरेन्द्र गौनियाल 

सेठ बूबाजि बहुत सीधा-संत आदिम.अपणी शुरुवाती जिंदगी त ऊंन गरीबी बि मा ही काटी पण हर्बी दिन ठीक ऐगीन.चार नौनों मा तीन दिल्ली मा भली नौकरी मा लगी गीं.निकणसु धनेश तै बि कतगे जगों लगे पण ऊ उतगी दा नौकरी छोडिकी घर ऐगे अर घर गौं मा हैळ-तांगळ,मेह्नत-मजदूरी मा ही मस्त ह्वैगे.पलया गौं मा सौकार मास्टरजि  कु हैळ लगाणा का साथ-साथ  ऊंका हौरि काम बि कैरि देन्दु छौ.मास्टर जि बि भौत चंट चालाक,वैतई रोज ब्यखुन्या एक तुराक जरूर दे दींद छाया.रूप्या-पैसा दीं नि दीं,पण दारू जरूर दे दीन्दा छा.
           
अब वैतई दारू की लत लगी गे.वैकि लदोड़ इनी तडम लगी कि बिन शराब कु नि रै सकदु छौ.जादा शराब का कारण हर्बी वैकि तब्यत बि ख़राब हूणि शुरू ह्वैगे.दिनभर रोज मेह्नत मजदूरी करणि अर शाम बगत दारू पीकी टल्ली ह्वै जाणु. खांसी-बुखार का दगड वैको जिगर बि ख़राब ह्वैगे छौ.एकदा काशीपुर बि गै चेकअप कराणों.डाक्टरोंन बोलि कि शराब नि पीणी.पण मनदू कु.ऊ दिन पर दिन जादा पीण लगी गे.अब वैसे काम-धाम बि जादा नि ह्वै सकदु छौ.दारू का चक्कर मा वैन कतगे लोगोँ से उधार बि करि दे. ब्यो-बारात मा इना-फुना लोगोँ कि खीसी बि जपगाणे आदत ह्वैगे.

          एक दिन सुबेर जब वैकि घरवाळी भरोसी देवी छनूडा मा जईं छै,वैन वींका सिरोंणा बिटि चाबी निकाळी अर बक्सा खोलीकि पांच सौ रूप्या निकाळी दीं अर बक्सा फिर उनि बंद करि दे.चार-पांच  दिन मा ही सबि रूप्या दारू मा सुट करि दीं. हैंका दिन बि वैन फिर ब्वारी कु बक्सा खोली.रूप्या त कुछ नि मिला पण एक डब्बा पर वींकु सोना कु गुलोबंद छौ.वैन गुलोबंद खसगै दे. दिन कि गाड़ी से रामनगर चलि गे.लगभग तीन तोला कु सोना कु गुलोबंद सुनार मा बेची दे.सुनारन छीजन-मीजन काटीकि तीस हजार दे दीं.अब वैन पैलि त रामनगर मा ही ठेका मा जैकि दारू ले.मुर्गा दारू सपोडिकी  कुछ खरीददारी बि करि.एक  रंगीन टीबी,घरवळी अर बाल-बच्चों का वास्त लारा लत्ता,कुछ राशन-पाणि,बि लेकि राति कि गाड़ी मा घर ऐगे.घरवळीन जब सामान,टीबी ,कपड़ा देखीं त बोलि कि रूप्या कख बिटि ऐं. वैन बोलि कि मिन जुआ मा जीतीं.वीं सोचि कि जुआ से त कैकि मवासी नि बणदी.पण चलो चार दिन कि चांदनी... कर्ज पत्ता देकी बाकी रूप्या कुछ दिन मा ही सुट करि दीं. 
  
           कुछ दिन बाद वा अपणा भदैया का चूडाकर्म मा जाणो तैयार ह्वै.वींन अपण बक्सा खोली,त देखि की झुला पर धरयां रूप्या नि छन.बक्सा मा सबि साड़ी-बिलोज एक -एक करि झाड़ी-झूड़ी की देखीं,पण नि मिला.फिर अपनों गुलोबंद देखि वींतै कुछ गड़बड़ लगी.पुराणो गुलोबंद चमाचम चमकणू छौ.वीं मैत जाणु छौ,वे तै ही पैन्निकी चलिगे.सौ रूप्या वा पड़ोस मा मास्टरणी दीदी से कर्ज गाड़ी की ले आई.अर बोलि की मैत बिटि ऐकि दे द्योंलू.

            मैत मा चूडाकर्म मा सबि रिश्तेदार अयाँ छाया.क्वी कुछ लायुं त क्वी कुछ.वा बिचारी क्य ल्यांदी,कख बिटि ल्यांदी.ऐन वक्त का बान ही त रूप्या धरयां छाया.वींन पचास रूप्या भदैया का हाथ मा धैरी दीं.एक दर्जन क्याल़ा बि लीगि छै.सौ रूप्या मा बाकी क्य हूंदू. वींकी बिल्कोट वाळी दीदी दिल्ली बिटि ईं छै.वीं तै भरोसी का घर की हालत मालूम छै.वा अपणि भुली का वास्त साड़ी-बिलोज लईं छै.पांच सौ रूप्या अर साड़ी देकी बोलि की तू फिकर न कैर हम त छौ. अपणा बच्चों तै पाळी ले. एक न एक दिन त्यारा दिन बि आला. वै निर्भगीन त नि सुधरणु.तिन ठीक करि जु आर्टिफिसियल गुलोबंद पैनिकी ले.इना-फुना हर्चणा की बि डैर रैंद.भरोसी कुछ नि बोलि,बस वींका आंसू टपगण शुरू ह्वै गीं.

              हैंका दिन सुबेर मैत बिटि आन्द दा वींतै खूब रूप्या मिलि गीं.पांच सौ रूप्या पिठे लगी,साड़ी-बिलोज,कंडी-बोजी बि दे.सबि दीदी- भुल्यों,रिश्तेदारोंन बि वींतै रुप्या दीं.वीं देखिकी सब्युं तै कळ कळी लगणी छै कि यींकू आदिम दरवल्या ह्वैगे.कमांदु कुछ नीं.घर कि हालत खराब ह्वैगीं.आन्द बगत धुमाकोट मा सुनार का पास गे.गुलोबंद दिखैकी बोलि कि भैजी ये तै तोली द्यो.कतगा कु होलू.सुनारन गुलोबंद देखिकी बोलि कि भैनजि मजाक नि कारा.नकली गुलोबंद कु बि क्वी तोल-मोल हूंद क्या.डेढ़ सौ रूप्या मा लियां नकली गुलोबंद कि क्य कीमत ह्वै सकद.कुछ बि ना.पुराणो ह्वै जालो त कबाड़ मा खैती दियां अर हैंकु ले लियां.वा खिसयीं बिचारी चुप चाप घर ऐगे.
               घर मा पहुचिकी वींन अपणा जवैं धनेश तै पूछि कि तिन म्यारा रुप्या चोरी दीं अर असली गुल़ोबंद बेचिकी नकली बक्सा मा धैरी दे.तिन किलै करि इनु ? वैन पैलि त ना ना बोलि,पण जब वींन बोलि कि आज मिन तीसे जबाब लेकि ही रैण.वैन पैलि त चुप रै चुप रै बोलि पण जब वा नि मानि त वींका कापाळ मा एक जोर कि कटाग लखड़ा कि मारि दे.कपाळी मा गुरमुल़ू उपडीगे.वींकु मुंड चकरे गे. वा कपाळ पकड़ी कि खटुली मा पड़ी गे.वींकी अन्सधरी रुकणी  नि छै.

         डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित..narendragauniyal@gmail.com

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