जै मनखी की नी अपणी बोली -भाषा,
जै मनखी की नी छ अपणी पछ्याण
वैको क्या ब्वन्न को होला ब्व़े-बाबा
वैकि जिंदगी मां कुछ नी रस्याण .
जै मनखी की नी छ अपणी पछ्याण
वैको क्या ब्वन्न को होला ब्व़े-बाबा
वैकि जिंदगी मां कुछ नी रस्याण .
ब्व़े कि बोलि ही छ दुधबोलि हमारी
दुधबोली ही मातृभासा हमारी,
गढ़वाली दुधबोली अर ब्व़े की बोली
ई मातृभासा - पछ्याण हमारी .
दुधबोली ही मातृभासा हमारी,
गढ़वाली दुधबोली अर ब्व़े की बोली
ई मातृभासा - पछ्याण हमारी .
सर्वाधिकार@ पूरण पंत पथिक, देहरादून 9412936055
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