गजलकार- पूरण पन्त पथिक
[गढ़वाली गजल, उत्तराखंडी गजल, मध्य हिमालयी क्षेत्रीय भाषा की गजल; हिमालयी क्षेत्रीय भाषा की गजल; उत्तर भारतीय क्षेत्रीय भाषा की गजल; भारतीय क्षेत्रीय भाषा की गजल; दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय भाषा की गजल; एशियाई क्षेत्रीय भाषा की गजल; पूरबी देशों की क्षेत्रीय भाषा की गजल लेखमाला]
जो बि गै वो बौडु नी छ कनो निपल्टो ह्वैगी भैजी
उत्ताराखंडौ पाणि निरसु ,कनो किलै यो ह्वैगी भैजी .
पुंगड़ी /पटळि ली/द्वाखरी बंजी ,कुडी /तिबारी खंद्वार भैजी .
पौ की घंट /ढुंगा निरस्याँ रस्वाडा को गालन बी भैजी .
पौ की घंट /ढुंगा निरस्याँ रस्वाडा को गालन बी भैजी .
मोर/ बिंयारा/ संगाड रूणा, ढ़ैपुरा निरसै गैन भैजी
बल पहाडौ पाणि/ज्वानि ,ब्वग्दा रैग्ये सदनी भैजी .
बल पहाडौ पाणि/ज्वानि ,ब्वग्दा रैग्ये सदनी भैजी .
धुरपळिम खिरबोज निरभगी रून्दो नि ,न हँसदो भैजी
ग्वरबटा का ढुंगा /गारा बाटो ह्यर्दा रंदन भैजी .
इनो असगुन किलै हम खुणि ,लाटा-काला रयां भैजी
बिंडी खाण कमाण पितरकूड़ी बिसरी ग्याँ भैजी .
बिंडी खाण कमाण पितरकूड़ी बिसरी ग्याँ भैजी .
@पूरण पन्त पथिक देहरादून
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