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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, September 10, 2012

निपल्टो :गढ़वाली गजल


गजलकार- पूरण पन्त पथिक 

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          जो बि गै वो बौडु  नी छ कनो निपल्टो ह्वैगी भैजी
          उत्ताराखंडौ  पाणि  निरसु ,कनो किलै यो ह्वैगी भैजी .

        पुंगड़ी  /पटळि ली/द्वाखरी बंजी ,कुडी  /तिबारी खंद्वार भैजी .
         पौ की घंट /ढुंगा निरस्याँ रस्वाडा को गालन बी भैजी .

       मोर/ बिंयारा/ संगाड रूणा,  ढ़ैपुरा निरसै गैन भैजी
       बल पहाडौ  पाणि/ज्वानि  ,ब्वग्दा रैग्ये सदनी भैजी .

       धुरपळिम खिरबोज निरभगी रून्दो नि ,न हँसदो भैजी
        ग्वरबटा का ढुंगा /गारा बाटो  ह्यर्दा रंदन भैजी .

       इनो  असगुन किलै हम खुणि  ,लाटा-काला रयां भैजी
       बिंडी खाण कमाण  पितरकूड़ी  बिसरी ग्याँ भैजी .

      @पूरण पन्त पथिक देहरादून 

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