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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, September 24, 2012

दीदि मान गये आपको !


गढ़वाली हास्य, व्यंग्य साहित्य
चबोड़ इ चबोड़ मा , हौंस इ हौंस मा
                                 दीदि मान गये आपको !
 
                                        चबोड्या: भीष्म कुकरेती
 
[हास्य-व्यंग्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; गंगासलाणी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य;सलाणी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; गढ़वाल वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी गढ़वाल वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; उत्तराखंड वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य;मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; भारतीय द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; दक्षिण एशियाई द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; एशियाई द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; पूर्वी महाद्वीपीय साहित्यकार द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य लेखमाला]
 
                दीदि कि दरियादिली से मि तै मार्केटिंग को पैलो पाठ याद आन्द बल छवि ( परसिप्सन ) अर असलियत मा भेद हुंद , अंतर हूंद.दीदी न अपण छवि बणै द्याई बल दीदी आम मनिखों दगड्याणि च. दीदी क छवि ह्व़े ग्याई बल दीदी से गरीब-गुरबों, दीन- दलितों क दुःख दिखे इ नि जांद. छवि च बल दीदी क दिल गरीबों दगड़चंद च. दीदिक दरेक-हरेक साँस मा गरीबुं दुःख इ रौंद. दीदी माने अपणी ममता बनर्जी भै. मायवती त बैणि च अर ममता त दीदी च.
 
         मान गये दीदी आपको बल त्वे तै गरीबु बान दाणा पाणी चएंद पण हे दीदि , पण हे दमदार दीदि ! जरा तीन कबि हम क्या ऊं दलेदरों, गरीबुं तै बि बताई कि दाणा पाणी बान क्या क्या करे जालो? गरीबु दल मा होण या दीन दिखयारूं पाळि मा होण भलि बात च , दानवी गरीबी हटाणो बान दणमण अन्सदारी बौगाण मा मै क्या कै बि दुरमत्यौ मनिख तै क्वी ऐतराज नी च. पण दीदि खाली गरीबुं दुहाई दीण इ त तुमारो कर्तव्य नी च. गरीबों कुण कन कैक दूधभति आलो यांक खुलासा बि त तुम तै करण चयेंद कि ना? त्यारो गरीबुं अर दलिदरूं क दिदा या दीदि हूँ मा क्वी दिक्कत नी च पण ये दीदि त्वे तै दुनिया तै इन बि बथाण पोड़ल, दिखाण पोडल कि ये दुख्यरन कनै ठीक हूण, निरोगी हूण. आपक दनकाणै भाषा भाषणु बान ठीक च पन दगड मा गरीबी हटाणो ब्य्नुत बथाण बि त कर्तव्य च.
 
                ये दीदी तुम रुणा रैंदा , तुम कै तै बि दनकाणा रौंदा, धमकाणा रौंदा बल बंगाल मा गरीबो तै रोजगार दिलाओ. जी हाँ हमारो पड़ोसी पाकिस्तान वळ बि चान्दन बल हरेक भारतीय तै रोजगार मिलण इ चयेंद . इख तलक कि नेपाली अर बांग्लादेसी बि दिल से अर दिमाग से चान्दन कि बंगाल अर भारत मा हौरी जगा बि रोजगार की खान लगी जाओ. पण यि दीदी जब क्वी रोजगार दिलाणै फैक्ट्री (जन कि टाटा मोटर) पर सफाचट दंदळ फ़ेरि द्याओ त ये दीदी इन बथाओ कि रोजगार क्या अस्मान बिटेन आलो ?
 
               अच्छा चलो तुम नि चांदा कि बंगाल मा क्वी प्राइवेट कम्पनी रोजगार द्याओ त ए जरा बथादि त सै ! तुमन बंगाल का मुख्यमंत्री ह्वेक सरकारी स्तर पर रोजगार दिलाणो बान क्या कार? दीदि सबि जाणदन बल एक रोजगार हूंद जो सरकारी अनुदान जन हूंद अर उखमा उत्पादन शीलता को क्वी भागीदारी या रोल नि होंद. हैंको सरकारी स्तर या प्राइवेट स्तर को रोजगार हूंद जखमा उत्पादन शीलता बि बढ़दि . त हे दीदी मि उत्पादन शीलता बढ़ाण वळु रोजगार कि बात करणु छौं। ये दरियादिल दीदि जरा बथा दि त सै आपन बंगाल मा उत्पादन शीलता बढ़ाण वळु रोजगार क बान क्या कार या क्या क्या योजना बणैन . हे ममता दीदि ! गरीबुं मशीहा दिखाणै छवि बणान अलग बात च अर गरीबुं कुण उत्पादन शील रोजगार दीणै सोच अलग बात च. आपम गरीबुं कुण उत्पादन शील रोजगार दीणै सोच ई नी च. याद च हमारा एक समाजवादी विचारधारा क प्रधान मंत्री ह्व़े छया अर ऊन बि इनी छवि बणै छे जन बुल्यां यूँ से बड़ो समाजवादी दुनिया मा क्या ये ब्रम्हांड मा ह्वाई इ नी च . अर ये दीदि जब इ भारत का प्रधान मंत्री बौणिन त यूँ तै भारत कु सोना लन्दन का बैंकु मा गिरबी रखण पोड़ छौ अर ये दीदी वै टैम पर योजना आयोग का उपाध्यक्ष छया अपणा मनमोहन सिंग जी. अर ए दीदी ! प्रधान मंत्री छया महान समाजवादी चिंतक चन्द्र शेखर जी.
 
                 दीदी हमारा भारत का जथगा बि प्रख्यात , दिलदार समाजवाद समर्थक ह्वेन इ या आज तुमारा जन समाजवाद को दगड्या , समर्थक छन यूंक सरेल पर गरीबी क दुःख से दमळ त उपड़द छन पण यूंन आज तक कबि बि भारत तै यू नि बताई कि भारत मा उत्पादन शील रोजगार कन कैक पैदा करे जाओ जां से उत्पादक रोजगार बि मीलो अर गरीबी पर लगाम बि लगि जाओ.
 
                         यां मा कवी द्वी राय नि छन बल दलिदरि एक दुखुद च एक दुखौण च पण ईं दलिदरि से पार पाणो बान एक निखालिस भारतीय सोच कि जरोरत च. दलिदरि दूर भगाणो बान दया दृष्टि ना अभिन्न अनोखा-भारतीय दूर दृष्टि चयाणि च . दलिदरि क दाह संस्कारों बान दृढसक्यात चयाणि च . हे दलिदरों देवी ! दलिदरि तै डुबाणो बान डौंर बजाण, दमौ बजाण या डुग डुगी बजाण जरूरी नी च बल्कण मा एक दायित्व वळ उतरदायी कर्तव्य चएंद. हे दलिदरों सुख कि दिवानी ! जब आप मा उत्तरदायी कर्तव्य को अहसास ह्व़े जालो त फिर आपम एक नयो ब्यूंत आलो जु निखालिस भारतीय ह्वालो अर भारत से दलिदरि भजाणो अभिनव तरीका ह्वालो.

Copyright@ Bhishma Kukreti 24/9/2012
 
गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; गंगासलाणी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य;सलाणी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; गढ़वाल वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी गढ़वाली वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; उत्तराखंड वासी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; भारतीय द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; दक्षिण एशियाई द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; एशियाई द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य; पूर्वी महाद्वीपीय साहित्यकार द्वारा गढ़वाली में हास्य-व्यंग्य लेखमाला जारी ...

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