१. सच्चि लाणी त पाप च,
खाणक प्वड़्दन लोग ।
आजौऽ सच त वीऽ च,
जैमा यूंकू भोग ।
२. जीवन सुर्जौऽ चक्र च,
घुमि-घुमि बौड़दु वक्खि ।
बिंग्यालि त खूब च,
निथर घाम अच्छ्यांदि दौं झक-झक्कि ।
-@ साकेत बहुगुणा
खाणक प्वड़्दन लोग ।
आजौऽ सच त वीऽ च,
जैमा यूंकू भोग ।
२. जीवन सुर्जौऽ चक्र च,
घुमि-घुमि बौड़दु वक्खि ।
बिंग्यालि त खूब च,
निथर घाम अच्छ्यांदि दौं झक-झक्कि ।
-@ साकेत बहुगुणा
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