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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 9, 2012

गढ़वाली कथा- जागर


 कथाकार - डॉ नरेन्द्र गौनियाल

सिपड़ी बोडी कु नाती चमनू सख्त बिमार पड़ीगे.वैते अचणचक डाऊ,उल्टी,चक्कर शुरू ह्वैगे.अबी ऊ कुल पन्दरा साल कु छौ.वै तै डाऊ अर उल्टी,चक्कर का दगड़ बुखार बि ऐगे.खटुली मा पड़ीकी ऊ लटगिणू -फरकिणू छौ.ब्वे कमला पुंगडा मा जईं छै.दाजी हंसवा ब्वाडा गोर-बखरों मा पल्या बूण जयां छाया. बुबा रामसिंह दिल्ली मा एक कंपनी मा काम करदु छौ.

           घौर मा तब सिर्फ ददी सिपड़ी बोडी ही छै.दादीन सोचि कि ह्वै सकद दाग लगी गे होलू.वा एक कागज कु पुड्या पर लूण धैरिकी पदानों ख्वाळ गै.पदान सौरु तै बोलि कि चमनू तै क्याप ह्वैगे.जरा लूण मंत्री  द्या. घुत्ता पदानजिन लूण अपणा हाथ मा पकड़ी तिबारी मा बैठिकी लूण मंत्रनू शुरू करि.ऊंका आंख्युं मा पाणि कु तरपराट ह्वैगे.दगड़ मा जमै बि ह्वैगीं.लूण मंत्रिकी बोलि कि भौत मैरम दाग लग्यूं.चमनू का मुंड मा तीन दा परोखी दियां अर आगि मा धैरिकी वै तै सुंघै कि बौं हैड पडाळी दियां.बिलकुल ठीक ह्वै जालो. 

             दादीन चट्ट घौर ऐकि उनि करि जनु ब्वल्यूं छौ.पण क्वी फरक नि पड़ी.वैको डाऊ हौरि जादा ह्वैगे.रात भर ऊ ऐड़ाट करणू रहे.वल्या-पल्या ख्वाळ बिटि सब्यूं कि भीड़ लगी गे.ब्यठुलोँ कु गिल गिलाट.क्वी ब्वल्द छल़े गे होलू,क्वी ब्वल्द गणत करवाओ,पूछ करवाओ.औज्यूं ख्वाळ बिटि सग्रामु ब्वाडा तै बि बुलै.ब्वाडन तीन दा रौखाळी करे,पण बीस कु उन्नीस नि ह्वै.चमनू बिचारा कि सरि रात उठा-पोड हुईं रै. हैंका दिन सुबेर चमनू कु दाजी हंसवा ब्वाडा अपणा दगड़ संतू काका तै लिजैकि पुछेरि मा चलि गे.पतगौं मा एक पर देबी नचद बल.लोग ब्वल्दीन कि वा तात्काळी च.सब ठीक-ठीक बतै दींद.पुछेरीन ज्यून्दाळ कांसी कि थकुली मा धैरिकी  बोलि कि धूप-बत्ती अर सौ रुप्या धैरी द्या.फिर बोलि कि तुमरो क्वी पुरण्या लग्यूं.जागर लगे दियां.द्यब्ता सब कुछ बतै द्यालू क्य कन.अब ऊ वख बिटि ही जागरि का घार चलि गीं.जागरि तै लिजैकि राति जागर कु प्रोग्राम बणि गे.

               हुडकी कु घमघमाट अर कांसी कि थकुली को झंझणाट मा सबि मन्खी मस्त ह्वैगीं.कुछ द्यब्ता बणी गीं.एक द्यब्ता मा जब निवारो ल़गै त वैन बोलि कि म्यारू क्वी दोष नि छा.तुम मि तै हरद्वार नवै दियां.जामा-लामा कैरि दियां.ख़ुशी मन से मेरि सेवा दे दियां.आज बिटि ही परचू मिलि जालो. डनड्याळी मा जागर लगणा छाया अर पल्या कमरा मा चमनू कु ऐड़ाट हुयूं छौ.ईं रात बि वैका गैर हाल हुयाँ रैं. 

           सुबेर बि जब वैको डाऊ कम हूणा का बजाय हौरि जादा ह्वैगे त फिर पिनिस मा धैरिकी धुमाकोट सरकारी अस्पताळ मा लिजाण पड़ी.डॉ साबन चेकअप करे अर बोलि की एकी हालत खराब च.तुरंत भैर लिजाण पड़ल़ो.चट्ट रेफर करि की आपातकालीन १०८ सेवा से रामनगर भेजि दे.रामनगर मा संयुक्त चिकित्सालय मा इमरजेंसी मा चेकअप का बाद सर्जनन बोलि की अब्बी औप्रेशन कन पडलो,निथर अपेंडिक्स बर्स्ट ह्वै सकद.आनन-फानन मा ऑपरेशन थियेटर मा लिजैकि ऑपरेशन ह्वैगे.चमनू की जिंदगी बचि गे.ऑपरेशन का बाद डॉ साबन बोलि की मरीज अब ठीक च.जरा सि देर ह्वै जांदी त,एकी जिंदगी खतरा मा पड़ी जांदी.ईं हालत मा देर नि हूण चैंद.याँका वास्त जन जागरण की जरूरत छा.जल्दी से जल्दी मरीज तै अस्पताल ल्य़ाणु भौत जरूरी च.

        डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित .narendragauniyal@gmail.com

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