उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, July 3, 2016

सवादी , सुपौष्टिक या काचो भोजन पकाणौ ब्यूंत

Best  Harmless Garhwali Literature Humor , Jokes Cooking ;  Garhwali Literature Comedy Skits  , Jokes Cooking ; Garhwali Literature  Satire , Jokes Cooking;  Garhwali Wit Literature  , Jokes Cooking ;  Garhwali Sarcasm Literature , Jokes Cooking  ;  Garhwali Skits Literature  , Jokes Cooking ;  Garhwali Vyangya   , Jokes   ;  Garhwali Hasya , Jokes Cooking  ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य,  गढ़वाली जोक्स Cooking


                                     सुपौष्टिक, सवादी  या काचो  भोजन  पकाणौ  ब्यूंत 
-
                                                       चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   


-
           अजकाल मि जब बि टीवी खुल्दु त चैनेलुं मा कुछ ना कुछ पकणु रौंद।  समाचार चैनल त सुबेर बिटेन श्याम तक एकी न्यूज तै ब्रेकिंग न्यूज दिखैक दर्शकुं तै पकाणा रौंदन या कुछ स्वार्थ वस न्यूज कुक करणा रौंदन। 
         फिर फूड या ट्रैवेल चैनलों मा तो हर समय भोजन की बात हूंद जन बुल्यां टूरिस्ट भोजन भट्ट ह्वावन धौं। 
              टीवी चैनलों मा जु भोजन मीन पकद द्याख वै से त इन लगद यी ऐंकर कच्ची भोजन प्रेमी छन।  या कुछ स्यफ त भोज तैं जळाणा इ रौंदन।  
अर फूड या ट्रैवेल चैनलुं से भोजन पकाण नि सीखी सकदु। 
           जु आम गढ़वळि हूंद याने जैक जनम गढ़वाळ मा हूंद अर दर्जा आठ तक गढ़वालम शिक्षा दीक्षा हूंदी छे वु अफिक भोजन पकाण सीख जांद छौ अर गर्व की बात च कि हम गढ़वळयूं वास्ता तब बि क्वी फॉर्मल   कुकिंग क्लासेज नि हूंदी छी अर आज बि हम घमंड का साथ बोली सकदां कि हम बगैर सरकारी सहायता का स्येफ बण जाँदा। We are Born Cook. 
            कुछ अनौपचारिक पाक शिक्षण व्यवस्था से ही आज बि गढ़वळि पाक कला सीखिक दुनिया का बड़ा बड़ा होटलुं मा स्यफ छन। औपचारिक पाक कला शिक्षण व्यवस्था मा हमारी अपणी सरकार बि ध्यान नि दींदि अर हम यान पर घमंड बि नि करदा कि हम बगैर होटल मैनेजमेंट डिप्लोमा का जापान म रूसी भोजन कुक  करदां।   गढ़वळि हमेशा संतोषी रै तो घमंड नि करदो। 
        हमर बकत हमर मां -बैण्यूं -भौजुं कृषि मा व्यस्ततम  समय हूण से हम अफिक पाक कला सीखि जांद था।  पैल पैल झौळ लगाण से पाक कला का श्रीगणेश हूंद छौ फिर झौळ बुजाण मा हम पारंगत हूंदा छा  फिर धीरे धीरे हम बुखण -खाजा उस्याणैं प्रैक्टिस करदा छा  अर तब जैक हम दाळ उस्याणम बि ब्रॉन्ज या गोल्ड मेडलिस्ट ह्वे जांद छा ।  कौणी -झंग्वर - भात पकाण याने ग्रेजुएसन अर रुटि पकाण याने पोस्ट ग्रेजुएसन।  अधिसंख्य ब्वे अपण नौन्याळु  तै पोस्ट ग्रेजुएसन नि करण दींदि छे।  
            फिर हमर गां मा तब जीमण पकाण एक  सामूहिक अर सामाजिक जुमेवारी   समजे जांदी छे तो हम परसाद या भुज्जि चखणो लोभ मा हम सूजी अर भूजि पकाणो पाककला का गूढ़ से गूढ़ विद्या बि सीखी लींदा छा।  चूंकि हम दोयम श्रेणी का बामण छया अर हमर गांवक बहुगुणा हमर दगड़ रैकि प्रोग्रेसिव विचारधारा का ब्राह्मण ह्वे गे छा तो कुकरेती या जखमोला नामक सर्यूळ हम तैं इ ना दुसर गांवक नेग्युं तै बि भात या दाळ  खरोळणो चुपके से इजाजत दे दींदा छा।  इन मा हम दाळ -भात  का पाक शास्त्री बि बण जांद छा। 
                बकै पाक शास्त्री बणनम  कुछ कमी  बेसी रै बि गे तो उच्च शिक्षा प्राप्ति का वास्ता ड्याराडूण ,  श्रीनगर   , जहरीखाळ -दुगड्डा जाण से हम एक्सपर्ट कुक बण जांद छा। तब भारत सरकार का दुंळ वळ  लाल पैसा  चलदो छौ याने तब धन की बड़ी कठिनाई हूंद छे तो अधिसंख्य गढ़वळि छात्र स्वपाकी छात्र बि छा।  नोड्यूल , चौ माउ अर पिजा फैशन तब नि छौ तो गढ़वळि छात्र भोजन बणानम पोस्ट ग्रेजुएट ह्वे जांद छौ। मीन बि स्वपाकशाला मा स्वपाकी    हूणो प्रशिक्षण ले।  मि तै पता च कि सवादी , सुपौष्टिक अर काचो भोजन मा क्या अंतर हूंद। 
           तब यदि  गढ़वळि दर्जा पांच पास या फेल कौरिक शहर जिना सटग गै  तो वै तैं चील कव्वा जन घात लगैका बैठ्या होटल मालिक ठौ दींद छौ  बड़ा आनंद से। बारा पंदरा सालक  गढ़वळि होटल मा घुस ना कि होटल मालिक    जन  कौवा तै  मर्युं मूस दिखे जावो उनी  खुश ह्वेका होटल मालिक चिल्लांद छौ - नया बुल्ला आ गया , नया बुल्ला आ गया , इसे भांड मँजाने में लगा दो। हाँ आज बि चाहे केरल का मेट्रो होटलक मालिक हो या पंजाब का  पटियालौ होटलक मालिक हो या कलकत्ता का कोलमच्छी ढाबा का मालिक हो वु गढ़वळि से वैकि जात  नि पुछ्द अर ना ही गढ़वळि से रेफरेंस सर्टिफिकेट मांगे जांद।  गढ़वळि खानसामा अर साधु की जात अर प्रमाण पत्र  नि पूछे जांद किलैकि द्वी ईमानदार जि हूंदन। 
  होटलम बि भोजन पकाणो कार्य बुल्लाओं (भुला का अपभ्रंश  ) तै इनि नि मिल्दो छौ। पैल पैल भांड घिस्सै , तब फर्श घिस्सै  , फिर मेज सफै  फिर जब बुल्ला होटलम कुछ साल रौणो अलिखित प्रमाण दे द्यावो तो होटल मालिक वे तै सब्जी कटण , चौंळ धूण पर लगै दींद छौ अर फिर कुछ सालों बाद ही भोजन बणानो परमिसन दींद छौ।      
  बुलणो मतलब च बल हम गढ़वळि कै ना कै कारणों से भोजन पाक कला सीखि जांद छा। 
   आज तो सब्युं तै भोजन पाककला सिखण आवश्यक च।  ब्योलीन नौकरी करणी  च ,  ब्यौ बाद ब्वे -बाबुं से  बिगळणी  च त पुरुष  तैं बि पाकशास्त्री हूण आवश्यक च।  DIG संस्कृति मा  पुरुष तै पाककला प्रवीण हूण जरूरी च।  DIG माने डबल इनकम ग्रुप याने द्वी झण नौकरी  वळ।  अब यि त हरीश जुयाल इ बथाल कि DIG हूण पर पुरुष  तै पाककला  का ज्ञान कथगा आवश्यक च। 
            खैर पर मेरी उमर  वळु एक समस्या अबि बि च।  तै बखत पुरुष कथगा बि बड़ो पाकाचार्य हो किलै नि  ह्वावो पुरुष  यदि चुल्लुम बैठो ना तो समाज वै तै चुल्लखचुर्या नाम दे दींद छौ।  तब पुरुष तै चोर नाम हूण मंजूर छौ पर चुलखचुर्या नाम असह्य छौ।  अपणी पुराणी प्रेमिकाओं  कसम मि झूठ नी बुलणु छौं।  आज बि मी तै मेरी मां किचन मा चा बणान देखी द्या तो भड़ भड़भड़ाट शुरू कौरी दींदि अर बुल्दी -" नाती  नतणा वळ ह्वे गे अर किचन मा खड़ु रैंदु।" 
     

3/7/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

 Best of Garhwali Humor Literature in Garhwal
i Language , Jokes  ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language Literature , Jokes Cooking ; Best of  Uttarakhand Wit in Garhwali Language Literature , Jokes Cooking ; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language Literature Cooking Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language  Literature , Jokes Cooking ; Best of  Ridicule in Garhwali Language Literature , Jokes  ; Best of  Mockery in Garhwali Language Literature Cooking , Jokes    ; Best of  Send-up in Garhwali Language Literature  ; Best of  Disdain in Garhwali Language Literature  , Jokes  ; Best of  Hilarity in Garhwali Language Literature , Jokes  ; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language  Literature   ;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language Literature  from Pauri Garhwal , Jokes  ; Best of Himalayan Satire Literature in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal  ; Best of Uttarakhand Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal  ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal  ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal  ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal   ;  Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal  ; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal   ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar    ;
Garhwali Vyangya, Jokes  ; Garhwali Hasya , Jokes ;  Garhwali skits , Jokes  ; Garhwali short Skits, Jokes , Garhwali Comedy Skits , Jokes , Humorous Skits in Garhwali , Jokes, Wit Garhwali Skits , Jokes 
गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली  हास्य , व्यंग्य,  गढ़वाली जोक्स , उत्तराखंडी जोक्स , गढ़वाली हास्य मुहावरे 

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments