Modern Garhwali Folk Songs, Poems ,
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बीजि ग्याई कविता (गढ़वाली कविता )
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बीजि ग्याई कविता (गढ़वाली कविता )
रचना -- गिरीश पंत 'मृणाल ' ( जन्म 1967 , भट्टी गांव , पौड़ी गढ़वाल )
Poetry by - Girish Pant 'Mrinal' -
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग -140 )
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग -140 )
-इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती
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खौरी का बारा, बीजि ग्याई कविता
लेखिक , पौढिकि , 'से ' ग्याई कविता।
गांधी का त्याग से रामी का तप तक
जीतू कि प्रीत मा 'र्वै' ग्याई कविता।
ह्यूं का हिंवाळ से , स्वाणा बुग्याळयूँ तक
नंदा की छंतोळी तक 'छै ' ग्याई कविता।
चौछवड़ि गाड गदेरों का पाणि से
गंगा की औत नहे ग्याई कविता।
हौळ की स्यूं बटि , बांजि पुंगड़ी तक
ढुंगा अर गार बुकै ग्याई कविता।
आंख्युं मा अंसधरि मन मा यकुलास
कुजाणि कैकु क्या ख्वै ग्याई कविता।
सूणीकि -भौणीकि , बींगीकि -जाणीकि
कनै नि गूणी खौंळये ग्याई कविता।
देखिकि हाल मनखी मनख्याळी का
हंसी कि रूणी बौळये ग्याई कविता।
( साभार -- अंग्वाळ )
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