Modern Garhwali Folk Songs, Poems , Present social situation
लमतम (वर्तमान सामाजिक स्थिति -गढ़वाली कविता )
लमतम (वर्तमान सामाजिक स्थिति -गढ़वाली कविता )
रचना -- जगमोहन सिंह जयाड़ा ( जन्म 1968 , बागी , नौसा , टिहरी गढ़वाल )
Poetry by - Jagmohan Singh Jayara -
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 145 )
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 145 )
-इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती
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लठग्युं छ बौडा खल्याण मा,
हबरि देखणु छ ढंग डौळ,बल सैडि कुटम्बदारी का,
खेती पाती फर ध्यान निछ,
लगिं छ नया जमाना की बौळ,
भला लगणा छन सब्यौं तैं,
नया जमाना का रंग अर थौळ.
ब्वारी घास काटण कू,
नि छन मन सी राजि,
मोबाइल धरयां छन हाथ मा,
बणि छन बिल्कुल निकाजि.
नौना नि छन लगौणा मन,
खेती पाती अर धाण मा,
खुश छन गौं छोड़िक दूर,
घौर सी प्रदेश जाण मा.
ढंग डौळ देखिक परिवार का,
बौडा खल्याण मा पड़युं "लमतम",
सोचणु अपणा मन मा ख्वैक,
क्या होलु परमात्मा कसम.
( साभार -- , अंग्वाळ )
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