उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Saturday, July 23, 2016

तैड़ु खुदण याने असली जासूसी करण !

Best  Harmless Garhwali Literature Humor , Jokes Taking out Yam  ;  Garhwali Literature Comedy Skits Taking out Yam , Jokes  Taking out Yam; Garhwali Literature  Satire , Jokes Taking out Yam ;  Garhwali Wit Literature  , Jokes Taking out Yam ;  Garhwali Sarcasm Literature , Jokes Taking out Yam ;  Garhwali Skits Literature  , Jokes Taking out Yam ;  Garhwali Vyangya   , Jokes  Taking out Yam ;  Garhwali Hasya , Jokes   ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य,  गढ़वाली जोक्स


                        तैड़ु खुदण  याने    असली जासूसी करण !  
-
                                       सौजी  सौज मा जड़खुदै   :::   भीष्म कुकरेती 
-  

                    जी हाँ तैड़ु खुदण क्वी जनि तन्यों काम नी च , ना ही स्याळ जन  छकछट्यों  काम च बल्कि एक असली जासूसी जन काम च।  नि हो तो अपण दादी या बोडी तैं पूछी लेन , अजकाल अधिकतर गढ़वळयूँ ब्वे तैड़ु नि खुददन बल्कि ऋषिकेश क्वटदर बिटेन गोभी मंगाण वळि मम्मी छन।  अरे हमारे जमाने में क्या तैड़ु खोदा जाता था बल सारी विन्टर /ठंडी  तैड़ु घूळ कर पुटकी भर लेते थे।  आदि काल से अर हमर जमन तलक भगवान शिव जी शिवरात्रिs दिन तैड़ु भूजि खाण वळ से प्रसन्न ह्वे जांद छा। अब त लार्ड शिवा ओका (न्यूजीलैंड याम/जड़  ); टाइगर नट (एक जड़ ) या पिजा से प्लीज ह्वे जंदन अर भक्तों तै ब्लेसिंग दे दींदन।  लार्ड शिवा बड़ा ही अडेप्टेबल लार्ड जि छन।  
     हमर बगत भगवान शिव बि संस्कृति प्रेमी छा  त  शिवरात्रि से एक मैना पैल बिटेन जंगळ -जंगळ भटकिक शिव प्रेमी गढ़वळि जनानी तैड़ु की घिंडका /या घिंडकि खोदिक लाणा रौंद छा।  यद्यपि कुछ नास्तिक लोग जन कि अचकालौ धर्मनिरपेक्ष बुल्दन बल तै टैम पर गढवाळम भुज्जिक नाम पर छौ इ क्या जु गढ़वळि तैड़ु नि खुदद ! हाँ पर वै बगत ख़ास अपण बुलणो कुण  तैड़ु त छैं छौ।  आज क्या च ? हैं छ क्या आज  ? जख्या ? 
      अब चाहे भगवन शिव तै प्रसन्न करणो बहाना  हो , मैत जाणो कुण सासु तै पुळयाणो माध्यम  हो या पुटगौ सोग हो जनान्युं तैं तैड़ु खुदण पोड़द छौ।   पर क्या तैड़ु खुदण इथगा सौंग छौ ?तैड़ु खुदण इथगा सरल छौ ? मि घर्या तैड़ु खुदणो बात नि करणु छौं।  घर्या  तैड़ु त संत गौड़ी तरां या राजनाथ सिंह का तरां सरलता से खुदे जांद छौ पर अनाड़ी तो बण्या तैड़ु हूंद छा  जु खुदणम जय ललिता, ममता बनर्जी या सब्रमणियम स्वामी क तरां जटिल हूंद छा । असल जासूस अर तैड़ु खुद्वा जनानी मा क्वी भेद नि हूंद।  उन मेरी भाइक ब्वारी  बुल्दन बल बेबर की खोज अर खुदण जासूसी से अधिक कठण हूंद बल। 
  अब जरा सन 1960 मा पौंचो जरा जब जड्डुं मा गढ़वाळम तैड़ु खुदण संस्कृति फलदी फुलदी छै।   
    जासूस तैं  पैल सुचण पड़द कि अभियुक्त या सब्जेक्ट कख कख ह्वे सकद।  उनी जनान्युं तै अपण अनुभव , हौरुं अनुभव अर अन्य सूत्रों से पता लगाण पड़द छौ कि कै बौण ये साल तैड़ु लगुल जादा छन।  एकुण जासूसी मा इंटेलिजेंस कलेक्सन बुल्दन।   मजाक नि छौ करणु मि।  भुंदरा बौका सौं। भौगोलिक स्थिति का अनुमान जासूसीम  , युद्धम  अर तैड़ु खुदणम आवश्यक हूंद। तैड़ु कखिम बि जमी जांद किन्तु भौत सा  तैड़ु बकर्वळ बरोबर दाणि वळ हूंद अर बकर्वळ बरोबर तैड़ु तै खुदद खुदद  औसंद ऐ जांदि द , ब्वे बुबा की याद ऐ जांदि  अर  सासुक गाळी खाणो अलग से मिलदी ।  फिर कुछ तैड़ु लगल त इन हूंदन कि इन बुल्यांद कि एकि लगुल से सरा बराती कुण  तैड़ु पूरा ह्वे  जाला किन्तु यी  तैड़ु जमीन मा पता नि कै लंका पार चल जांदन धौं।  इलै तैड़ु खुदणो उखि जाये जांद जख सम्भावना अधिक हो।  कनो जासूस बि त इनि सुचद कि ना ? 
 फिर जासूस तैं जन ऑपरेशनल इंस्टिंक्ट याने परिचालन प्रवृत्ति  विकास आवश्यक हूंद उनि तैड़ु खुद्वा स्त्रियों तैं तैड़ु खुदणो कुण भौत सी ऑप्रेसनल बथा जणन जरूरी हूंदन।   
           जन जासूस एक लिंक पकड़िक अपराधी या सब्जेक्ट का पैंथर पैंथर जांद उनि तैड़ु खुद्वा स्त्री   तैड़ुक लगुल तै पकड़िक तैड़ु खुददि।   जब तक तैड़ुक घिरळी  नि मिलदी तब तक लगुल इनि पकड़िक रखे जांद  जन बुल्यां  तैड़ु लगल अपण इ  बच्चा हो।  एक दैं तैड़ु लगुल हर्चि गे तो फिर तुम नागराजा, नर्सिंग ,  या अंछेर्युं उठाणु किलै नि गाडो तुम तै  तैड़ु घिरळी  नि मिल सकदी।  कनो ? जासूसी मा बि एक दैं लिंक टूटी गे ना कि अभियुक्त या सब्जेक्ट सद्यनो कुण  गायब ह्वे जांद।  जन जासूसी मा योगी जन ध्यान केंद्रित हूण जरूरी च उनि तैड़ु खुद्वा स्त्री  बि योगिनी तरां ध्यान केंद्रित करिक तैड़ु खुददन। 
 जासूसों मा  एक नैतिकता हूंद।  इनि तैड़ु खुद्वा स्त्री बि नैतिकता का ध्यान रखदन।  इथगा बड़ो गढ्ढा बि नि खुददन कि पर्यावरण तैं नुक्सान हो  अर द्वी चार तैड़ुक कन्द -प्रकंद  गढ्ढा पुटुक छोड़ी दींदन कि हैंक साल बि तैड़ु पैदा हो। 
 जासूसी मा बि बार बार व्यवधान आंदन अर तैड़ु खुदै मा बि किन्तु  जासूस एवं  तैड़ु खुद्वा स्त्री अपण उद्येस्य का प्रति समर्पित हूंदन।  
कूटी से खुदै ,  हथ से लगुल पकड़ण अर फिर बड़ी तरकीब से तैड़ु खुदे जांद अर फिर ठुपरी या कपड़ा पर बांधिक तैड़ु घर लये जांद।  
मीन यु पुरो लेख अपण ब्वे तै सुणैं त ब्वे बुलण बैठी बल त्यार ले चरितर , त्यार ले नखरा अरे लखड़ कटण हो घास कटण हो या  तैड़ु गडण हो सब  इकसनी काम छन।  
अब तुमि बथावो कि तैड़ु खुदण  बड़ो काम नी च? 




-
17/7/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

 Best of Garhwali Humor Literature in Garhwali  Language , Jokes  ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language Literature , Jokes  ; Best of  Uttarakhand Wit in Garhwali Language Literature , Jokes  ; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language Literature ; Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language  Literature , Jokes  ; Best of  Ridicule in Garhwali Language Literature , Jokes  ; Best of  Mockery in Garhwali Language Literature  , Jokes    ; Best of  Send-up in Garhwali Language Literature  ; Best of  Disdain in Garhwali Language Literature  , Jokes  ; Best of  Hilarity in Garhwali Language Literature , Jokes  ; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language  Literature   ;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language Literature  from Pauri Garhwal , Jokes  ; Best of Himalayan Satire Literature in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal  ; Best of Uttarakhand Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal  ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal  ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal  ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal   ;  Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal  ; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal   ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar    ;
Garhwali Vyangya, Jokes  ; Garhwali Hasya , Jokes ;  Garhwali skits , Jokes  ; Garhwali short Skits, Jokes , Garhwali Comedy Skits , Jokes , Humorous Skits in Garhwali , Jokes, Wit Garhwali Skits , Jokes 
गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली  हास्य , व्यंग्य,  गढ़वाली जोक्स , उत्तराखंडी जोक्स , गढ़वाली हास्य मुहावरे 

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments