Modern Garhwali Folk Songs, Inspirational Poems
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हे बटोई (गढ़वाली कविता )
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हे बटोई (गढ़वाली कविता )
रचना -- यतेंद्र गौड़ ( जन्म 1967 , सिमळ , यमकेश्वर , , गढ़वाल )
Poetry by - Yatendra Gaur-
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 138 )
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 138 )
-इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती
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ठंडू मठू के बाटु लग्युं रै
तन कि पीड़ा देखि ना
कबि त आली ऋतु बसंत। मन कि आस छोड़ि ना।
गारा कांडु खुटि बैठला , आँखि बूजि जिसैsले
छैलू -पाणी मिलि नि मिली , अगनै बाटु छोड़ि ना
कबि त आली ऋतु बसंत। मन कि आस छोड़ि ना।
काळी रात अंद्यरु बाटु , द्यू बत्ती लेकि हाथ
सारू दगड्या क्वी नि होलू , तू जग्वाळ कैरि ना
कबि त आली ऋतु बसंत। मन कि आस छोड़ि ना।
अपणा बारा अपणु बाना बकि कबि नि जाण
अब त आस त्वैमा लग्युं , हम खुणि मुख मोडि ना
कबि त आली ऋतु बसंत। मन कि आस छोड़ि ना।
मौळयार बयार आलि , फूल खिलला रंगी रंगीला
छैल छबीली दुन्या होली , तू यनु मा बिरड़ि ना
कबि त आली ऋतु बसंत। मन कि आस छोड़ि ना।
( साभार -- अंग्वाळ )
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