हंसोड़ा छोकरा: भीष्म कुकरेती
कभी कभी मेरे दिल में नही दिमाग में दधिसारी (नवनीत) विचार आता है कि कभी ना कभी हम सभी एक दुसरे को हैप्पी फ्यूंळी डे की दुआ देंगे .
कभी कभी मेरे को सपना आता है कि जितने जतन से, जितनी फिकर से, जितनी चिंता से, जतने ध्यान से हम रोज डे Rose को याद करते हैं उतने जतन से ना सही फंकी (चुंगटि) बरोबर ही सही हैप्पी फ्यूंळी डे की भी याद करती तो हमारे नॉन-पहाड़ी दगड्याओं दोस्तों/ मित्रों का क्या जाता?
मुझे नही लगता कि उत्तराखंडियों, हिमाचलियों , नेपालियों द्वारा कोई भी हमारा नॉन-पहाड़ी दग ड्या, दोस्त, मित्र/फ्रेंड हमे और्थोडौक्ष कहते !
यह ठीक है रोज (गुलाब) शांति, प्रेम, सौहार्द्य , पवित्रता और सुवा (प्रेमि) के साथ रोमांस का प्रतीक है . पर किसने कहा की हमारि प्यारी दुलारी ,
लाडली, फ्यूंळी निम्न भाव की प्रतीक नही है
फ्यूंळी रति संयोग व राति वयोग दोनों की निसानी भी है.
फ्यूंळी में मात्री, पित्री, भ्रात्री, भगनी, समाज प्रेम अन्तर्हित है
फ्यूंळी चपलता का भी प्रतीक है
अहा ! फ्यूंळी कोमलता को भी प्रदर्शित करने में गुलाब से कहीं अधिक सक्षम व सही प्रतीक है
जी हाँ! फ्यूंळी प्रतीकोपासना के रूप में प्रयोग होता है.
आह! जब प्रेमी की बात जोही जा रही हो तो फ्यूंळी शब्द प्रतीक्षण (प्रतीक्षा करना ) को उजागर करता है, फ्यूंळी प्रतीक्षण (आसरा) भी दे देती है, अलंकृत भाषा में फ्यूंळी प्रेमी को प्रतीक्षक (पूज्य) भी बना जाती है जनाब !
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फ्यूंळी शब्द से कोई भी प्रेमी, किसी भी प्रकर के प्रेम में हास और उत्साह रोमांच, स्मृति, संतोष, हर्स, मद उत्सुकता के भाव प्र्सर्षित कार सकता है.
रोज डे सेंट वेलेंटाइन (269 इ.) के क्रिस्चियनिटी के त्याग की याद में मनाया जाता है और हमे क्या दिग्विजय सिंह, नितीश कुमार, अरविन्द कजीरवाल याकिसी को भी ऐतराज नही होगा कि कोई भी हिन्दू इस अनोखे मानववादी दिन को याद करे और एक दुसरे को वधाइयां दे.
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यह बहुत ही भली बात है,; प्रशंशनीय बात है कि हम दूसरे के मां बाप की बडी इज्जत करें पर दुःख तो तब होता ही है कि जब कोई अपने मा-बाप को तो अनाथालय में भर्ती कर आता है और दूसरों के मा-बाप की सेवा या इज्जत करने में अपणा सौभाग्य समझता है .
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है की हम भी हैप्पी फ्यूंळी डे मनायें .
Happy ----Fyunli--- Day and Happy Rose Day Too!
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