Modern Garhwali Folk Songs, Sharp Satirical, paradox Poems
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बगत हि त छ (तीखा व्यंग्य , गढ़वाली कविता )
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बगत हि त छ (तीखा व्यंग्य , गढ़वाली कविता )
रचना -- बीना कंडारी ( जन्म -1967 , कसना , धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल )
Poetry by - Beena (Bina) Kandari -
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 142)
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 142)
-इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती
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बगत हि त छ !
जूनि मा कूड़ी बणाणा को
पुटगुंद हि मनखी कि
जाति खुज्याणा को
बगत हि त छ !
पांच सौ कु नोट
द्वी किलो कु थैला
बांदरों का खुचिलों
कुकरों का छौला
बगत हि त छ !
ज्वानो की मतिंग /दानों की भतिंग
घास -पाणी -सब्या धाणी
अर ग्वीलों लतिग
बगत हि त छ !
भद्यळा , चमचों की बरात
नौकर्यूं म जात पात
बिजली विभागम अंध्यरि रात
अर स्कूलों मा दाळ भात
बगत हि त छ !
xx .....
कपाळ थमणू ब्रह्म (क्लोनिंग का वजै से )
नाक बुजणु महेश (प्रदुषण का वजै से )
अर चमच्चों न घटाघट
दूध पीणू गणेश
बगत हि त छ !
( साभार -अंग्वाळ )
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