(Humor in Garhwali , Humor in Kumauni, Humor in Uttarakhandi Languages)
चबोड्या - भीष्म कुकरेती
(लिखवार दगड्यों !बुरु मानिल त रोष अपण घर्वळयूँ पर गाडीन भैरों! )
1- जब बिटेन घ्वाडों मा 'हौर्स पावर' छौ तब तलक घ्वाडों की बडी पूछ छे
अच्काल होर्स पावर रेल, गड्डी, मोटर बाईकुं इंजिनुं मा चलि गे त अब बिचारा घ्वाडा इन ह्व़े गेन जन कै जितण वा ळ नेता की जमानत जफ्त ह्व़े गे ह्वाऊ धौं
2- एक दिन पूरण पंत द्न्तुं डाक्टर मा दांत दिखाणो गेन
आदिमन डाक्टर तैं पूछ बल " म्यार अग्व्वाड़ी एक दांत तुड़न छौ . डाक्टर साब ! कथगा पैसा प्वाड़ल ? "
डाक्टरौन बथाई बल " जादा ना एक हजार रूप्या. ल्या इं खुर्सी मा बैठो. द्वी मिनट मा ..."
पूरण पंत न क्लिनिक बिटेन भैर आन्द आन्द ब्वाल, " रौण द्या, कै कवि सम्मलेन मा कै कवि क दगड़ झगड़ा करुल त एक क्या द्वी दांत त टुटि जाला..'
३- एक दिन एक लिख्वार डिल्ली बिटेन अपण गौं अयूं . लिख्वार तैं जुवा खिलणो शौक चौ . जुवारि लिख्वार नयार नद्यौ छाल तर्फां ग्याई. उख कुछ काम होणु छौ.
प्रवाशी जुवारी न गजेंदर तैं पूछ बल ' क्यानको काम होणु च भै?"
गजेंदर न जबाब दे बल , " भैजी ब्रिज बनौणो काम हूणु च ."
प्रवासि जुवारी गढ़वाळी न खौंळेक ब्वाल, कनु भंगुल जाम, कन बिजोग पोड़ ! , तुम सौब ब्रिज बणौना त छंवां पण खिलणा किलै नि छंवां ?"
४- भौत पैलै बात च पौड़ी क उकाल्यौ बाटो म कवि वीरेंदर पंवार न अपण सुवा कुणि बडी कळकळि भौण मा ब्वाल ' ए सुवा !
मीम इथगा बड़ो मकान त नी च, ना इ मीम क्वी कार च जन श्रीनगर मा म्यार दगड्या जोगेंदर मा च. पण मि त्वे से भौत प्रेम करदो ."
" प्रेम त मि बि करदो छौं ." नौनी न जबाब मा ब्वाल, " पण ज़रा जोगेंदारो घौरौ पता त बथा ?"
आज वा नौनी जोगेंदरौ घर्वाळी च
५- श्रीनगर युनिवरसिटी मा डा. दाता राम पुरोहित पढ़ाना छया, ' हमन सुलार पैरण मुसलमानी राजाओं मांगन सीख; , अंगरेजूं मुंगन पैंट, हैट टाई,
पैरण सीख , इनी क्वी उदाहरण द्याव्दी."
एक पढंद्यारो जबाब छौ, " तमाखू पीण मीन अपण काका मुंग सीख, अपण बुबा जी मंगन मीन गाळी दीण सीख, अर बहुगुणा जी- नेगी जी क चुनौ
बिटेन झूट बुलण सीख."
६- एक लिख्वारन उत्तराखंड खबर सारौ सम्पादक विमल नेगी कुण एक लम्बो लेख भ्याज. विमल नेगी न लिख्वारो खुणि जबाब भेज,
आदरणीय कलमदार जी ,
अपण दुश्मनौ ददा, पड़ ददा अर भ्रष्ट नेतौं कसम खैक/ सौं घौटिक लिखणु छौं बल ये लेख तैं बंचण मा जथगा रौंस आई उथगा रौंस कबि
बि कैं लेख बंचणम नि आई . झूट लिखणु होऊं .त म्यार सब्बी दुशमनुं पुरखा नरक जैन अर सब्बी भ्रष्ट नेता मड़गट जोग ह्व़े जैन.
नागराजा, उफरैं देवी क कसम छन जु मि ए लेख तैं खबर सार मा छपुल त मै तैं पूरो भर्वस च अगवाडि क दस हजार बर्सुं तलक क्वी बि गढवाळी मा याँ से
खत्युं लेख लिख्याण त दूर घडे /सोचे बि नि सक्यालु . दारु मैफिया क गुसैञ सौं लेकी लिखणु छौं बल हम तैं बड़ो दुःख च बल इथगा बड़ो स्टैंडर्डौ
लेख हमारा बंचनेरूं समज से भैरो बात च. तुम से हथ जुडै च बल तुम सिरफ़ द्वी चार इनी लेख अंग्रेजी मा छपवाओ अर मैं तैं
पुरो भर्वस च जै दिन यू लेख अंग्रेजी मा छपी गे त वैदिन इ अंग्रेजी जड़ नाश ह्व़े जालो या अंग्रेजी भाषा तड़म लगी जाली , अंग्रेजी की सटाक से डंडि सजी जाली अर दुनयौ हौरि भासौं
भलो ह्वाऊ या नि ह्वाओ गढ़वाळिअ त भलो ह्वेई जालो.
हे ! नरसिंग, हे नागराजा! इन लेख कबि खबर सार क्या कै बि गढ़वाळी पत्रिका मा नि पौंछणौ बळिञछा (कामना ) मा अर
तुम से कबि गढ़वाळी मा लेख इ नि लिखे जाओ कि पुरी आस मा
तुमर त ना पण गढ़वाळी हितैषी --विमल नेगी
७-** नामी गिरामी गढ़वाळी साहित्यौ समालोचक भगवती प्रसाद न भीष्म कुकरेती क छाळी गढ़वाळी लिखण पर पारेशार गौड़ मा ब्वाल
अर पूरण पंत मा बि ब्वाल, ' यू जाबळु भीषम, छाळी गढ़वाळी मा लिखणो इनी पुठ्या जोर लगांदु जन बुल्यां क्वी गैबण गौड़ी कुटैम पर स्वील होण चाणि ह्वाओ .
हूं! गौड़ी तैं बि डा अर गौड़ी क मालिक-मालिक्याण की बि रोणि धाणि ." हाँ ! भगवाती प्रसाद जी क समणि डा अचला नन्द जखमोला संकलित-संपादित गढवाळी -हिंदी -
अंग्रेजी शब्द कोष छौ.
८-** थाणे मुंबई मा उत्तराखंड महा सभा की एक अखिल भारतीय बैठवाक छे. विषय छौ ' मुंबई मा कुमाउंनी-गढ़वाळी कनकैक बचये जाऊ !"
पैलो भाषण डा. बिहारी लाल जालंधरी को छौ. डा. बिहारी लाल जालंधरी को छौ. डा. जालंधरी न भाषण मा ब्वाल बल कुमाउंनी अर गढ़वाळी
क ध्वनि एकी छन. भाषण सूणि आधा से जादा लोक सुरक से हाल से भैर चली गेन
दुसर भाषाण छौ डा. राजेश्वर उनियालौ , डा. उनियालौ न लोगूँ तैं बिंगाई/समजाई बल कुमाउंनी अर गढ़वाळी भाषा तैं मिलैक एक हैंकि तिसरी भाषा नि बौणलि
त गढ़वाळी अर कुमाउंनी भाषा नि बची सकदन. डा. उनियालौ भाषण सुणदेर त सुणदेर (श्रोता), स्टेज मा बैठयाँ स्टेज प्रेमी अर डा उनियाल बि हौल छोडि
भैर ऐ गेन.
स्टेज मा बुलणो बारी छे डा नन्द किशोर ढौंडियाल की. डा नन्द किशोर ढौंडियालन द्याख बल एक विद्वान् सि आदिम स्टेज मा छौ.
डा. ढौंडियाल न वै आदिम मा ब्वाल, " द्याखो भै ! तुम बि भैर जाणा छंवां त भैर जै ल्याओ . कोटद्वार बिटेन बौम्बे आन्द आन्द अब तलक मी अपण
' गढ़वाळी बचाने हेतु - प्रवासियों में कैसे गढवाळी की नई लिपि प्रचारित की जाय' भाषण रटणो इ छौं. क्वी सुणदेर नि बि ह्वाओ त मीन भाषण पढ़ण च"
स्टेज मा रयुं एकी आदिम न जबाब मा ब्वाल, ' मीन बि अपण भाषण ' जब तक गढवाळी मा हाइकु कवितौं प्रचार नि ह्वालू, तब तलक गढ़वाळी
नि बची सकदी" बीस दै रट . आज चाहे खम्बों तैं भाषण सुणौल़ू , मीन भाषण दीण इ च ."
जब डा ढौंडियाल अर चौथू बक्ता का परिचय ह्व़े त पता चौल बल यि चौथा बक्ता अहमदाबाद मा रौणवाळ डा. धर्मा नन्द जदली छ्या. .
** ड्याराडूण मा गढ़वाळी कवि सम्मलेन छौ . स्युंसी बैजरों बिटेन छिलबट बि कवि सम्मेलन मा बुलये गे छ्या.
सम्मलेन हाल क नजिक छिलबट बाळ कटवाणो एक सैलून मा गेन
छिलबट ज़रा गंवड्या लिवास मा छया .
नाई न छिलबटो बाळ कटद-कटद बथाइ, " आज फलण हौल मा कवि सम्मेलन च. अर छिलबट कवि बि आणो च "
छिलबट न खौंळयाणों भौण मा ब्वाल," अच्छा ! बड़ी मजेदार बात च बल छिलबट कवि बि औणु च !"
नाई न पूछ , '" मै लगद तुम बि कवि सम्मलेन मा जाणा छंवां ?"
छिलबट ," हाँ ! विचार त इन्नी च ."
नाई," त टिकेट या पासौ इंतजाम ? पास या टिकेट नि ह्वाओ त फिर छिलबटो कविता खडु ह्वेकि सुणन पोड़ल"
छिलबट , " ना मीम छें च पास."
नाई, " वा ! .म्यरा गाहक बुल्दन बल छिलबटो कविता सुणण ह्वाओ त बैठिक इ सुणण चयेंद. वो इन बुल्दन
बल छिलबटो कविता खड़ो ह्वेक सुणण मा कतै बि रौंस/मजा नि आन्द. तुम त भाग्यशाली छंवा जु आज
खुर्सी मा बैठिक छिलबटो सुणनौ मौक़ा मिलणो च "
छिलबट न रुणफति भौण मा जबाब दे ," म्यार दुर्भाग्य च , बल जब बि मीन छिलबटो कविता सुणिन
खड़ो ह्वेक सुणिन ."
** एक दिन कनाडौ बासिन्दा पाराशर गौड़ अर ड्याराडूणो रंत रैबारऔ सम्पादक इश्वरी प्रसाद उनियालौ फोन पर छ्वीं लगीन
गौड़," उनियाल जी ! यार आप कबि बि मेरी चबोड्या कविता नि छपदा ?"
उनियाल," ह्यां ! आपका गद्य आपका पद्य से बिंडी सवादी छन . "
गौड़," पण आपक इ रंत रैबार मा आपन भगवती परसादौ लेख छाप , जखमा नौटियाल जी न ल्याख
म्यार गद्य गद्य बुलण लैक बि नी च."
उनियाल," गौड़ जी ! नराज नि ह्वेन, अब नौटियाळ जी निखत से निखत लेख बि ल्याखाल त हम सम्पाद्कुं तैं छपणइ पोड़द '
गौड़," अरे , नौटियाळ जीन कनाडा बिटेन वैट ६९ की बोतळ मंगे छै अर वैट ६९बोतळ ल़ाणे लै छयो पण वीं बोतळ तैं मदन डुकलाण,बिष्ट जी, रमेश डंडरियाळ
आदि घटगै गेनी. बस नाराजी मा नौटियाल जीन ...."
उनियाल," क्वी बात नी च अबी दें मदन डुकलाण से पैलि वैट ६९ की बोतळ मीं तैं दिखे देन भली कविता त राई दूर आपक सौब घळत्यण्या क्या
खुट्या कविता बि छपी जाला."
** अप्रैल फूलअ दिन ड्याराडूणडूण मा रेंजर ग्रौंड मा गढ़वाळी गीत संगीत अर कवितौ प्रोग्राम छौ. रेखा (धष्माना) उनियाल बि स्टेज पैथर गीत गाणो तैयार छे.
उख रेखा क कजे/पति राकेश उनियाल फैशनेबल टि शर्ट पैरिक ग्रौंड मा घुमणा छया. राकेश की शर्ट का अग्वाड़ी छ्प्युं छौ," मेरी धर्मपत्नी
रोमांटिक गाणा लिखदी बि च अर गांदी बि च." अर शर्टो पैथरौ इबारत छे, " अर मी रोमांस की खोज मा रौंद"
इनी रमाकांत बेंजवाळ की शर्ट का ऐथर लिख्युं छौ," मेरी पत्नी बीना प्रेम गीत लिखदी ." अर पैथर लिख्युं छौ, " मी प्रेम की खोज मा रौंद."
** सुरेन्द्र सिंह सायर या चिन्मय सायर तब दर्जा छै मा पढ़दा छ्या. मास्टर जीन सुरेन्द्र जी क कापी देखिक पैल सुरेन्द्र जीक मुंड मा खैड़ा कटांग
मार अर फिर गुस्सा मा ब्वाल," क्या बै सुलेंदर! कन खज्यात आई तेरी! अंग्रेजी क राइटिंग कनी च, किंगण्या इ किंगण्या . कुछ पल्ला इ नि पड़णु
यू तयार लिख्युं क्या च? राइटिंग सुधार !"
सुरेन्द्र जीन जबाब दे ," मासाब जब राइटिंग साफ़ छे त आप खैड़ा कटांग लगान्द दें बुल्दा छ्या बल स्पेलिंग मिस्टेक ठीक कौर .."
* सुरेन्द्र सिंग या चिन्मय सायर की राइटिंग हिंदी मा बि पैल खराब इ छौ . एक दैञ सायर जीन एक भक्ति पूर्ण अर दार्शनिक
गढ़वाळी कविता सत्यपथ मा भ्याज त कविता इन छे
मि भगवनि से प्रेम करदो अर भगवनि बान मी घरवळी छोड़ी देलू
मि धर्मी को दास छौं अर वींको बान ब्व़े -बाबु छोड़ देलू
** एक बड़ा गढवाळी लिख्वार जरा देर से बिजेन .
उंकी घर्वाळी न पूछ ," तुम तैं पता च आज क्या दिन च ?"
"हाँ ! आज भुप्यार च ," लिख्वारन चौड़ जबाब दे
घरवाळीन उच्छंडेक ब्वाल , " आज हम तैं कुछ मनाण चएंद, आज पच्चीस साल पैल हमारो ब्यो हे छौ."
पति न ब्वाल, " ओहो! हाँ बिलकुल ! चलो द्वी, मिनटों मौन रखिक बरजात मनये जाओ."
** जादातर डा राजेश्वर उनियाल अपण नौनु तैं कार से जगता सगती /हड़बड़ाट मा स्कूल छोड़दन
एक दिन मिसेज उनियाल अपण नौनु तैं कार से स्कूल छुड़णो गे .
जब कार स्कूलों गेटऔ अग्वाड़ी पौंची गे उनियाल जी क नौनु न अपण ब्व़े तैं पूछ,"
ब्व़े! आज बाटो मां , एक बि हरामी क औलाद, कुकरो लौड़ , गधौ लौड़ , अपण ब्व़े क मैसु नि मील."
मिसेज उनियालौ जबाब छौ, " हाँ! य़ी सौब तबी आन्दन जब तयार बुबा जी कार चलान्दन "
** जग्गू नौडियालौ न अपण रिश्तेदार पराशार गौड़ खुण चिट्ठी ल्याख -
म्यार बुबा जी तैं घ्वाड़ा मा बैठण मा कबि डौर नि लग.
पण बुबा जी तैं बस या कार से भौत डौर लगद छौ.
मिं तैं कार या बस से कबि बि डौर नि लगी पण जाज औ नाम सूणिक इ पुटुकुंद डौरन च्याळ पोड़न बिसे जान्दन.
म्यार नौनु तैं हवाई जाज चलाण मा डौर नि लगदी पण घ्वाड़ा से इथगा डरदु ब्याओ दिन बि घोड़ीक समिण
बि नि आई.
पाराशर गौड़ऐ चिट्ठी इन छे -
म्यार ददा जी तैं पाटी क माटु मा लिखण मा कबि बि झिड़झिडि नि लग पण जनि कागज़ मा लिखणो बात आन्दि छे त ददा जी
अपण ममा कोट भागी जांदा छया
म्यार बुबा जी तैं कागज मा लिख ण मा कबि बि अळजाट नि ह्व़े पण जनि टाइप राइटर से टाइप करणो बात आँदी छे, त बुबा जी
कैजुवल या सिक लीव ल़े लीन्दा छया
मी तैं टाइप राइटर मा टाइप करण मा क्वी झंझट नि ह्व़े पण जनि राजीव गांधियौ क्वी कामौ बान कम्प्यूटर मा काम करणो बगत आंदो छौ
मी जग्वाळ फिल्मौ शूटिंग औ बहाना लेकी कखी बि लंडखणो चलि जान्दो छौ.
म्यार सबसे कणसो नौनु तैं कम्प्यूटर मा काम करण मा क्वी अळजाट नि होंद पण जनि मी बोल्दु की 'मेरी तब्यत ठीक नि च. जरा एक कागज़ मा
एक चिट्ठी लेखी दे', त म्यार नौनो मुख मा झामट पोड़ी जांद अर वो दसरै गर्ल फ्रेंड लेकी दस बारा दिनों खुणि अमेरिका घुमणो चली जांद.
** गढ़वाली-हिंदी शब्द कोष को नयो एडिसन क कारण द्वी झण बीना अर रमाकांत बेंजवाल मा झगड़ा ह्व़े गे.
रमाकांत बेंजवाल- ठीक च. मी अपणि गल्ति मानि ल्योलू जु तू मानि लेली बल मी सचमुच मा सही छौ
बीना बेंजवाल - ठीक च . आप पवाण लगाओ (शुरुवात कारो).
रमाकांत बेंजवाल - हां! मी मणदो छौ बल सरासर गलत छौ
बीना बेंजवाल - आप बिलकुल सोळ आना सही छन
** महेश ध्यानी न या कविता निखालिश गढवाळी पत्रिका कुणि भ्याज -
न्याय मा ढाञड पोडिन
अर अन्याय मा बी ढाञड पोडिन
पण जादातर न्याय मा इ ढाञड पोडिन
किलैकि अन्याय मा
न्याय कु मुणुक च .
संपादक क समज मा कविता नि आई अर पोस्ट कार्ड मा उत्तर दे," ध्यानी जी ! हम हिंदी कविता नि छपदां ."
** महंत योगेन्द्र पुरी जी बुल्दा छया कति लोक मकरैणि, बिखोत क जग्वाळ इलै करदन बल जां से गंगा जी मा
नयेक ये साल औ पाप धुये जावन अर फिर अग्वाड़ी हौर बि बड़ा बड़ा पाप करणो सुविधा मिल जाओ.
** गिरीश सुंदरियाळ बामण गिरी बि करदन. एक रात सुंदरियाळ जीन सत्य नारायण की कथा खतम कार अर
एक बुडडि आदमिण तैं पूछ बल बोडी कन लग कथा ?
बुडडि जबाब छौ -पन्डि जी ! आजौ कथा वीं कथा से त भली इ च ज्वा तुमन भोळ मेरी द्युराणिक इख सुणाण .
** नन्द किशोर हटवालौ रिश्तेदार क इख सप्ताह छौ. हटवाल जी टक्क लगैक, जोगध्यान मा व्यास जी क भगवत पाठ सुणदा छया.
एक दिन सुबेर सुबेर व्यास जी न हटवाल जी तैं पूछ," कन लग म्यार भागवत पाठ ?"
हटवाल जीक जबाब छौ, " जी व्यास जी ! अहा क्या बुलण ! ज्यू बुल्याणु च, आजि फांस लगैक मोरी जौं ! अर इच्छा च कि हैंक साल आपी म्यार सप्ताह
मा भागवत पाठ कारन."
** कवि कैलाश बहुखंडी अर सुशील पोखरियाल मा कन्हैया लाल डंड़रियाळ जी क कविता पर छ्वीं लगणि छे
कैलाश - यार भुला सुशील! डंडिरियाळ जीक कविता - "हे भगवान स्ब्युं तैं धन दौलत दे पण में से कम", तैं तू हैंको ढंग से कन लेखी सकदी
सुशील - हे भगवान ! कैलाश जी म्यार बड़ा प्रेमी छन . मैं तैं इन मौक़ा जरुर देन कि पैल त मी कैलाश जीक सांग पर काँद द्यूं निथर
पश्त्यौ त जरुर द्यूं .
** ललित केशवान जी कुछ दिनु से बिचलित सि छया .कुछ लिख्याणु इ नि छयो . ललित केशवान जी प्रेम लाल भट्ट जी क दगड़ वैइ साधु मा गेन जैक
जिकर केशवान जीन अपण कविता 'घुण्ड बि हिलाई' मा कौर छौ.
साधु न ब्वाल, " पुत्र ! एक त अपण भूतकालौ कामुं समीक्षा कौर अर दगड मा अपण लिखीं एक एक कविता क समीक्षा
तिन तिन दैञ कागज म लेखिक कौर. तेरी चिंता दूर ह्व़े जाली."
अब केशवान जीन हंस्यौण्या कविता लिखण छोड़ याल.
प्रेम लाल भट्ट जी अब लेख लिखणा रौंदन बल "मेरो गढवाळी साहित्य हिंदी से कहीं अधिक भलु च .काश! मी हिंदी प्रेमी नि होंद त .....!
** एक दिन चिन्मय सायर सुबेर सुबेर हगणो गुदनड़ गेन उख लोगूँ ह्ग्युं गू से ऊँ पर दार्शनिकता क दिवता लगी गे, दगड़ मा
कविता नामै अन्छेरी बि लगी गे अर देखा-देखी छपास को रणभूत बि लगी ग्याई .
चिन्मय जी न या कविता (?)ल्याख -
गू होंद च
ह्व़े सकद च गू हूंद इ च
जु गू होंद वु असल मा बिल्कुली गू नी च ,
जु गू गू हूंद च त गू को नाद बिन्दु (ध्वनि केंद्र) क्या च ?
जु गू मा नाद (ध्वनि) हूंद च त गूओ नाद कति किस्मौ च ?
क्या गू ओ नाद सूक्ष्म च कि प्रखर च ?
क्या गू ओ नाद मन तै अमन करण मा सक्षम च ?
गू द्वैत च या अद्वैत च ?
गूअक प्रारब्ध क्या च?
क्या पुटुकौ खाणक अर गू एकी छन या गू द्वी रुपी च
क्या गू हेय च ?
क्या गू हेयहेतु च ?
क्या गू हान च ?
जु गू हेय च त गू क हानोपाय च ?
सायर जीन कविता 'डांडि - काँठी' खुणि भेजी दे.
'डांडि - काँठी'क सम्पादक केशर सिंह बिष्ट जीक जबाब छौ
सायर जी !
आपकी कविता मा गू की गुवण्या रस्याण खूब च
पण मेरी पत्रिका मा केवल शिट अर जादा से जादा बुलशिट वाळ विषय छपे जान्दन !
क्वी शिट या बुलशिट की कविता ह्वाओ त भ्याजो
शिट या बुलशिट कवितौ जग्वाळ मा !
** जगमोहन जयरा रुड़यूँ मा अपण दस सालौ नौनु तैं ड़्यार गढ़वाळ घुमाणो लीगेन.
डिल्ली बौड़णो कुछ दिन परांत एक दिन जगमोहन न नौनु पूछ बल " भगवान क्या हूंद ?"
दस सालौ नौनू जबाब छौ, " जु पुंगडौ आळ पुटुक ह्वाऊ त ल्वाड़ हूंद, गौं मंदिरों ह्वाऊ त कनि बि हूंद अर हमर डिल्ली मा ह्वाऊ त बिगरैलु मूर्ति हूंद."
**
गढ़वाळी मा मिरतु पर भौत काम लिखे गे . पण मुंबई मा मीन मड्वे बौणिक मड़घट म पश्त्यौ बचन (शोक-श्रधांजलि ) सुणि छन जन की -
अ- एक गढवाळी राम लाल जी जु सद्यनि दुबई राई अर अचाणचक मुंबई मा हार्ट अटैक से भग्यान ह्व़े गेन.
डा राजेश्वर उनियालन पश्त्यौ बचन मा ब्वाल," राम लाल जी अब हमर बीच नी छन ..."
म्यार काखम खड़ा बलदेव राणा जीन न मी तैं पूछ," पण राम लाल जी कबि बि मुंबई नि रैन . फिर उनियाल जी झूट किलै बुलणा छन ?"
ब-डा राधा बल्लभ डोभाल न एक मड़घटम पश्त्यौ बचन मा दार्शनिक जॉर्ज संतायाना क बचन द्वरै दिने, " जनम की क्वी दवा नि च अर मिरतु
इंटरवेल मा मजा ल़ीणो दवा च." वै दिन बिटेन डा.डोभाल तैं पश्त्यौ बचन बुलणो क्वी नि भटयांदु. '
स - भग्यान प्रोफ़ेसर मनवर सिंह रावत जी बड़ा ज्ञानी अर दार्शनिक छया . वीर चन्द्र सिंह गढवाली क पश्त्यौ बैठ्वाक मा प्रोफ़ेसर रावत न या कथा सुणै
भगवान बुद्ध तैं एक च्याला न पूछ ," भगवान ! क्या मिरतु अगनै जिंदगी च ?"
बुद्धौ जबाब छौ," सवालौ जबाब नी च अर बेकार की छ्वीं छन." फिर बुद्धौ न द्यू क जोत क तरफ इशार कौरिक पूछ," द्यू जळण से पैल या ज्योत कख छे ?"
च्याला न ब्वाल," कुज्याण ! एक तरां से सवाल इ गलत च. द्यू जळण से पैल ज्योत छें इ नि छे"
बुद्धौ न द्यू बुझाई अर पूछ," अब जोत कख गे ?"
च्याला," मी नि जणदो "
बुद्धौ ण ब्वाल," हम तैं वी बात करण चएंद जु हम जाणदा छंवां "
ड़- मुंबई मा भग्यान डा. शशि शेखर नैथाणी सेंत जेवियर कोलेज मा गम्भीर से गम्भीर विषय तैं हौंस -मजाक मा पढ़ाणो बान प्रसिद्ध छ्या .
शैल-सुमन की एक बैठ्वाक मा स्वर्ग-नर्क क बारा मा डा.नैथाणी न ब्वाल," सोराग एक इन शब्द, चीज च जै तैं जण्या बगैर, जै तैं दिख्यां बगैर हरेक मजा लींद अर हरेक खुश होंद.
इनी नरक च, अबि तलक क्वी माई क लाल पैदा नि ह्व़े जैन नरक देखी ह्वाऊ पण हम नरकौ नाम सूणिक डरण बिसे जान्दां "
कौपी राईट @ क्यांको कौपी राईट ? चोरिक माल च जब चाओ कट अर पेस्ट करी द्याओं
Best Harmless Garhwali Literature Humor , Jokes ; Garhwali Literature Comedy Skits , Jokes ; Garhwali Literature Satire , Jokes ; Garhwali Wit Literature , Jokes ; Garhwali Sarcasm Literature , Jokes ; Garhwali Skits Literature , Jokes ; Garhwali Vyangya , Jokes ; Garhwali Hasya , Jokes ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य, गढ़वाली जोक्स
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
/7/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
i Language , Jokes ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language Literature , Jokes ; Best of Uttarakhand Wit in Garhwali Language Literature , Jokes ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language Literature ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language Literature , Jokes ; Best of Ridicule in Garhwali Language Literature , Jokes ; Best of Mockery in Garhwali Language Literature , Jokes ; Best of Send-up in Garhwali Language Literature ; Best of Disdain in Garhwali Language Literature , Jokes ; Best of Hilarity in Garhwali Language Literature , Jokes ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language Literature ; Best of Garhwali Humor in Garhwali Language Literature from Pauri Garhwal , Jokes ; Best of Himalayan Satire Literature in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal ; Best of Uttarakhand Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal ; Best of Mockery in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal ; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar ;
Garhwali Vyangya, Jokes ; Garhwali Hasya , Jokes ; Garhwali skits , Jokes ; Garhwali short Skits, Jokes , Garhwali Comedy Skits , Jokes , Humorous Skits in Garhwali , Jokes, Wit Garhwali Skits , Jokes
गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य, गढ़वाली जोक्स , उत्तराखंडी जोक्स , गढ़वाली हास्य मुहावरे
गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य ; गढ़वाली हास्य , व्यंग्य, गढ़वाली जोक्स , उत्तराखंडी जोक्स , गढ़वाली हास्य मुहावरे
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments