गढ़वळि कथा
.Copyright@ Bhishma Kukreti 4/6/2012
जोगेशुर जी को टैक्स
भीष्म कुकरेती
( यह
कथा 'हिलांस' (दिसम्बर १९८६) में प्रकाशित हुयी थी. गढवाली गद्य के महान
समीक्षक डा. अनिल डबराल की टिप्पणी इस प्रकार है - जोगेसुर जी को टैक्स
छोटी सी कहानी है . जो राज्य टैक्स नीति पर प्रकारांत से आक्षेप करती है.
भीष्म कुकरेती सटीक ढंग से अपनी बात कहते हैं. इनकी प्रोक्ति बहुत सुगढ़ है
. प्रतेक अनुच्छेद अपने लेखक से पूछ सकता है कि उसे क्यों इस्तेमाल किया
ग्या है - गढवाली गद्य परम्परा ; इतिहास से वर्तमान - पृष्ठ २४४)
प्रधान
जी अर पंच लोक हौज जिना जाणा छ्या. इ सबि परेशान छ्या कि चौकीदारी कने
करे जाओ. हौज जिना इलै जाणा छ्या बल सै त च चौकीदार कि तनखा बान क्वी
ब्यूंत समज मा ऐ जाओ. पैल पधान जीक काम भौत होंदा छ्या. जन कि राजा बान
या लाट साबौ बान कर वसूली , न्याय निसाब अर भौत सा काम जन कि जीमणु मा पैल
पंगत मा खाणौ बैठण, कैक कुड़कि मा सबसे अग्वाड़ी रौण, दान दक्षिणा
ब्वालो या चंदा दीण मा सबसे पैथर ह्व़े जांण मुर्दा तै मड़घट लिजांदै
सौबसे पैथर रौण आदि. अबक प्रधानु पर भारत सरकारो भरवस नि रै गे त न्याय
निसाब का वास्ता कोर्ट खुले गेन.सैत च भारत या उत्तर प्रदेश सरकार तै
परधानु क गणत पर बि विश्वास नि रै होलू त अलग से रेवेन्यु विभाग खुली गेन.
अब भैंसी बियाणो टैक्स या गौड़ भैंसी लैन्दो, औताळी या ब्यौ टैक्स त छ ना
कि ग्राम प्रधानम अर पंचो मा क्वी काम ह्वाओ. बस बरा नाम प्रधान-पंच छन.
कै पणि बोल छन बल कै तै
कुर्सी द्याओ त कुर्सी अफिक काम अर रौब खुजे लीन्दी. रौब खुणि या कुछ काम
नि त कलोड़ो काँध मलासणो बान धौं ! प्रधान जी अर पंचु न अफुकुणि कथगा इ
काज उराई दिने. जन कि कैक ब्यौ ह्वाओ या कैक इख तिरैं बरखी ह्वाओ त प्रधान
जी अर पंच गौं मा संजैत भांडू बान चन्दा उगाणा रौंदन. अच्काल बादी -बादण
अर प्रधान-पंचू मा क्वी भेद नी च . प्रधान अर पंच बि मंगत्या ह्व़े गेन.
भौत दिनों से प्रधान अर पंच परेशान छ्या बल हौज को पतरोळ की तनखा अर रख
रखाव क बान क्या करे जौ. अच्काल उत्तर प्रदेस सरकार हौजो बान कुछ इमदाद त
दे दीन्दी पण रख रखाव क बान कुछ नी दीन्दी.
प्रधान जी अर पंचु न लोगूँ कुण ब्वाल हर
मैना हौज क बान इकन्नी द्याओ त लोग रूसे गेन बल यांकी बणायि तुम लोकु तै
पंच- परमेसुर ? सरा गां वळ प्रधान अर पंचो से इथगा खफा ह्वेन कि एक बरखी मा
यूँ तै सबसे पैथर खाण क बिठाळे गे. हौज टैक्स दीणो क्वी तैयार नि छयो.
अब यि लोक हौज जिना झाड़ा जाणा
छ्या जां से झाड़ा करद दै हौजौ पतरोळो अर रख रखाव बान तनखा कखन लये जाव
पर विचार विमर्श ह्व़े साको. इन बुदन बल कै चीज पर टक्क लगाण ह्वाओ या फोकस
करण ह्वाओ त वा बात झाड़ा करद दै स्वाचो. ये इ मकसद से सबि दुफरा मा झाडा
फिराग जाणा छ्या.
अर इथगा मा दूर बिटेन जोगेश्वर उर्फ़
जोगेसुर जीक घ्वाडा दिखेन . जब बिटेन गौं मा मनि ऑर्डरो आण बढ़ जोगेसुर
जीक घ्वाडा आराम का वास्ता तरसेण मिसे गेन. मनोड्यर क वजै से अब लोकुं तै
मोल खाण मा विटामिन अर हारमोंस दिखेण बिसे गे. पैल कहावत छे बल - हमन छै
मैना मा इथगा ढाकर खाई अब त मन्योडरी इकोनोमी मा कहावत ह्व़े ग्याई -हमन
एकी मैना मा इथगा घ्वाडा खैन.
प्रधान जीन पंचमु पंच तै पूछ," यो पंचमु ! गां मा जोगेश्वरक कुल मिलैक कथगा घाणि घ्वाड़ो आन्दन भै?"
पंचमु न बात समजद गणत कार अर ब्वाल," जोगेसुर काका मा तीन घ्वाड़ा छन.
द्वी दिन दुगड्ड जाण. एक दिन माल भरण मा अर द्वी दिन दुगड्ड बिटेन गाँ आण
मा . त मैना मा पांच-छै घाणि ह्व़े इ जांद अर घ्वाड़ा छन तीन याने कि
पन्दरा से अठरा घाणि ह्व़े जान्दन. "
प्रधान जीन प्रथमा पंच से पूछ," ये प्रथमा ! पतरोळ की तनखा कथगा हूंद?"
प्रथमा न ब्वाल,' इ सात रूप्या ."
प्रधान जी न ब्वाल," जु जोगेसुर बिटेन फी घाणि पर फी घ्वाड़ा आट अन पंचैत कर वसूले जाओ त . ...?"
प्यारा पंच न ब्वाल," हूं त इन मा पंचैत की आमद कमसे कम आठ से दस रूप्या त ह्वेई जाली ."
प्रधान जीन ब्वाल," त रै परकास तू समजाण मा हुस्यार छे. जोगेसुर तै ठीक
से समजा कि आज से हर घ्वाड़ा पर एक घाणि क आठ आना दीण पोड़ल "
सब्यूँ न हामी भौर
जब जोगेसुर जी घ्वाडा समेत आई त वैन सब्यूँ तै घ्वाडा छाप बीड़ी पिलाई
फिर परकास न जोगेसुर जीक कुणि ब्वाल,' ये ब्वाडा पंचैत को हुकुम च बल आज से त्वे तै फी घाणि, फी घ्वाडा आठ पंचैत टैक्स दीण पोड़ल "
जोगेसुर जी सटसटा क एक लद्यूं घवाड़ा मा
चौड़ी गे अर ब्वाल,' ठीक च ! भौत बढिया. अबि से म्यार रेट बि फी घवाड़ा
पाँच रूप्या जगा सात रूप्या ह्व़े गेन. ये परथमा आज त्यार बि लदान च त आज
त्वे तै पांचै जगा सात रूप्या दीण पोड़ल हाँ !!!"
प्रधान जीन ब्वाल, ' पण यो त बेमानी च. हमन त आठ आना टैक्स की बात कौर ..अर...तू द्वी रूप्या बढ़ाणि छे?'
जोगेसुर जीन ब्वाल,' मी घुडैत छौं याने ब्यापारी छौं .त हर अवसर कुअवसर पर
म्यार काम मुनाफ़ा कमाण च. पंचैत टैक्स आण से मी बि कुछ जादा इ कमै
ल्योलू."
अर जोगेसुर घुडैत खुसी खुसी गौं तरफ बढ़ी गे.
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