कवि- डा, नरेन्द्र गौनियाल
जैकि दिल्ली तिन त ब्यटा,हम तै छोडि जाण रै.
ब्वारी तै लिजैकी दगड़ी ,हमते बिसरी जाण रै.
हम त छवां बूड-बुड्या आंखि द्यखदा क्वी बि ना.ब्वारी तै लिजैकी दगड़ी ,हमते बिसरी जाण रै.
जांठि पकड़ी-पकड़ी कैकी,भैर-भितर हिटदिना
अपणि खैरि-विपदा हमन, कैमा लगाण रै.
.जैकि दिल्ली टिन त ब्यटा,हम तै बिसरि जाण रै
कमर यींकू दुखद सदनि,घुंडा म्यारा चसगंदा.
मींडि अर मलासि कैकि,खडा ह्वै सक्दिना.
कब्बि कै गल्या मा बबा,उन्नी पड्यां रौंला रै
जैकि दिल्ली तिन त ब्यटा,हमते बिसरि जाण रै..
अपणु-पर्याऊ क्वी बि नि छा ,हम लोगों तै देखण्या.
कैका सहारा कूड़ी यख, हम छवां जग्वलना .
नींद-भूख हर्चि सब्बि राति आंखि ताड़ रे.
जैकि दिल्ली तिन त ब्यटा ,हमते बिसरि जाण रै.
कब्बि-भूखा कबी तिसला ,इनि दिन कट्दिना
आंखि रक्-रके की बबा,त्वे तै द्यख दिना.
कब्बि घार ऐकि तिन,हमते म्वर्यूं पाण रै.
जैकि दिल्ली तिन त ब्यटा,हमते बिसरि जाण रै.
जैकि दिल्ली तिन त ब्यटा,हमते छोडि जाण रै.
ब्वारि तै लिजैकि दगड़ी,हमते बिसरि जाण रै.
डॉ नरेन्द्र गौनियाल...
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments