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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, June 11, 2012

गढ़वाली नाट्य शिल्पी , कवि श्री डी .डी. सुंदरियाल जीक दगड भीष्म कुकरेती क छ्वीं

भीष्म कुकरेती - आप साहित्यौ दुनिया मा कनै ऐन?*
डी .डी. सुंदरियाल --भाई साहब, मी अपु तै साहित्यकारु की श्रेणी माँ नि मंदो। म्यरू जीवन त
गढ़वाली साहित्यकारु बारा म जणनु , वूथे पढ़्नु माँ बीति कभी कभी कवी खुदी
का उदगार उमाल बणि भैर ऐ जंदन बस ।
 
भी.कु- वा क्या मनोविज्ञान छौ कि आप साहित्यौ तरफ ढळकेन ?*
डी .डी. सुंदरियाल --प्राइमरी स्कूल म पंचतंत्र, हितोपदेश व जानवर पेड़ पोधो का बारा बाल
साहित्य पढ़नों, गीत संगीत, जनन्यून का थड़ीया-चौंफुला, 'गमत' भजन,
रामलीला, नाटक आदि का वातावरण माँ बीति। शायद ये मनोविज्ञान रै होलु जै
से साहित्या प्रति रुचि पैदा ह्वै।
 
भी.कु. आपौ साहित्य मा आणो पैथर आपौ बाळोपनs कथगा हाथ च ?*
डी .डी. सुंदरियाल --बचपन बटीकी मी इनी छओं। बालपन बटिकी स्कूली किताबू अलावा हर चीज पढ़्नो
शोक राइ खासकर कहानी, उपन्यास। लिख्णो त बुढ़ापा माँ शुरू करि, खास करि
गढ़वाली म।
भी.कु- बाळपन मा क्या वातवरण छौ जु सैत च आप तै साहित्य मा लै ?
डी .डी. सुंदरियाल --बचपन का वातावरण बारा म पैलि बिंगई याल......
 
भी.कु. --कुछ घटना जु आप तै लगद की य़ी आप तै साहित्य मा लैन !
डी .डी. सुंदरियाल --चंडीगढ़ म उत्तराखंड रामलीला मंडली, गढ़वाल सभा मंच, गढ़ कला संगम कु गठन
करि गढ़वाली नटकू म रुचि पैदा ह्वै बाद म , कनहैया लाल डंडरियाल, नरेंद्र
सिंह नेगी, जीत सिह नेगी, बलवंत सिंह रावत 'कवि' गणेश खुग्शाल गणी,
गिरीश सुंदरियाल, मदन मोहन डुकलान, नेत्र सिंह असवाल, पाराशर गौड़ तै पढ़ी
पढ़ी गढ़वाली कविता लिख्णो मन करि। हिन्दी ग़ज़ल, कविता और कहानी पैलि भी
लिखदु छो जरा जरा ...
 
भी.कु. - क्या दरजा पांच तलक s किताबुं हथ बि च ?
दर्जा छै अर दर्जा बारा तलक की शिक्षा, स्कूल, कौलेज का वातावरण को
आपौ साहित्य पर क्या प्रभाव च ?
डी .डी. सुंदरियाल --दर्जा 5 तक भी गैर स्कूली किताब पड़नि । 8- 10 वीं तक प्रेम चंद, व
समकालीन लेखक तथा छायावादी कवि माँ रुचि राया। हिन्दी प्रेमी मन जीवन
यापन का वास्ता इंग्लिश स्टेनोग्राफी कारणो मजबूर ह्वै त हिन्दी साहित्य
से प्रेम ज्यादा ह्वै
 
भी.कु.- ये बगत आपन शिक्षा से भैराक कु कु पत्रिका, समाचार किताब पढीन जु आपक
साहित्य मा काम ऐन ?- बाळापन से लेकी अर आपकी पैलि रचना छपण तक कौं कौं साहित्यकारुं रचना
आप तै प्रभावित करदी गेन?
डी .डी. सुंदरियाल --कुँवर सिंह नेगी 'कर्मठ' जी कु गढ़ गौरव, पांथरी जी की अलकनंदा और विशेष
रूप से अर्जुन सिंह गुसाइन जी की 'हिलान्स' तथा हिन्दी म धर्मयुग,
साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, चंदामामा, हास्य कवि काका हाथरसी, आदि से
बहुत प्रभावित छों । गढ़वाली माँ जीत सिंह और नरेंद्र सिंह नेगी म्यारा
आदर्श छन।

डी .डी. सुंदरियाल --समाचार पत्र और मैगज़ीन कवी भी हो, कनी भी हो बिना पढ़यां नि छोड़ी सक्दु।
अखबार म नौकरी कर्णो मीन 7 साल की सरकारी नौकरी छोड़ि अब बिना पेंशन कु
ठन ठन गोपाल बजाणु छों

डी .डी. सुंदरियाल --गढ़ गौरव पत्रिका पढ़ी पढ़ी की मेरी पैलि रचना ' अर्पण ' 1977 अगस्त म छपाई
छाई। अभी भी म्यारी ज्यादा रचना गढ़वाली म नि छपी।
 
भी .कु.-- ख़ास दगड्यों क्या हाथ च?आपक न्याड़ ध्वार, परिवार,का कुकु लोग छन जौंक आप तै परोक्ष अर अपरोक्ष
रूप मा आप तै साहित्यकार बणान मा हाथ च ?
डी .डी. सुंदरियाल --गढ़ कला संगम का साथी चंडी भट्ट भारती, एन डी लखेड़ा , बलवंत रावत जाना
दागीड्या, गणी व गिरीश जना साहित्यकार भुल्ला, व नरेंद्र सिंह नेगी व
डंडरियाल जना जणगुरु कु आभारी छों जाऊन या झैल पिलचाई प्रत्यक्ष रूप म ,
अर मेरी बींदनी शुशीला सुंदरियाल, म्यारा बचचा, भाई बंद परोक्ष रूप से
येका जीमेवार छन
 
भी.कु. कौं साहित्यकारून /सम्पादकु न व्यक्तिगत रूप से आप तै उकसाई की आप
साहित्य मा आओ
डी .डी. सुंदरियाल --बाकी सभी सवालुकू जबाब मथिफुनड ही मिली जाली आप तै। मीन पढ़ी पढ़ी की लिखण
सीखि। अबोध बंधु बहुगुणा, पूरन पंत पथिक, देवेंद्र जोशी, कमल
साहित्यलंकार, जीत सिंह नेगी, आदि भी म्यारा गुरु जना छन
पर व्यक्तिगत रूप से शिष्य मी काइकु निछों। बिंड करि प्रेरणा आपसे ही
मिली... हिलान्स का जमाना से

जुगराज रयां, जु आपन मी योग्य समझु
भीष्म कुकरेती - जी धन्यबाद, जब मि हिलांस मा लिखदु छौ त खुद साहित्य कि ट्रेनिंग लीणु छौ
 
Copiright 2 Bhsihma Kukreti , 11/6/2012

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