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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, June 10, 2012

बीमारी से शख्सियत को पता चलद --चबोड़ -चखन्यौ

चबोड़ -चखन्यौ
                  बीमारी से शख्सियत को पता चलद
                                    भीष्म कुकरेती
              दुन्या मा तीन चीज सास्वत छन -जनम, बीमार पड़ण अर मिरत्यु. चौथी बिथ्या च ज्वा एक जरूरी बिथ्या च अर वीं बिथ्या-बीमारी क नाम च बीमारूं पूछ ताछ करण वाळु से बीमारौ हैसियत, शख्सियत पता चलण . अब जब बीमार पड़ी गे त पुछण वाळु संख्या से पता चल्द बल तुमारो हितचिन्तक कथगा छन अर पूछण वाळु संख्या से इन बि पता चलद कि ये मनिखौ गां -गौळ -समाज मा कथगा पूछ छ.
            म्यरा गाँ मा नरेंदर ददा छ्या त जब बीमार पोड़दा छा त कै तै बि वैद मा नि पठान्दा छ्या बल्कण मा पैल सरा गाँ मा रैबार जी पौन्छादा छ्या बल नरेंदर जी बीमार पोड़ी गेन. जरा स्याम तक क्वी नि आई त समजी ल्याओ वैको दगड कुट्टी अर कबि कबि त पैणो बरजणो नौबत बि आई जांद छे. इलै गाँ मा आम बात छे कि नरेंदर ददा बीमार ह्वाओ त झाड़ा तब जाओ पैल नरेंदर ददा का इख हाजिरी लगै द्याओ. एक दै रातो टैम छौ खाणो बगत छौ अर नरेंदर ददा तै खताखती छींक ऐ गेन. बिचारो जोगी काका अपण ग्वाठंम जाणो तैयारी करणा छया अर चूँकि इकुलास बि छे अर ग्वाठ गां से जरा नजीक इ छौ त भगळव्ट मा क्वी नि छौ पण जोगी काका तै नरेंदर ददा की खबर लीणि जरोरी छे निथर नरेंदर ददा कि गाळी कु सूणल ! पण खाली हाजिरी से काम नि चलदो ठौ . हरेक पुछण वाळ तै पुछण जरोरी छौ कि छींक कै हिसाब से ऐन. छींक दै नाक सी आई कि बै नाक से आई. छेंकी आई कि सीम्प/सिंगाणा बि आई. अर फिर नरेंदर ददा जब तक पूरी कथा नि लगै द्याओ त पुछण वाळ जै बि नि सकद. जोगी काका तै छींको बारा मा पुछण अर फिर नरेंदर ददा बिटे छींक रामयण सूणण मा देर ह्व़े ग्याई. मनिखों क्वी अनुशासन नि होंद पण रिक बागुं अपण कुछ प्राकृतिक नियम-धियम होन्दन. जथगा देर मा जोगी काका नरेंदर ददा कि छींक-छूंक कि रामायण सुणणु राई उथगा देर मा बाग़ गोठ म मेमान बौ णिक ऐक जोगी काकाक द्वी गौड़ अपण दगड ली गे. जोगी काका अर काकी तै गौड़ीयूँ दुःख त छौ पण एक बड़ो सुख छौ कि टैम पर नरेंदर ददा क बीमारी -बिथ्या क पूछ ताछ त कौरी याळी. उन सि दिन होंद त गांव वाळु न जोगी काका क ग्वाठम जाण छौ अर फिर बाग़ की खोज करण छौ. पण सरा गाँ त नरेंदर काका क पूछ ताच मा व्यस्त छौ त कैन बि जोगी काका कि खबर नी ले. नरेंदर ददा क सुचण छौ बल बीमारी मा पूच- ताच करण वाळु क गणत से अहमियत कु पता चलद. नरेंदर ददा क अपण सबी नौन अर नौनियूँ ब्यौ उनि जगा कार जख समदी तै बीमारी मा पुछणो जादा से जादा लोक आंदा छ्या.
             अब सूणो ना ! सि हमारी अडगै (इलाका) मा गजे जी छया. त ऊंको बि इनी बुलण छौ बल आदिमों महत्व बीमारी मा पुछण वाळु संख्या से इ हुंद . मातबरी अर गरीबी से आदिमक पछ्याणक नि होंद बल्कण मा बीमारी मा पूच -ताच से हुंद कि कथगा लोक पुछणो-जाचणो ऐन. इलै जनि गजे जी बीमार हूंदा छ्या त अपण आबत मिन्त्रों इख हलकारा भिजदा छ्या कि जां से उंक इख खूब भीड़ ह्व़े जाओ. बीमारौ इख लोखुं भीड़- पिपड़करो बिटे पता चलदो कि ये मनिखौ क्या पुन्यात च, क्या व्यक्तित्व च.
आज बि बीमारी अर लोगूँ पुछण अहमियत को एक प्रतीक च , स्टेटस सिम्बल च. मेरी कम्पनी मा म्यार एक दगड्या च नाम? चलो मिस्टर खोबरगड़े सै . वो दुःख सुख तै अपण प्रमोसन अर अफु तैं अंक्याणो ( मूल्याँकन) साधन माणदन. जब बि जरा थ्वडा सि जादा बीमार ह्वाई ना कि बड़ो से बड़ो अस्पताल मा भर्ती ह्व़े जान्दन. अर सेक्रेटरी तै काम दे दीन्दन कि सरा दुन्या मा खबर जाण चयेंद. सेक्रेटरी सब जगा खबर फैलांदी त 'गेट वेल सून ' क एस.एम्.एस या मेल आण बिसे जान्दन. फिर मुंबई का सेल्स मैनु तै काम पर लगाये कि सौब दुकानदारों तै अस्पताल ल्ये जाओ. जु जथगा दुकानदार (डीलर या डिस्ट्रीब्यूटर ) लांद वैको प्रमोसन वै हिसाब से हूंद. मिस्टर . खोबरगड़े इन पता लगै दीन्दन कि एम 'डी कख छन अर कबारी कबारी अफिक एम.डी क तरफान बड़ो फुलुं गुलदस्ता अपण कमरा मा धौरी दीन्दन कि लोग द्याखन . फिर यांकी पूरी सूचना मिस्टर . खोबरगड़े अपण एम. डी तै दीन्दन कि कथगा दुकानदार दिखणो ऐन जा  से एम.डी तै पता चली जाओ कि मिस्टर खोबरगड़े डीलरूं मध्य कथगा प्रसिद्ध छन. बीमारी से फैदा उठाण सिखण ह्वाओ त मिस्टर खोबरगड़े से सिखण चयेंद. मिस्टर खोबरगड़े बीमारी तै स्टेट्स सिम्बल मा बदली दीन्दन.
                      राजनीति मा बि बीमारी स्टेट्स सिम्बल होंद पण इन पता इ नि चलद कि नेतौं बीमारी -बिथ्या असल च कि नकली. कबि कबि डिप्लोमेटिकल बीमारी बि होंद . अर अच्काल त नेतौ पर एक नई बीमारी बि लगीं च जनि कोर्ट को समन आन्द यूँ नेतौं पर हज्या से बि बडी बीमारी लग जांद अर यि इ .सी.यू पौंची जान्दन. फिर कोर्ट का मुताबिक यूँ पर भंयकर बीमारी होंद अर जमानत मिल जांद पण जनि यि अस्पताल बिटे भैर हुन्दन कुतकण बिसे जान्दन. अब सि अपणा अमर सिंग जी तै देखी ल्याओ. जब तलक जमानत नि मिलि इन लगणु छौ अबि अर तबी पण अब त कुतकणा ही रौंदन!
              खैर नेतौं क बीमारी मा बि राजनीती चलद . कै नेता क दगड घचपच करण हो त अस्पताल या ड्याराम पौंची जाओ अर बैर दिखाण होऊ त क्वी खबर नि लीण .
             उन हमर इतियास मा बीमारी क पूछ ताच या भगवान से सुख्यर हूणो दिली प्रार्थना जथगा अमिताभ बच्चन कि ह्व़े उथगा कैकी नि ह्व़े. हाँ अच्काल लोक क्रिकेटर युवराज कि बीमारी क बार मा बि पुछणा रौंदन.
               गितांग कल्पना चौहान जब अस्पताल मा छे त इंटरनेट मा खूब पूछ ह्व़े
       अब जब कि लोक गाइका कबूतरी देवी की खबर आई पुछणा सबि छन पण इमदाद क्वी क्वी इ दीणा छन. इख तलक कि मी बि मुक लुकाणु छौं.
        अच्काल फेस बुक या इन्टरनेट से पूछ ताच सौंग ह्व़े गे. जब मुंबई का साहित्यकार-सामाजिक कार्यकर्ता डा.राजेश्वर उनियाल बीमार ह्वेन अर अस्पताल मा भर्ती ह्वेन त एस.एम.एस अर मेल इथगा ऐन कि ऊं तै डौरन खबर भिजण पोड़ कि अस्पताल आणो जरूरत नी च.
            गढ़वाली का प्रसिद्ध कवि पूरण पन्त बडी बीमारी से लड़णा छन पण उख देहरा दून का इ साहित्यकार बौं हौड़ पड्या छन एकाध तै छोड़िक क्वी साहित्यकार दगड्या पुछणो ग्याई इ नी छन.
खैर भगवान चाओ बल कै तै बि बीमारी नि द्याओ.
Copyright@ Bhishma Kukreti, 10/6/2012

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