उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, June 11, 2012

अहा ! हमारो विद्यार्थी जीवन !

चबोड़ -चखन्यौ
                    अहा ! हमारो विद्यार्थी जीवन !
                      भीष्म कुकरेती
            जब हम कॉलेज मा छ्या त हम असल मा कुछ सोचदा इ नि छ्या कि हम क्या क्या करणा छंवां, बुलणा छ्या. अब जब बुड्यान्द होश आई त कौलेज जोग नि छंवां.
अब जन कि क्लास हमकुणि धार्मिक अनुष्ठान जन कर्मकांड को क्वी गोरख-धंदा छयो बस विश्वास क बल पर कि क्लास से कुछ फैदा हूंद हम क्लास मा जांदा छ्या.
क्लास, हमकुण डिग्री पाणै प्रोडक्सन फैक्ट्री छे बस.
             टेक्स्ट बुक या सन्दर्भ किताब की अहमियत तब पता चल्दी छे जब हम कै दगड्या मुंड पर खैड़ा क कटांग जगा पर सन्दर्भ किताब से चोट मारदा छया कि किताब मा दम च. जै किताब की चोट जथगा जादा होंदी छे वा किताब उथगा इ महत्वपूर्ण होंदी छे. उन जादातर दगड्या बुल्दा छ्या कि टेक्स्ट बुक झौड़ा संगुळ या माख मारणो काम बि ठीक ढंग से करी लीन्दन . अर यार दोस्त बुल्दा छ्या कि कबि कबि मेज की क्वी टांग छ्वटि ह्व़े जाओ त द्वी चार टेक्स्ट बुक टिक्वा क काम बि ऐ सकदन
               टेक्स्ट बुक कतियूँक आदि बगत पर काम आँदी छे. जब बि सिनेमा दिखणो बान पैसा कि कमी होंद छे त बिचारा टेक्स्ट बुक ही बली क बुग्ठ्या बणदा छ्या अर बुक सेलरूं नफा बढान्द छ्या. मी घुण्ड ठोकिक बोली सकुद वो सच्चो छात्र नि रै होलू जैन सिनेमा क बान कबि अपणि क्वी किताब नि बेचीं ह्वेली. अब का छात्र दारु पार्टी क बान अपण कम्प्यूटर बिचदन अर बुले जांद उ असली मोडर्न स्टुडेंट नी च जु दारु पार्टी क बान अपण बुबा क दियुं कम्प्यूटर नि ब्याचो. ऐथरै मुछ्यळि पैथर सरकदि इ च। टेक्स्ट बुक अर शर्तिया पास हूणो गाईडु मा एकी फरक हुंद छौ कि टेक्स्ट बुक का कागज बढिया क्वालिटी क हूंदा छया अर किताब से जादा भार पुट्ठा क हूंद छौ.
              जब हम डिग्री कौलेज मा छ्या त हम रसायन शास्त्र या वनस्पति विज्ञान की खोजूं से जादा शब्दकोश पर ध्यान दीन्दा छया किलैकि अंगरेजी मा लिखीं किताबु मा अस्सी टका लिख्युं समज मा इ आन्द थौ,अर हरेक शब्द क बान अंगरेजी -हिंदी शब्दकोश की मदद लीण पोड़द उन मार्केटिंग क डिप्लोमा लींद दै बि इनी ह्व़े मार्केटिंग की किताबुं से जादा अंगरेजी -हिंदी शब्दकोश पर नजर होंदी छे अर यांक बान दुबर पौकेट डिक्सनरी से लेकी बडी बडी डिक्सनरी खरीदेन.
              कबि कबि क्या जादा तर हम एक प्रोफ़ेसर का लेकचर मा सीन्दा छया त दुसर प्रोफ़ेसर का लेकचर मा इलै बिजदा छया बल इंटरबल मा चाय-समोसा जि खाण छौ. संयुक्त परिवार मा जन हरेक व्यक्ति की पूछ नि होंदी उनि द्वी सौ छात्रों क्लास मा प्रोफ़ेसर तै पता इ नि चलदो छौ कि गुणी पढ़नेर छात्र सीणा छन कि पढाई का आनंद लीणा छन.
            मी तै नि पता छौ कि मी झूट बुलण मा बि उस्ताद ह्व़े सकुद. प्रोफ़ेसर जब बि क्वी सवाल पुछ्दो छौ त मी क्वी ना क्वी झुटो बहाना बणै दीन्दो छौ अर बहाना बि इथगा तागतबर हुन्दो थौ कि प्रोफ़ेसर बि सच मानि लीन्दो थौ.
मास्टर अर विश्व विद्यालय खुण स्टूडेंट की जरुरात से जादा महत्वपूर्ण सिलेबस हूंद छौ अर आज बि या इ संस्कृति विद्यमान च.
              एक साल मेरी सीट खिड़की क बगल मा छे त मीन वै साल गिलहरियूँ जीवन पर पूरी रिसर्च करी दे. किलैकि सरा साल म्यार ध्यान प्रोफ़ेसर का लेकचरूं र से जादा भैरो डाळु क गिलहरियूँ जीवन चक्र समजण मा गे.
                   पास हूणो बान हम सरस्वती देवी से जादा नकल शास्त्र देवी क चरणो मा विश्वास करदा छ्या. हमर मानण छौ बल सरस्वती देवी हमारो ज्ञान जरुर बढाई सकद पण ज्ञान पास हूणो क्वी गारेंटी ना वैबरी दींदु छौ अर ना ही आज दीन्दो, भारत मा ज्ञान से जादा परीक्षा पास करण जरुरी हूंद त हम पढ़न्देर या स्टुडेंट सरस्वती देवी क मन्दिर छोड़िक नकल देवी क मन्दिर पूजा करणो या मास कौपिंग चर्च मा मॉस मा भाग लीन्दा छ्या.
Copyright@ Bhishma Kukreti 11/6/2012  

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments