********झपाग *****
कवि- डॉ नरेन्द्र गौनियाल
नेता जु बि कर्द,कुछ बि कर्द,हैंका तै क्य,
कुच्छबि ना, सिर्फ अपणी लद्वड़ी भ्वर्द.
कुछ न बोल,निथर तब देखि ले !
न तिन खाय,न मिन खाय,
किलै ह्वै तेरी हाय-हाय.
न कैर जादा तकणा-तकण,
अरे न कैर जादा खचरोल.
निथर कखि जुगा ना
रैलु, कुकर सि भोल.
तू समझदी मि ना त क्वी बि ना
इनि बि क्याच तेरी पदनचरी
त्वीत छै यख फुन्यानाथ.
जब छाय तब तिन क्य काय,
त्यारा रैण पर हमन क्य पाय,
जत्गा छाय वो बि नि राय.
तू समझदी कि खचोरि कै
कुछ त ह्वै जालु.
पण लाटा,तू नि जणदि कि
पत्तल पर छेद ह्वै जालु.
वूंकि याद हमन,जिकुड़ी मा धरीं.
वून हमर तरफ पीठ फर्कयीं.
वून हमर तरफ पीठ फर्कयीं.
डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित.
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