हमारि नजर
कवि -देवेन्द्र जोशो, देहरादून
हमारि नजर
ब्वग्दा
ग्द्नो
छ्वायों
छिंछड़ो
अर माटा पर गै
हमारी नजर ..
झड़दा पटु
अट लमडदा ल्वाड़ो पर गै i
पर हमारि नजर
तूणि अर दिवारा
टकटका डाळो पर नि गै .
घाम बरखा -ह्यूं से निश्चंत
मुंड उठे कि खड़ा
उच्चा उच्चा डाँडो पर नि गै I
Copyright@ Devendra Joshi
Refrence Dhad Jan-Feb 1991 page 19
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