उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, June 24, 2012

समोदरौ छाल ----गढ़वळी कहानी

गढ़वळी कहानी
                                            समोदरौ छाल
 
 
                                      कथा- भीष्म कुकरेती
 
      
                आज इ तिन्नी बिसरि गेन बल यि क्यांकुण समोदरौ छाल पर अयाँ छन अर भूलि गेन कि जु यि आज अण्डा खुजेक दुफरा तलक ड़्यार नि जाला त तीन परिवार आज अद -भुकि या पोरा इ भुकी राला . फिर यूँ तिन्युं क पूठों मा चटका पोडल अर भट्युड़ बि तोड़े जाल. हालांकि यि तिन्नी बच्चा अपण जुमेवारी सात आठ सालों से ही बिंगण मिसे ग्याई छया. पर आज बिसरि गेन बल यि परिवार की भूक मिटाणो वास्ता प्रमुख जुमेवार सदस्य छन अर काम पूरो नि हवालो त?
घाम आणों द्वी या तीन घड़ी उपरान्त अपुण ड़्यारन यि तीन बच्चा अण्डा कट्ठा करणो बान समोदरो छाल ज़िना चौल त छ्या .
 
अर यि तिनी बच्चा एक हैंकाक हथ पकडिक बळु मा चलणा छया. तिन्यू एकी उमर बारा बर्ष का होला सैत .गात की ऊंचै तकरीबन इकजसी इ होली धौं !
                 यूँ तीन बच्चों तै छोड़िक सरा समोदरो छाल खाली इ छौ. धरती मा बळु छौ साफ़ पीलो. ढीस्वाळि कखी- कखिम कांडो बुट्या बि छ्या त कखिम पाखों से पाणि धार बि बौगिक समोदर मा आणि छे. कखी पाख - पख्यड़ त कखि कखी समोदरो छाल जंगळो रस्ता से मिलणु छौ. समोदर अंतहीन !
                   ठीक दुफरौ सूरज अ
ग्यौ बरखाणु छौ.पिलंग पिलंग अर सुफेद सुफेद बळु तै सूरज इनी तचाणु छौ जन आग हिसरउन्दों बळु तै तचांदी. अगास बि नीलो छौ अर कखी बि बादळु नाम निसाण नि छौ. बथौं नाम नि छौ हवा शांत छे. समोदरो पाणी नीलो निलंग छौ. उस्यइं (सूजन जन) ग्वाळ ग्वाळ बड़ो गिंडा जन छ्लार दूर दूर बि नि दिखेणि छे . समोदरो छाल अ समणि लम्बो समोदर छौ अर मथिन बड़ो अगास !
पण एक अंतराल पर छ्वटि छ्वटि छ्लार /लहर स्मोदारो छाल से जरा दूर बणदि छे , फिर अळग अगास जिना हूँदि छे अर फिर झट झटाक खतम ह्व़े जांदि छे. जन बुल्यां इ छ्लार अगास से मिलण चाणा छन पण अगास यूँ तै सट सटाक फटाक से भ्युं चुलै दीन्दो. छालारो पाणी धरती जिना नि आणो छौ बस अळग उठदो छौ अर उखमि स्थिर ह्वेक भ्युं पोड़ी जांद छौ. एक छ्लार हैंक छलारो पुट पैथर इ पाणी गिंडा जन ग्व़ाळ बणद अर फिर जरा सि पैथर आणि छे अर याँ से समोदरो अवाज बढ़ी जांदी छे य ए तै स्वींसाट त नि बोली सकदवां ये तै त समोदराट /समोदड़ाट (समोदरो ऐड़ाट ) इ बुले सक्यांद भै. फिर यूँ छलारूं उब उठण अर उन्द भ्युं पोड़ण से सुफेद फ्यूण धरती जिना उथगा इ दूरी तक फैळणु छौ जथगा धरती पैलि बिटेन धरती तींदि च. आज क्वी बि छ्लार अग्वाड़ी नि जाणि छे. औंसी अर पूरणमसी क बीच का दिन छन त समोदर मा बि स्थाइत्व होंद फिर सुबेर या स्याम को बगत बि नी च कि हरेक छलार धरती जिना दूर जाणो बान एक हैंका दगड छौम्पा दौड़ कारन. हाँ कबि कबि क्वी कै छलार बडी ऊँची छलांद लगै बि दीन्दी छे अर छालो धरती एकाद बेथ जादा भीजि जांदी छे बस.
 
                  फिर समोदर शांत, थिर ह्व़े जांद .वी नीलो अगास अर निलंग निलंग अगास . समोदारो लेवल अर धरती मा बळु लेवल इकजसी इ छौ एकी समान. अर ये बळु मा तिनि बच्चा एक हैंकाक अगल बगल मा हिटणा छया.
उ तिनि एकी रंगा का छन, तिन्यूँ बाळ काळा छा, बाळ अर चखुलुं घोलो बुज्यड़ मा क्वी भेद फरक नि छौ, तिन्युं गात मा बुलणो एकी जन एकी रंगौ झुल्ला छौ . सब्यूँ क गात पर बस चिरिं- चुरीं , फटीं फुटीं कळसणि ब्वालो या कनफणि सि माटो रंग की लंगोट छे बस. तिन्युन लंगोट कै अंग तै ढकणो बान नि छे पैरीं बल्कण मा सैत च रिवाज पूरो करणो बान इ पैरीं छे. यि तिनि समोदरो पाणी अर धरती मा जख बिटेन घास, झाडी उगदन का पुट बीच मा बळु मा हिटणा छ्या. यि एक हैंकाक हथ पकडिक अगल बगल मा सीदा हिटणा छ्या. दुफरौ सूरज यूंक ठीक मथिन छौ अर कखि बि यूँ तिन्युं क छैलो क नाम निसाण नि छौ.
 
        यूँ तिन्यु समण्याक बळु साफ़ छौ अर कैक हिटणो कवी बि निसाण नि छौ. यि तिनि एकी गति मा ना भौत तेज ना भौत धीरे चलणा छ्या अर सीद इ हिटणा छया ना एक सूत इना ना एक सूत उना. यि एक हैंकाक हथ कखिम बि नि छुडणा छ्या. जब यि घौणो डाळ तौळ     व्यस्त छ्या त यूं मथि बिटेन वैकी अवाज सूणि छे बल " मीन तुम तिनि डाळ तौळ क्या करणा छ्या स्यू सौब कुछ देखी आल ......" उख बिटेन समोदरो छाल समणि छौ , गाँ से बिल्कुल उल्टी दिसा मा छौ, डाळ झक घौण छौ, पण वैन फिर बि यूँ तिन्युं तै देखि द्याई. अर तैबारी बिटेन यि इनी समोदारो छाल क बीच मा एक हैंकाक हथु पर हथ डाळिक बळु मा हिटणा छ्या। यूं से पैथर साफ बळु मा यूंक छै खुटों निसाण साफ दिखेणा छ्या.
यि तिनी सीदो इ दिखणा छ्या. यि आज इन बि नि दिखणा छ्या कि छलार कनि आणि छन अर कनि जाणि छन. अर आज यूंकि नजर समोदारो छाल क असली किनारा जखम बळु क राज खतम हूंद का डाळ बुट्या ज़िना बि नि गे. इख तलक कि यि पैथर बि नि हिरणा छ्या कि जैन यूं तै डाळ तौळ द्याख कि वू पैथर त नि आणों !
 
                      यूंक समणि छाल पर इ उन्नादेसी (परदेसी ) समोदारी पंछ्युं लंगत्यार लगीं छे. यि प्रवासी पंछी आज या ब्याळी इख ऐ होला. पैथरा सालुं तरां यि तिनि यूं पंछ्यु बारा म कुछ नि बुलणा छन. यि पंछी छ्लारु समणि अर बच्चो समांतर इ उड़ना छया. पंछि बि वीं इ दिसा मा उड़णा छया जै दिसा मा बच्चा जाणा छ्या. पंछ्यु गति बच्चो से कम छे. बच्चा पंछ्युं से अग्वाड़ी इ बढ़णा छ्या. पंछ्यु क खुटो निसाण तै समोदरो फ्यूण फटाक से ध्वे द्यूणु छौ जब कि बच्चो खुटो निसाण उनि छ्या. उ निसाण छै पंगत मा छ्या. बच्चो खुटो निसाण क लाइन लम्बी हूणि छे .
                  यूँ बच्चो खुटो निसाण सब जगा एकी गहराई क छ्या. अर कखिम बि मिट्या नि छया. इ निसाण इन लगणा छया जन बुल्यां मशीन न निसाण बणे होला. निसाणु छाप से स्मोदारो सरा छाल द्वी भागु म बंट्याणु छौ.
इना पंछ्यु अर बच्चो मा क दुरी मा समानुपातिक अंतर कम हुणु छौ . बच्चा जनि पंछ्यु डार क समणि जावन तनि एक पंछी डैणो तै फड़ फडैक उड़ो, फिर द्वी, फिर तीन अर फिर दस .. उड़ण बिसे जांद छौ. तौळ बिटेन द्याखो त पंछ्यु डैणो तौळ लाल खाल छे, अर अळग गात, फंकर सुफेद अर सिलेटी रंग का छ्या. फिर उ सबि एक ख़ास कोण मा /घ्यारा मा , लाइन मा उड़ण अर फिर अग्वाड़ी जैक बिलकुल छलारु किनारों तींदो बळु मा नियम से बैठी जावन. हौर सालू तरां बच्चो तै आज यूँ मा क्वी दिलचस्पी नि छे.
समोदरो फ्यूणो रंग मा बदलाव ऐ जान्दो छौ जु बथान्दो छौ कि समोदारो तौळ कै रंग की धरती च .
अब नजारों हौरी छौ पंछी अपण डारो निय्मु हिसाब से उड़न , रींगन फिर भ्युं आवन अर फिर भ्युं पुण हिटण मिसे जावन. दगड मा जै तै समोदारी कीड़ो मक्वड़ मिलन वु पंछी चूंच से घळ घुळी जावू. अर इना जरा सि दूर सामानांतर बच्चा एक हैंकाक हथु मा हथ डाळिक़ हिटणा छ्या.
              यून तिन्यु मुख इकजनि मतबल काळो । उन तिन्यु मुख त्ब बितेन गम्भीर छयो जब बिटेन ऊन वैकी आवाज सूणि छौ, "मीन तुम तिन्यु तै डाळ तौळ....द्याख ...कि तुम .....' जब बिटेन वो डाळ तौळ न उठिन तब बिटेन स्ब्यु क मुख मा चिंता का भी भाव छ्या. यूंक सूरत से बि लगद कि ई एकी समाज का होला. इ द्वी नौन अर एक नौनी छ्या. नौनी क बाळ जरा घुंघरळया छया पण वींक बाळ बि दुई नौनु तरां बुज्या जन बट्या छया. वा नौनी समोदरो ज़िना छे फिर बीच मा लम्बो ऊंचाई को नौनु छौ, अर फिर आखिरै कम उंचाई नौनु छौ . नौनी अर छ्वाड़ वळो नौने ऊंचाई एकी जन छे. उ वैबरी बिटेन एक हैकन्काक हथ पकडिक इ हिटणा छ्या. अब ऊंक बै तर्फां समोदर मा बदलाव आणु छौ. छालार बडी अर अवाज मा कुछ जोर छौ पन यू तिन्यु तै यांकी चिंता नि छे.
अब फ्यूण जरा धरती ज़िना जादा इ फैलणु छौ. छालारु अवाज जरा जादा जोर हूण से अग्वाड़ी यून अपण गौ बिटेन आण वळि अवाज सैत च नि सुणि फिर जब छालार सळेन अर फ्यूण जमीन मा पूरो पसर त यू तै अग्वाड़ी बिटेन एक अवाज सुणै दे.
" हे मंथ्या ! आज अदा इ चौंळ मिलेन ज़रा अंडा जादा ल्हैक आओ "
लम्बो नौनु न ब्वाल," या अवाज मेरी ब्वेक च. समोदड़ाट क घ्याळ मा इथगा इ सुण्याणु च "
यि उनि एक हैंकाक हथु मा हथ लेकी हिटणा छया.
इना फिर छ्लार उठण मिसेन, फिर छालार सळाण बिस्यै आर फ्यूण जब पसरण बिस्याई । त फिर से एक हैन्की आवाज सुणै दे।
" हे ! सुंथाली ! जथगा बि अंडा जमा हुयाँ छन लेक आओ त्यार बुबा तै भौत भूक लगीँ च . ए सुंथाली "
नौनी न ब्वाल, ' या अवाज मेरी ब्वेकी च "
अर यूंक हिटण मा क्वी बदलाव नि आई.
पंछी उड़णा छ्या , भ्युं बैठणा छया अर कीड़ मक्वड़, गंडेळ टिपणा छया.
फिर गाँ छ्वाड़ न एक हैंकि अवाज आई पण तैबरी समोदर मा छ्लार आण बिसेन. छालार उब ग्याई फिर समा ह्वेक तौळ आई अर फ्यूण धरती मा पसर. धरती जरा हौरी तींदी ह्व़े.
जब सब कुछ सळाइ शांत ह्व़े त एक तिसरी अवाज सुणै द्याई
" ये भल्या ! अरे आज जरा बि चौंळ नि मिलेन ज़रा हौर अंडा कट्ठा कौरिक ल्हैक चौड़ आ.... ए भल्या .."
अर छ्वटु लम्बे क नौन न ब्वाल,' या मेरी ब्व़े कि अवाज च .."
 
           अर अब तिनी हैकि ज्योणि ऐन. हालांकि कैन बि धाई ठीक से नि सूण पण अंदाज लगै याल छौ कि ड़्यारम दुफरा क खाणो बान या त चौंळ कतै नि मीलि होला या अदा सुदा इ मीलि होला. मतबल आज परिवारन भूखि बि रौण अर यूँन मार बि खाण.
अर तिनी असंमजस मा छ्या कि कखि जु वू गाँ मा ऐक बथै द्यालों कि यि तिनी डाळ तौळ क्या करणा छया ! त क्या होलू ...?
उना समोदर की छ्लारो क उछाळ मा तेजी ऐ गे छे अर फ्यूण न पैथर जख जख यूंक खुटो छाप छौ सब मिटै द्याई.
Copyright@ Bhishma Kukreti , 18/6/2012

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments