Presented by /प्रस्तुति Bhishma Kukreti (भीष्म कुकरेती )
Dhol Sagar and Damau Sagar are the treasurar of Garhwal and Kumaon as these literature are philosophical literature . Damau Sagar is about explaining the music
The language is Braj with a couple of Garhwali words. As Karmkand is in Sanskrit the Garhwali philosophy is in Braj Language because the Nath sect preachers were from Rajasthan, Mathura areas who came to Garhwal (from 6th century to 1200 AD)
अथ दमामे सागर -लिखितम I . जब उर्द घोट ताल बाजंती , लबीता तानी ता झे तानी ता तनक झेनता आप वेश्वर चले बलि नन्द न लोई अटल को भेंट मिली
नन लोई दुहातो मिले अग्नि I ज्ल्लाब सरड़ लान्कुड़ गरड़ का पूड़ बाजन्ती हांणी डे दमामे निसाण कापूड़ जै दिनन सुननी सन तै दिन बी तू दमामी कहाँ छयो जै दिन चंदनी सुरजि पौन नि पाणी तै दिन बी तू दमामी कहाँ छयो जै दिन मातानी पितानी तै दिन बी तू दमामी कां छयो जै दिन जातीनी जायो जै दिन तू दमामी काँ छयो अनंग गड़ो अनंग मडो बार जाती नगाजन्ती शब्द संकार चार लान्कुडि काँ काँ बाज्न्ती रे आवजी चम्म लान्कुडि धौंस बाज्न्ती I शब्द लान्कुडि मेरा ढोल का पूड़ बाजन्ती संकार (जोड़ा) लान्कुडि मेरा दमामी का पूड़ बाज्न्ती रे आवजी बारा स्र (स्वर) को ढोल बतीस स्वर को दमामम ठणम ठाण बीजे खाणम के ते बार जालता सर एक रग दुई बीर हर सर तीन कुलोली सर (स्वर) चार ब्रुदम बंदनी सर पांच जन्ता सर छै सांवला सर सात अगसर (अक्षर ) आट नी सर नौउ दरमिदरी दमामी निसाण का पूड़ सर दास गोउ गजन्ता सर गयार विरदावली सबद को लान्कुड़ सर बार तेघरंग ते परा सर तेर चंप घर चपेला सर चौद पर ना हो पारबती का नाम सर पन्द्र सोल मदे सेला ब्ररण (वर्ण) सर सोल सबद में सबद धातु बाज्न्ती सर सतर बाट में असट धुनी बाजन्ती सर अट्ठार येंक नंग एक त्रिगुटी बाजन्ती सर उन्नीस छांटी लान्कुड़ बेला बल बाजन्ती सर बीस एक नंग त्रिगुटी सर य्क्कीस बरम कला उच्चारन्ती सर बाईस से घरंग तेपरा सर त्यइस चंप पर चंपेला सर (स्वर ) चौबीस पर ण हो पारबती का नाम सर पचीस छत्र लोक कमन दाव्न्ती सर छबीस सबद में सबद धातु बाजन्ती सर सताईस असट (अष्ट ) में असट धुनों बाजन्ती सर अठाइस नऊ में दरबिंदु ड्या सिंदु सर उणतीस करम लील्या बौ बाजन्ती सर त्रीस टोकती दमामं बाजन्ती कुलोलं सर एकतीस पंच अगुनी मरद नाम टकती सर बत्तीस गारा सर को ढोल बत्तीस सर (स्वर ) को दमामं इति अगम दासं पूड़ हांणी ढे दमामी का निसतारं आदि पुनादी (अद्दी पुन्यादी )
Curtsey ; Shri Prem lal Bhatt of Village, Seman, Dev Prayag, for his collection
Abodh Bandhu Bahuguna , Gad Matyk Ganga
Dr Vishnu Datt Kukreti for interpretation in His Nathpanth Book
Late Keshv Anuraagi and Dr Vijay Das also wrote comments on this Philosophical literature of Dhol Sagar and Damau Sagar
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