उत्तर प्रस्तर संस्कृति में मानव जीवन में क्रान्ति
उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ---2
आलेख : भीष्म कुकरेती
उत्तराखंड में ताम्र उपकरण संस्कृति व कृषि -भोजन (3500-2500BC)
शेष -- उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग … 3 में
उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ---2
ऊत्तर प्रस्तर युग में कृषि विकास के साथ मैदानों में स्थायी व्स्तियाँ बसने लगे का विकास ने खेती को बढ़ावा दिया । नदी घाटियों में गाँव और नगर बसने लगे । किन्तु पहाड़ों में जहां पशु चारण और कृषि का अन्वेषण हुआ वहां पहाड़ी निवासी चरागाहों , पशु पालन और ढलानों में कटील खेतों से चिपके रहे (डबराल , उ, का -इतिहास २ ) ।
नदी-घाटियों के निवासियों ने लकड़ी , घास, आखेट हेतु पहाड़ निवासियों पर हमला करना शुरू किया और प्रस्तर उपकरण युग से कलहों और युद्ध का जन्म हुआ ।
जहां वनों के कटान से मैदानी हिस्सों में खेती अधिक विकसित हुयी वहीं पहाड़ों में चिरकाल तक वनों पर रहा और आज भी बगैर वनों के पहाड़ी जीवन की कल्पना नही की जा सकती है ।
मांस , मच्छली , और कंद मूल के साथ दूध मक्का , जौ धान की खेती भी इसी युग की देन है
इतिहास कार डा डबराल व डा नौटियाल का कथन है कि अभीष्ट अवशेषों के न मिलने से उत्तराखंड में कृषि इतिहास खोजने में दिक्कत आती हैं ।
ऐसा मना जाता है कि झेलम से यमुना हिमालय घाटी तक कोल मुंड की मूल जाती आ बसी थी और कोल मुंड मूल समाज ने हिमालय में उत्तर पत्थर उपकरणों का विकास भी किया और प्रसार भी किया ।
उपकरण स्वमेव ही कृषि विकास का इतिहास भी बताते हैं । बहादराबाद हरिद्वार में ताम्र उपकरण स्स्न्कृति के औजार मिले हैं जैसे फरुशा , भाले , बरछे , छल्ले आदि और गढ़वाल में हरिद्वार से 70 मील दूर धनपुर, डोबरी , पोखरी और कुमाऊं में गंगोली , सीरा अदि जगहों में ताम्बे की खाने होने से सिद्ध होता है कि पहाड़ों में ताम्बा बनाने व औजार /हथियार बने होंगे ।
औजार याने कृषि में विकास या युद्ध विकास और फिर अंदाजा लगा जाता है कि किस तरह कृषि में विकास हुआ होगा ।
डा नौटियाल गढ़वाल -कुमाऊं में Pale -red -grey ware संस्कृति पाए जाने और जंगली बैलों , पालतू सुअर और पालतू घोड़ों के अवशेष मिलने से यह पता लगता है कि कई जानवरों का पालतू करण हो चुका होगा। इस युग में उत्तराखंड में भी अन्न भंडारीकरण , कृषि उपकरण में सुधार से कृषि को नई शक्ति मिली होगी ।
शायद इस युग या इससे पहले के युग में पत्थर का पयाळु (पथर की गहरी थाली ) व लकड़ी के वर्तन अधिक बने होंगे ।
मौर्य और गुप्त काल में उत्तराखंड से घोड़े निर्यात होते थे जिससे पता चलता है कि घोड़ो की नस्ल के बारे में मनुष्य समझने लगा होगा ।
पेड़ों से औषधि का ज्ञान भी इसी युग में अधिक हुआ होगा
मोहनजो दाडो सभ्यता हरियाणा -सहारनपुर में विकसित हो चुकी तो इस सभ्यता के कई उपकरण व कृषि विज्ञानं ज्ञान हिमालय में भी पंहुचा ही होगा ।
शेष -- उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग … 3 में
Copyright @ Bhishma Kukreti 23/8 /2013
Reference-
Dr. Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas 1- 9 Parts
Dr K.K Nautiyal et all , Agriculture in Garhwal Himalayas in History of Agriculture in India page-159-170
( उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; हिमालय में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तर भारत में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला
Reference-
Dr. Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas 1- 9 Parts
Dr K.K Nautiyal et all , Agriculture in Garhwal Himalayas in History of Agriculture in India page-159-170
( उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास ; हिमालय में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तर भारत में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में ताम्र युग में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला
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